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रांची : वक्त के साथ नाम बदला, पर नहीं बदली वोटिंग की आदत
रांची :अब वो एक राजनीतिक पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता हैं और उनकी उम्र 74 साल हो चली है. लेकिन इसमें खास बात क्या है? सुखदेव प्रसाद कहते हैं कि पांच बरस में होनेवाले लोकतंत्र के महापर्व यानी चुनावों में 11वीं बार मतदान करने के लिए तैयार हैं. साल 1968 नवंबर में ऑल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी […]
रांची :अब वो एक राजनीतिक पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता हैं और उनकी उम्र 74 साल हो चली है. लेकिन इसमें खास बात क्या है? सुखदेव प्रसाद कहते हैं कि पांच बरस में होनेवाले लोकतंत्र के महापर्व यानी चुनावों में 11वीं बार मतदान करने के लिए तैयार हैं.
साल 1968 नवंबर में ऑल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ कम्युनिष्ट रिवोल्यूशन से जुड़ने के बाद वो भूमिगत रह कर पार्टी का काम देखने लगे. तब का रतन आज भाकपा माले का समर्पित कार्यकर्ता हैं. समय के साथ नाम बदल गया, अगर कुछ नहीं बदला तो वोट डालने की उनकी आदत.
वे अपने अधिकार को लेकर सजग हैं, साथ ही चाहते हैं कि उस प्रत्याशी की जीत हो, जो जनता के बीच रहे, विकास का काम करे. महिलाएं हो, नयी उम्र की लड़कियां हो या बुजुर्ग, सभी को अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए. वह कहते हैं कि लोकतंत्र के इस पर्व में हर कोई अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहता है. हम जैसे बुजुर्ग तो ऐसे हैं, जो सही से बोल नहीं पाते, ज्यादा चल-फिर भी नहीं पाते हैं, लेकिन इस सब के बावजूद मतदान के दिन उनकी चाहत सबसे पहले मतदान करने की होती है.
सुखदेव प्रसाद कहते हैं कि बुजुर्गों को भी घरों से निकल कर देश हित में जरूर मतदान करना चाहिए. लोग कहते हैं कि हमारे एक वोट से क्या होगा, लेकिन यही एक-एक वोट मिल कर सैंकड़ों वोट बनता है. यह पूछे जाने पर कि उन्हें कौन सा मुद्दा महत्वपूर्ण लगता है, तो वह कहते हैं कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे विकास कार्यों को निरंतर गति से आगे बढ़ाना, जिससे हमारी आनेवाली पीढ़ियों को जीवन यापन करने में अधिक संघर्ष ना करना पड़े.
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