मिथिलेश झा/अमलेश नंदन सिन्हा
रांची : तमाड़ विधानसभा क्षेत्र से कुंदन पाहन भी चुनाव लड़ रहे हैं. रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड समेत 128 केस झेल रहे कुंदन पाहन ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर बाद राजनीति का रुख किया है. एनोस एक्का की झारखंड पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. चूंकि कुंदन पाहन (पहान) जेल में हैं, उनके प्रचार की कमान अजय चौधरी ने संभाल रखी है. उनके साथ क्षेत्र के कुछ बुजुर्ग हैं, तो काफी संख्या में युवा भी प्रचार कार्य में सक्रिय हैं. अजय चौधरी का दावा है कि 1,600 स्वयंसेवी स्वेच्छा से कुंदन पाहन के पक्ष में गांवों में प्रचार कर रहे हैं. ये सभी युवा हैं. prabhatkhabar.com (प्रभातखबर.कॉम) ने उनसे बुंडू स्थित उनके कार्यालय में बातचीत की.
सवाल : कुंदन पाहन के लिए कौन लोग प्रचार कर रहे हैं?
जवाब : क्षेत्र की जनता कुंदन पाहन के लिए प्रचार कर रही है. कुंदन पाहन इस क्षेत्र के लोगों का मसीहा है. वह जंगल में रहकर क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुलझाते थे. लोगों को शोषण से बचाते थे. आपसी लड़ाई सुलझाते थे. इसलिए तमाड़ विधानसभा के 99 फीसदी युवा उनके साथ हैं. 1600 युवा स्वेच्छा से उनके लिए प्रचार कर रहे हैं. निश्चित तौर पर कुंदन पाहन जीतेंगे और विधायक बनकर क्षेत्र का विकास करेंगे.
कुंदन की पत्नी आशा देवी भी गांव-गांव में जाकर प्रचार कर रही हैं. बुंडूु के दिलेश्वर महतो, तो नामकुम के पूर्व पार्षद किरण सांगा उनके लिए प्रचार कर रहे हैं. ऐसे बहुत से लोग हैं, जो क्षेत्र में घूम रहे हैं. आशा देवी पूरी मेहनत कर रही हैं.
सवाल : किन क्षेत्रों में आशा देवी प्रचार करती हैं और इस वक्त कहां रह रही हैं?
जवाब : अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचार कर रही हैं. जिस क्षेत्र में जाती हैं, वहीं लोगों के बीच रह जाती हैं. अगले दिन फिर प्रचार में जुट जाती हैं.

सवाल : क्या कुंदन के माता-पिता और अन्य रिश्तेदार भी प्रचार कर रहे हैं?
जवाब : नहीं. उनके माता-पिता प्रचार नहीं कर रहे. उनके भाई और अन्य रिश्तेदार अपने-अपने स्तर से प्रचार में जुटे हैं. सभी मिलकर काम कर रहे हैं. कुंदन पाहन जीतेंगे और जेल से बाहर आकर तमाड़ को चमकायेंगे.
सवाल : कुंदन पाहन का मुकाबला किससे है?
जवाब : किसी से कोई मुकाबला नहीं है. एक ओर कुंदन पाहन हैं, तो दूसरी ओर बाकी सब. मैं आपको बता देना चाहता हूं कि सभी लोग मिलकर भी उतने वोट नहीं ला पायेंगे, जितना वोट सिर्फ कुंदन पाहन को मिलेगा.
सवाल : आपके मुद्दे क्या हैं?
जवाब : विकास नाम को हटाना है, विकास को पहचान दिलाना है. हमारे विधानसभा क्षेत्र के गांवों में सड़कें नहीं हैं. नहर है, लेकिन उसमें पानी नहीं है. खेतों तक सिंचाई की सुविधा नहीं पहुंची है. शिक्षा की व्यवस्था नहीं है. नेशनल हाइवे से 10 किलोमीटर अंदर गांव में चले जायेंगे, तो स्कूलों की सुविधा नहीं है. 5वीं तक की पढ़ाई करने के ब8वीं या 10 पढ़ने के लिए लोगों को 10-10 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. एक साजिश के तहत तमाड़ को शिक्षा से दूर रखा गया है.
स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक अस्पताल है. बेसिक डिस्पेंसरी तक नहीं है. अस्पताल में डॉक्टर या नर्स नहीं हैं. इलाज के अभाव में लोग मर जाते हैं. सरकार ने अस्पताल बना दिया, लेकिन यहां के डॉक्टर नर्सिंग होम में ड्यूटी करते हैं. सरकार से उन्हें तमाम सुविधाएं मिलती हैं, फिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती. अनुमंडलीय अस्पताल तक मृत पड़ा है. इसको देखने वाला कोई नहीं है. विधायक ने कभी इसके बारे में बात नहीं की.

