योजनाओं की लागत 446 करोड़ से बढ़कर हुई 9674 करोड़सिंचाई परियोजनाएं 40 वर्षों से निर्माणाधीन, फिर भी अधूरी सिर्फ 1.54 लाख हेक्टेयर बढ़ी सिंचाई की सुविधावर्ष 2001 में सिंचित क्षेत्र 6.22 लाख हेक्टेयर वर्ष 2012 में बढ़कर 7.76 लाख हेक्टेयरसंजय, रांचीझारखंड की सिंचाई परियोजनाएं गत 40 वर्षों से चल रही हैं, फिर भी ये अधूरी हैं. तत्कालीन बिहार व फिर झारखंड में अब तक इन योजनाओं पर 4500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. पर पानी खेतों तक नहीं पहुंचा. विभागीय दस्तावेजों के अनुसार कुल 19 सिंचाई योजनाओं की शुरुआती लागत 446 करोड़ रुपये थी, जो विलंब के कारण लगभग 10 हजार करोड़ रु हो गयी हैं. ये सिंचाई योजनाएं यदि पूरी हो जायें, तो लगभग 5.5 लाख हेक्टेयर खेतों को पानी मिलेगा. पूर्व मुख्य सचिव एके सिंह, ने इन योजनाओं पर कड़ी टिप्पणी भी की थी. उन्होंने जल संसाधन विभाग की कार्यशैली को राज्य के लिए चिंता का विषय बताया था. सिर्फ1.54 लाख हेक्टेयर बढ़ी सिंचाई सुविधा : राज्य के कुल क्षेत्रफल 79.72 लाख हेक्टेयर में से 29.74 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य है. विभाग का मानना है कि इसके विरुद्ध अधिकतम 24.25 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती है. राज्य गठन के बाद गत 14 वर्षों में सिर्फ 1.54 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधा बढ़ी है. अभी राज्य का कुल सिंचित क्षेत्र 7.76 लाख हेक्टेयर है. इसमें बड़ी व मध्यम सिंचाई योजनाओं से 2.47 लाख हेक्टेयर व लघु सिंचाई योजनाओं से 5.13 लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होती है. कुल क्षेत्रफल : 79.72 लाख हेक्टेयरकृषि योग्य भूमि : 29.74 लाख हेक्टेयरसिंचाई का लक्ष्य : 24.25 लाख हेक्टेयरवर्तमान में सिंचित : 7.76 लाख हेक्टेयरसिंचाई योजनाओं की लागत व खर्च (लाख में)परियोजनासंबंधित जिलेकब से शुरूलागतपुनरीक्षित लागतअब तक खर्चझारखंड में खर्चभौतिक उपलब्धिसुवर्णरेखाप. व पू.सिंहभूम, सरायकेला197812899.03661374.55286300.00124274.0045 फीसदीसुरूसरायकेला-खरसांवा1987312.003599.002564.002520.005 फीसदीनकटीप.सिंहभूम19881367.003516.002636.002720.0091 फीसदीझरझराप.सिंहभूम19922450.004987.001081.001269.00शून्य फीसदीसोनुआप.सिंहभूम1981830.008265.007110.003922.0075 फीसदीपुनासीदेवघर1982269.0018582.0011914.003459.0045 फीसदीअजय बराजदेवघर, जामताड़ा19751034.5835184.5228518.0013926.0095 फीसदीबटानेगढ़वा, पलामू1976800.007812.005574.001300.0070 फीसदीअपर शंखगुमला1981919.0014119.0012171.0010415.0090 फीसदीकंसजोररांची, गुमला1979866.005297.005397.001725.0099 फीसदीरामरेखागुमला सिमडेगा19872017.005387.0047820.004912.0070 फीसदीकोनारहजारीबाग, गिरिडीह, बोकारो19751143.0034838.0021223.0011116.0053 फीसदीकेसोकोडरमा, हजारीबाग1983608.246770.905348.006650.0030 फीसदीपंचखेरोकोडरमा, हजारीबाग1986955.007568.005969.005440.0060 फीसदीअमानत बराजपलामू198312540.0034111.8825373.0022956.0065 फीसदीउत्तरी कोयलपलामू19703000.0083611.42—54500.0065 फीसदीभैरवारामगढ़, हजारीबाग19852019.0011697.008667.007467.0070 फीसदीसुरंगीरांची1982215.004117.004285.002640.0094 फीसदीगुमानी बराजसाहेबगंज, पाकुड़1976383.0016258.6714919.00-85 फीसदीकुल44626.82 लाख967094.18 लाख454344.00 लाख231411.00 लाख(नोट : सुवर्णरेखा को छोड़ पुनरीक्षित (रिवाइज्ड) बजट 2006-07 के आधार पर विभागीय कागजातों से लिये गये हैं. कई परियोजनाओं के इस बजट में लगातार इजाफा हो रहा है. अत: उपरोक्त आंकड़े में फेरबदल संभव है)
झारखंड की सिंचाई योजनाएं : पैसा बहा, पानी नहीं (रविवार को लगानी है)
योजनाओं की लागत 446 करोड़ से बढ़कर हुई 9674 करोड़सिंचाई परियोजनाएं 40 वर्षों से निर्माणाधीन, फिर भी अधूरी सिर्फ 1.54 लाख हेक्टेयर बढ़ी सिंचाई की सुविधावर्ष 2001 में सिंचित क्षेत्र 6.22 लाख हेक्टेयर वर्ष 2012 में बढ़कर 7.76 लाख हेक्टेयरसंजय, रांचीझारखंड की सिंचाई परियोजनाएं गत 40 वर्षों से चल रही हैं, फिर भी ये अधूरी […]
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