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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस आज : बढ़ रही मनोरोगियों की संख्या, आत्महत्या से हर 40 सेकेंड में एक की मौत

मनोज सिंह दुनिया में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत आत्महत्या से होती है रांची : झारखंड में पिछले दस साल में 70 हजार मनोरोगियों की संख्या बढ़ी है. यह आंकड़ा कांके (रांची) स्थित राज्य के दो सरकारी मानसिक अस्पताल सीआइपी व रिनपास का है. वर्ष 2018 में दो लाख से अधिक मरीजों […]

मनोज सिंह
दुनिया में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत आत्महत्या से होती है
रांची : झारखंड में पिछले दस साल में 70 हजार मनोरोगियों की संख्या बढ़ी है. यह आंकड़ा कांके (रांची) स्थित राज्य के दो सरकारी मानसिक अस्पताल सीआइपी व रिनपास का है. वर्ष 2018 में दो लाख से अधिक मरीजों ने दोनों अस्पतालों में इलाज कराया. रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलायड साइंस (रिनपास) में 110580 तथा सेंट्रल इंस्टीट्यूट न्यूरो साइकेट्री (सीआइपी) में 92901 मरीज ओपीडी में आये. वहीं वर्ष 2009 में 72503 मरीज रिनपास और 65757 मरीज सीअाइपी में आये थे.
10 साल में करीब 69198 मरीजों की संख्या बढ़ी. विशेषज्ञ मानते हैं कि जागरूकता के कारण मनोरोग को लेकर समाज में जो भ्रांतियां थी, वह कम हुई है. लोग अब मनोचिकित्सा संस्थान में इलाज करने के लिए आने लगे हैं. इलाज का तरीका भी बदला है. मनोरोग का इलाज कराने के बाद ज्यादातर लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं. इससे लोगों में विश्वास बढ़ा है. हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भौतिकतावाद की दौड़ में तनाव बढ़ने से मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.
युवा ज्यादा कर रहे हैं आत्महत्या : विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक अात्महत्या 25 से 29 साल के बीच के लोग कर रहे हैं. 2016 में इस उम्र के करीब 81284 युवाओं ने आत्महत्या की थी. 10 से 29 साल के बीच के 222093 युवकों ने आत्महत्या की थी. सबसे अधिक आत्महत्या निम्न वर्गीय परिवार के लोग करते हैं. कुल आत्महत्या के मामलों में करीब 79 फीसदी लोग इस वर्ग से आते हैं.
40 सेकेंड कैन चेंज योर लाइफ थीम है इस बार : इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्तूबर) को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आत्महत्या बचाओ दिवस के थीम पर बनाया है. इसके लिए टैग लाइन दी गयी है, 40 सेकेंड कैन चेंज योर लाइफ. आंकड़ों के अनुसार, हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत आत्महत्या से होती है. आत्महत्या करनेवाले लोगों में 90 फीसदी मनोरोगी होते हैं.
10 साल में 70 हजार मनोरोिगयों की संख्या बढ़ी
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मन को संतुलित रखना उपलब्धि
आज के समय में मन को संतुलित रखना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. हर चीज बदल रही है. शरीर के अंदर का केमिकल और मेंटल बैलेंस बदल रहा है. रिश्तों में खटास बढ़ी है. नफरत का माहौल है. खान-पान भी बदला है. एेसे में खुद को संतुलित बनाये रखना होगा. सीअाइपी में पहले पूरे देश से मरीज आते थे. आज बिहार, झारखंड, बंगाल, ओड़िशा और इस्टर्न यूपी के मरीज ही आ रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि मनोरोगियों की संख्या बढ़ रही है.
डॉ एस हक निजामी, पूर्व निदेशक, सीअाइपी
मरीजों की संख्या
वर्ष सीआइपी रिनपास
2009 61780 72503
2010 65757 85865
2011 69071 96457
2012 70827 101282
2013 74062 104450
2014 73509 89706
2015 77431 113949
2016 84647 107064
2017 88178 103102
2018 92901 110580

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