सवाल : वर्तमान विधायक का कार्यकाल कैसा रहा? कौन-कौन से ऐसे काम हैं, जो उन्होंने नहीं किये?
जवाब : विकास सिंह मुंडा ने विकास का कोई काम नहीं किया. उनके पिता रमेश सिंह मुंडा बेहतर नेता थे. क्षेत्र में घूमते थे. इसलिए उन्हें समस्या की जानकारी होती थी. वे उसका समाधान भी करते थे. उनकी सेवा भावना की वजह से ही लोगों ने विकास सिंह मुंडा को अपना बहुमूल्य वोट दिया था. उन्हें पिछली बार 57 हजार वोट मिले थे. यदि उन्होंने बेहतर काम किया होता, तो इस बार 90 हजार वोट मिलते. लेकिन, ऐसा नहीं है. उन्हें पार्टी बदलनी पड़ी.
विकास सिंह मुंडा कभी गांवों में नहीं गये. उनके कार्यकाल में क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं आया. चुनाव से ठीक पहले पार्टी बदल ली और अब सरकार के कार्यों को गलत बता रहे हैं. पार्टी और सरकार से अलग होकर जनता को बरगलाना चाहते हैं. क्षेत्र की जनता सब समझ गयी है. इस बार उनकी कोई नहीं सुनेगा. हमारे इलाके में सिंचाई परियोजनाओं पर काम नहीं हुआ. विकास सिंह मुंडा कहते हैं कि सरकार ने उनकी नहीं सुनी.

यह बिल्कुल गलत बात है. जल संसाधन मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी आजसू के नेता थे. वह चाहते, तो योजनाएं पास करवा सकते थे. उसका लाभ क्षेत्र की जनता को मिलता और विकास सिंह मुंडा को भी इसका फायदा होता. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. अब जबकि सरकार विरोधी लहर चल रही है, पाला बदलकर वह इसको भुनाने में जुटे हैं. 5 साल तक सत्ता की मलाई खायी और अब सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के बुजुर्गों को पेंशन भी नहीं मिलती.
सवाल : आपके हिसाब से क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
जवाब : सिंचाई तो एक समस्या है ही. उसके बाद सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी और पलायन. इसे दूर करना होगा. विकास ने पूरे क्षेत्र का विनाश कर दिया. कोई काम नहीं किया. बेरोजगारी की वजह से लोगों को पलायन करना पड़ता है और कई बार वे शोषण का भी शिकार होते हैं. अब एनएच33 पर बुंडू में फ्लाईओवर बन रहा है. इस ओवरब्रिज ने बुंडू को दो भागों में बांट दिया है. आने वाले दिनों में जाम की समस्या से लोगों जूझना पड़ेगा, सो अलग.
यदि इसी ओवरब्रिज को पिलर पर बनाया जाता, तो जगह की भी बचत होती और 30 फीसदी तक पैसे भी बचते. लेकिन, इस विषय में किसी ने नहीं सोचा. क्षेत्र के लोगों ने पिलर पर फ्लाईओवर बनाने की मांग की. इसके लिए आंदोलन किया, लेकिन स्थानीय विधायक ने उनका साथ नहीं दिया. उन्होंने इसके खिलाफ एक बार भी आवाज नहीं उठायी. ऐसे विधायक को भला लोग फिर से कैसे चुन सकते हैं.
सवाल : राजा पीटर के कार्यकाल में तो बहुत सी सड़कों को मंजूरी मिली थी?
जवाब : हां. 18 सड़कों को मंजूरी मिली थी.उनमें से कुछ सड़कों का अब शिलान्यास हुआ है. कुछ का उद्घाटन हुआ है. अभी यह काम करने का क्या मतलब. यही काम 5 साल पहले क्यों नहीं हुआ. राजा पीटर ने जितनी सड़कें बनवायीं, सब दोयम दर्जे की थीं. 5 फुट चौड़ी सड़क पर कोई कार भी पार नहीं हो सकती. सारी सड़कें अधूरी पड़ी हैं. यहां तक कि श्मशान का भी पूरा निर्माण नहीं हो पाया. तमाड़ क्षेत्र में लूट मची है. किसी को जनता की चिंता नहीं है.
सवाल : कुंदन पाहन को बुंडू और तमाड़ में आतंक का पर्याय माना जाता था. क्या लोग उन पर भरोसा करेंगे?
जवाब : ये सब गलत बातें हैं. पुलिस और प्रशासन ने उनकी छवि खराब की है. गैरकानूनी तरीके से उनके ऊपर बहुत से केस लगा दिये गये. उनकी छवि बिगाड़ने के लिए साजिश रची गयी. उनके पास 2700 एकड़ पुश्तैनी जमीन है. फिर भी उन्हें वर्षों तक जंगल में रहना पड़ा.

सवाल : चुनाव में कुंदन पाहन की क्या भूमिका है?
जवाब : वह तो हजारीबाग जेल में हैं. सप्ताह में दो बार हमलोग उनसे मिलते हैं. जब भी हम मिलने जाते हैं, वह दिशा-निर्देश देते हैं. किन-किन क्षेत्रों में जाना है, किन लोगों से बात करनी है, किस तरह से प्रचार करना है. यह हम सबको बताते हैं. हम उनके दिशा-निर्देश के अनुरूप ही प्रचार कर रहे हैं.
सवाल : आरोप है कि कुंदन पाहन के जितने भी समर्थक हैं, वे स्थानीय नहीं हैं. बाहरी लोगों को लाकर प्रचार कराया जा रहा है?
जवाब : सब गलत आरोप हैं. जितने भी लोग यहां हैं, आप उनसे पूछ सकते हैं कि वे कहां से हैं. कोई बाहरी आदमी प्रचार नहीं कर रहा है. बुंडू, तमाड़ के लोग ही कुंदन पाहन के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. आप गांवों में जाकर देख लें. हमारे समर्थक घर-घर जाकर लोगों से वोट मांग रहे हैं.