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रांची :निजी स्कूलों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई करने पर लगायी रोक

हाइकोर्ट ने सरकार से जवाब दायर करने को कहा रांची : हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस हरीशचंद्र मिश्र व जस्टिस दीपक राैशन की खंडपीठ प्रार्थी झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सदस्य स्कूलों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है. सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अगली […]

हाइकोर्ट ने सरकार से जवाब दायर करने को कहा

रांची : हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस हरीशचंद्र मिश्र व जस्टिस दीपक राैशन की खंडपीठ प्रार्थी झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सदस्य स्कूलों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है. सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने बताया कि केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत निजी स्कूलों के संचालन के लिए मानक तय किया है. तय मानकों को राज्य सरकार को लागू करने का अधिकार है, लेकिन सरकार द्वारा 25 अप्रैल को अधिसूचना जारी की गयी है, जिसमें दो नियमों में बदलाव कर दिया गया है.

निजी स्कूलों के संचालन के लिए स्कूल प्रबंधन को मानकों को पूरा करना होगा. जमीन का निबंधन निजी स्कूल के नाम पर हो या उस स्कूल की जमीन 30 साल की लीज पर ली गयी हो. कक्षा एक से आठ तक के शहरी क्षेत्र के स्कूलों के पास 60 डिसमिल जमीन तथा ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल के पास कम से कम एक एकड़ जमीन की शर्त दी गयी है. कक्षा एक से पांच तक के शहरी क्षेत्र के स्कूल के पास 40 डिसमिल जमीन व ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूल के पास 60 डिसमिल जमीन होने की शर्त लगायी गयी है. इसे निरस्त करने का आग्रह किया गया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की अोर से याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा लगायी गयी दोनों शर्तों को चुनौती दी गयी है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को मानक तय करने का अधिकार नहीं है, यह केंद्र सरकार ही तय कर सकती है.

गरीब के बच्चों की पढ़ाई पर लगाम : आप

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव राजन कुमार सिंह ने कहा कि रघुवर सरकार ने छोटे निजी स्कूलों के लिए मान्यता के लिए जो नया नियम लाया है, वह जन विरोधी होने के साथ-साथ शिक्षा विरोधी भी है़ इन स्कूलों की मान्यता के लिए जो मापदंड तय किये गए हैं, उन्हें सरकार पहले सरकारी स्कूलों पर लागू करे़ सरकार ने पहले ही सरकारी स्कूलों को पूरी तरह लचर कर दिया है.वे मंगलवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू थे़

उन्होंने कहा कि यह ध्यान रहना चाहिए कि झारखंड में सीएनटी-एसपीटी कानून लागू हैं, जहां पांच वर्ष से अधिक की लीज अवधि नहीं हो सकती़ इन छोटे स्कूलों से मान्यता के लिए 12,500 व 25,000 रुपये का आवेदन शुल्क भी समाप्त किया जाये़ स्कूल के नाम पर एक लाख की फिक्स डिपॉजिट की शर्त हटायी जाये़ छोटे स्कूलों के लिए मान्यता की जगह पंजीयन की व्यवस्था होनी चाहिए़ कड़े मानकों व सुविधाओं की पूर्ति नहीं कर पाने की स्थिति में फाइन और स्कूल बंदी की जगह सुविधा के हिसाब से स्कूलों की ग्रेडिंग की जाये़ प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल की मान्यता के बजाये पहली, दूसरी , तीसरी, चौथी से आठवीं कक्षा तक कक्षावार स्कूल चलाने के स्वीकृति की व्यवस्था हो़ मौके पर यास्मीन लाल व कुणाल कश्यप भी मौजूद थे़

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