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रांची : आठ साल में पूरा नहीं हुआ चहारदीवारी निर्माण
जांच में राजकीय पॉलिटेक्निक की चहारदीवारी निर्माण का कार्य घटिया पाया गया लागत 87.48 लाख से बढ़ कर 1.77 करोड़ रुपये हुई रांची : भवन निर्माण विभाग ने राजकीय पॉलिटेक्निक रांची की चहारदीवारी निर्माण की योजना आठ साल में भी पूरी नहीं की. जांच में निर्माण कार्य भी घटिया पाया गया है. वर्ष 2011-12 की […]
जांच में राजकीय पॉलिटेक्निक की चहारदीवारी निर्माण का कार्य घटिया पाया गया
लागत 87.48 लाख से बढ़ कर 1.77 करोड़ रुपये हुई
रांची : भवन निर्माण विभाग ने राजकीय पॉलिटेक्निक रांची की चहारदीवारी निर्माण की योजना आठ साल में भी पूरी नहीं की. जांच में निर्माण कार्य भी घटिया पाया गया है.
वर्ष 2011-12 की इस योजना की लागत 87.48 लाख से बढ़ कर 1.77 करोड़ रुपये हो गयी है. भवन निर्माण विभाग ने 71.80 लाख रुपये उच्च तकनीक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग को वापस नहीं किया है. उच्च तकनीक शिक्षा विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने भवन निर्माण विभाग के सचिव को पत्र लिखकर योजना पूरी करने और 71.80 लाख रुपये लौटाने की मांग की है.
उच्च तकनीक शिक्षा विभाग के सचिव ने लिखा पत्र : उच्च तकनीक शिक्षा विभाग के सचिव ने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2011-12 से इस योजना को अब तक चलाया जा रहा है. निर्माण कार्य में हुई गड़बड़ी में सुधार के लिए भवन निर्माण प्रमंडल-एक के कार्यपालक अभियंता को कई बार लिखा गया .
लेकिन उनकी तरफ से जवाब नहीं मिला. ऐसी स्थिति में फिर से योजना का एस्टीमेट रिवाइज करना पड़ेगा. इससे सरकार पर बेवजह आर्थिक बोझ पड़ेगा. सचिव ने अपने पत्र में योजना का उल्लेख करते हुए लिखा है कि 10 मई 2001 को 87.48 लाख रुपये की लागत पर चहारदीवारी निर्माण योजना की स्वीकृति दी गयी थी.
वर्ष 2013 में इसे रिवाइज कर 1.04 करोड़ रुपये कर दिया गया. इसके बाद 32.57 लाख रुपये का काम हुआ. भवन निर्माण विभाग ने स्थानीय स्तर पर विरोध का हवाला देते हुए काम बंद कर दिया. इसके बाद पुन: भवन निर्माण प्रमंडल-एक के कार्यपालक अभियंता ने सात अगस्त 2017 को राजकीय पॉलिटेक्निक रांची में चहारदीवारी के निर्माण के लिए प्रस्ताव दिया.
इसके आलोक में सरकार ने 1.77 करोड़ की लागत पर चहारदीवारी निर्माण की योजना 11 अगस्त 2017 को स्वीकृत की. योजना स्वीकृति से समय ही दस्तावेज में इस बात का उल्लेख किया गया था कि पहली बार योजना की स्वीकृत राशि में बची राशि भवन निर्माण विभाग ड्राफ्ट के माध्यम से उच्च तकनीक शिक्षा विभाग को वापस कर देगा.
इस शर्त के हिसाब से पहली बार पुनरीक्षित 1.04 करोड़ की राशि में से 32.57 लाख रुपये का ही काम हुआ है. इसलिए शेष 71.80 लाख रुपये ड्राफ्ट के माध्यम से उच्च तकनीक विभाग को वापस करना था. हालांकि यह राशि अब तक नहीं लौटायी गयी है.
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