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रांची में गैर मजरुआ खास जमीन की भरमार, पर खरीद-बिक्री आसान नहीं

रांची : राजधानी रांची में गैर मजरुआ खास (मालिक) जमीन भरी हुई है. शहरी क्षेत्र के साथ ही शहर से सटे इलाके में इस प्रकृति की जमीन की वर्षों से खरीद-बिक्री हो रही है. रांची शहरी इलाके से सटे पुंदाग में सबसे ज्यादा गैर मजरुआ खास जमीन है. यहां करीब 436 एकड़ ऐसी जमीन है. […]

रांची : राजधानी रांची में गैर मजरुआ खास (मालिक) जमीन भरी हुई है. शहरी क्षेत्र के साथ ही शहर से सटे इलाके में इस प्रकृति की जमीन की वर्षों से खरीद-बिक्री हो रही है. रांची शहरी इलाके से सटे पुंदाग में सबसे ज्यादा गैर मजरुआ खास जमीन है. यहां करीब 436 एकड़ ऐसी जमीन है.
इसमें से 300 एकड़ जमीन की बिक्री हो गयी है. सिमलिया में करीब 200 एकड़ से ज्यादा जमीन है. इसकी बिक्री भी हुई है. हेहल अंचल के अधीन बजरा इलाके में भी 250 एकड़ से ज्यादा गैर मजरुआ मालिक जमीन है. ऐसी जमीन पर कई मुहल्ले और कॉलोनियां बसी हुई हैं.
राजस्व कार्य से जुड़े कर्मचारियों-अधिकारियों ने बताया कि कटहल मोड़, नगड़ी अंचल के कई क्षेत्र, कांके अंचल का बड़ा इलाका, नामकुम अंचल अंतर्गत शहर से सटे कई इलाके, गुटुवा, पिर्रा, रातू का बड़ा इलाका, बड़गाईं अंचल के कई क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी बड़ी मात्रा में गैर मजरुआ खास जमीन हैं, जिसे पूर्व में चिह्नित भी किया गया है. पिपरवार क्षेत्र के बड़े इलाके में इस प्रकृति की जमीन है.
अब यहां के खरीदार जमीन बेचना चाहेंगे, तो उन्हें बेचने के पहले आवेदन देना होगा. अंचल कार्यालय से अपर समाहर्ता होते हुए उपायुक्त तक मामला जायेगा. वहां से क्लियर होने पर मुख्यालय भेजा जायेगा, फिर एनआइसी को उक्त प्लॉट प्रतिबंधित सूची से हटाने का निर्देश होगा. लिस्ट से हटने पर ही बिक्री की जा सकेगी. कर्मियों का कहना है कि पूरी प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं.
रसीद जारी करने का फैसला हुआ था कैबिनेट से : राज्य मंत्रिपरिषद ने संदिग्ध जमाबंदी वाली जमीन की रसीद जारी करने का फैसला लिया था. जब तक कि सक्षम न्यायालय का फैसला इन जमीन के विरुद्ध नहीं आता है, तब तक रसीद निर्गत करनी है. कैबिनेट के फैसले के बाद बड़ी संख्या में गैर मजरुआ खास जमीन की रसीद निर्गत हो रही है, लेकिन कारा महानिरीक्षक के नये पत्र के मुताबिक बिना उपायुक्त की अनुमति के रजिस्ट्री नहीं होगी.
सही व संदिग्ध दोनों ही तरह की है जमीन
यहां गैर मजरुआ मालिक जमीन सही व संदिग्ध दोनों ही तरह की हैं. कई मामलों में गैर मजरुआ मालिक जमीन की जमाबंदी को बिल्कुल सही पाया गया. वहीं, कई मामलों में न्यायालय ने जमाबंदी को सही ठहराया है.
दूसरी ओर बड़ी संख्या में ऐसे भी प्लॉट हैं, जिनकी बंदोबस्ती को संदिग्ध पाया गया है. इस पर जांच चल रही है या न्यायालय में मामले हैं. कुछ मामले ऐसे ही छोड़ दिये गये हैं. अब दोनों ही तरह की जमीन की खरीद-बिक्री के लिए अनुमति आवश्यक हो गयी है.

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