नोट : मां और बच्चे का स्तनपान कराती मां का सिंबोलिक फोटो लगा देंप्रत्येक वर्ष झारखंड में आठ हजार बच्चों की कुपोषण की वजह से होती है मौतझारखंड में 41.2 प्रतिशत माताएं जन्म के पहले घंटे में बच्चे को कराती हैं स्तनपानविकसित राज्यों की श्रेणी मंे झारखंड को पहुंचने में लग जायेंगे 20-25 वर्ष लता रानी, रांचीझारखंड में माताएं अब स्तनपान कराने को लेकर अधिक जागरूक हो रही हैं. स्तनपान से शिशु मृत्यु दर और कुपोषण से बचाव में मदद मिलती है. प्रत्येक वर्ष झारखंड में आठ हजार बच्चे कुपोषण की वजह से मौत के मुंह में समा जाते हैं. सरकार के आंकड़े को देखे, तो झारखंड में मां और नवजात शिशु के बीच अब बेहतर संबंध स्थापित हो रहे हैं. 2010-11 में जहां जन्म के पहले घंटे में सिर्फ 37.9 प्रतिशत माताएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती थीं, वह वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2012-13 में बढ़ कर 41.2 प्रतिशत हो गया है. इसी तरह छह माह तक के बच्चों को माताएं अपना दूध पिलाना अधिक प्रेफर कर रही हैं. यह आंकड़ा भी पांच प्रतिशत से अधिक बढ़ा है. यूनिसेफ के आंकड़ों को माना जाये, तो विकसित राज्यों की श्रेणी मंे झारखंड को पहुंचने में 20-25 वर्ष लग जायेंगे. विकसित राज्यों में 90 प्रतिशत माताएं शिशु को स्तनपान कराती हैं.जनजातीय इलाके में बच्चे कुपोषण और अल्पभार का शिकार हो जाते हैं. क्यों जरूरी है स्तनपानस्तनपान से मां और जन्मजात शिशु को कई तरह का लाभ होता है. मां के द्वारा शिशु को अपने स्तन के नजदीक लाने से दूध जल्दी बाहर आता है. जितनी जल्द स्तनपान कराने की शुरुआत होगी, उतनी जल्दी दूध बाहर निकलेगा. बच्चे का पेट जन्म के समय छोटा होता है. दो दिन तक वह एक बार में पांच से सात मिलीलीटर तक दूध पी सकता है. मां का शरीर आसानी से इतनी मात्रा में दूध उत्पन्न कर सकता है. जन्म के शुरुआती दिनों में निकलनेवाला खिरसा दूध (कोलेस्ट्रम) नवजात शिशु के कुछ दिनों की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. कोलेस्ट्रेम में पोषक तत्व तथा एंटीबोडी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. यह नवजात शिशु को संपूर्ण पोषण देता है. शुरुआती छह माह तक केवल मां का दूध ही उत्तम आहार है. यह बच्चे को सभी बीमारियों से बचाता है. मां एवं शिशु के त्वचा में आपसी संपर्क से शिशु के शरीर का तापमान एवं सांस की गति नियमित रहती है. इसके साथ ही मां एवं शिशु में एक भावनात्मक संबध का विकास होता है.मां के लिए स्तनपान का महत्व शिशु के स्तनपान करने से मां का गर्भाशय सिकुड़ता है, जिससे प्रसव के बाद होनेवाले रक्त स्राव की संभावना कम हो जाती है और नाल (प्लासेंटा ) को बाहर आने में मदद मिलती है. शिशु के स्तनपान करने से मां को स्तन संबंधी बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है. मां के दूध में 88 प्रतिशत पानी शोध के अनुसार शिशु के शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास के लिए मां के दूध में 88 प्रतिशत पानी होता है. इसलिए बच्चे को अलग से पानी की आवश्यकता नही पड़ती. लोगों की गलत धारणा है कि बच्चे को गरमी लग रही है, तो उसे पानी पिलाया जाये. वहीं बकरी का दूध व गाय का दूध पिलाने की भी गलत धारणाएं हैं. शिशु को कब तक स्तनपान कराना चाहिए शिशु को कम से कम दो साल तक स्तनपान करायें.स्तनपान बच्चे के मानसिक विकास के लिए भी उत्तम है. छह से 24 महीने के दौरान भी मां का दूध बच्चे के पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है.
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शिशु मृत्यु दर व कुपोषण से बचाव करता है स्तनपान
नोट : मां और बच्चे का स्तनपान कराती मां का सिंबोलिक फोटो लगा देंप्रत्येक वर्ष झारखंड में आठ हजार बच्चों की कुपोषण की वजह से होती है मौतझारखंड में 41.2 प्रतिशत माताएं जन्म के पहले घंटे में बच्चे को कराती हैं स्तनपानविकसित राज्यों की श्रेणी मंे झारखंड को पहुंचने में लग जायेंगे 20-25 वर्ष लता […]
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