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रांची : जर्जर हो चुकी है आरआइटी बिल्डिंग कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

राणा प्रताप रांची : कचहरी चौक स्थित आरआइटी बिल्डिंग कभी भी हादसे का शिकार हो सकती है. वर्ष 1960 में बनी इस बिल्डिंग की मरम्मत आज तक नहीं करायी गयी है. इसलिए इसकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गयी है. छत के ऊपर व बिल्डिंग के पिछले हिस्से में पीपल, बरगद के पेड़ उगे आये हैं. […]

राणा प्रताप
रांची : कचहरी चौक स्थित आरआइटी बिल्डिंग कभी भी हादसे का शिकार हो सकती है. वर्ष 1960 में बनी इस बिल्डिंग की मरम्मत आज तक नहीं करायी गयी है. इसलिए इसकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गयी है.
छत के ऊपर व बिल्डिंग के पिछले हिस्से में पीपल, बरगद के पेड़ उगे आये हैं. जगह-जगह घास भी उगी हुआ है, जो बिल्डिंग को कमजोर कर रही है. छत से बारिश का पानी रिसता रहता है और दीवार में हमेशा सीलन बनी रहती है. छत और छज्जे का प्लास्टर व ढलाई टूट कर गिर रही है. प्लास्टर व छज्जा गिरने से कई लोगों को चोट भी लग चुकी है.
आरआइटी बिल्डिंग के भूतल पर 14 दुकानें हैं, जो नियमित खुलती हैं. दुकानदार स्वयं अपने हिस्से की मरम्मत कराते हैं. इसलिए इन दुकानों की हालत कुछ ठीक है. हालांकि, कई जगहों पर दरारें दिखने लगी हैं.
सबसे ज्यादा खराब स्थिति पहले और दूसरे तल्ले की है. दोनों तलों पर बने कमरों में 28 कार्यालय हैं. इनमें से कई कमरों में ताले लगे हुए हैं. टूटी हुई खिड़की से अंदर का नजारा साफ दिखता है. जिन कमरों में कार्यालय चलते हैं, उनके कर्मचारी और दुकानदार बिल्डिंग की दयनीय स्थिति को देखते हुए हमेशा सशंकित रहते हैं. बिल्डिंग का पिछला हिस्सा और सीढ़ी वाला हिस्सा भी टूट कर गिर रहा है. बिल्डिंग के पीछे व दायीं ओर की जमीन को लोगों ने खुला शौचालय बना दिया है.
आरआरडीए के पास प्रशासनिक नियंत्रण, वसूलता है किराया
इस बिल्डिंग का प्रशासनिक नियंत्रण रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) के हाथों में है. किराया आरआरडीए ही वसूलता है. वर्ष 1995 में आरआरडीए ने दुकानों का किराया 2.50 रुपये प्रति वर्ग फीट तय किया था, जिसे वर्ष 2013 में बढ़ा कर 15 रुपये प्रति वर्ग फीट कर दिया गया, लेकिन बिल्डिंग के रखरखाव की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया. बिल्डिंग में शौचालय और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हैं. जबकि यहां कई कार्यालयों में महिलाएं भी काम करती हैं.
59 साल पहले बनी बिल्डिंग में चल रहे कुछ प्रमुख कार्यालय
आरआइटी बिल्डिंग के प्रथम तल पर राष्ट्रीय बचत पदाधिकारी मनोज कुमार दुबे का कार्यालय, झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा आदि, द्वितीय तल पर सीआइडी मुख्यालय की विशेष शाखा, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल (सांख्यिकी) के उप निदेशख हृदय कुमार, विद्यापति स्मारक समिति सहित अन्य कार्यालय संचालित होते हैं.
अत्यंत दयनीय हो चुकी है बिल्डिंग की हालतसुध लेनेवाला कोई नहीं
वर्ष 1960 में हुआ था आरआइटी बिल्डिंग का निर्माण, उसके बाद से नहीं हुई मरम्मत
टूट कर गिर रहा प्लास्टर और छज्जा, जिसकी चपेट में आकर कई लोग हुए हैं चोटिल
शौचालय और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव, महिलाओं को परेशानी
बिल्डिंग के भूतल पर हैं 14 दुकानें, पहले और दूसरे तल पर बने हैं 28 कार्यालय
भवन की स्थिति बेहद खराब है. जगह-जगह भवन का हिस्सा टूट कर गिर रहा है. कभी भी हादसा हो सकता है. सैप्टिक पाइप फटा हुआ है. गंदगी का अंबार है. पीछे और दायीं तरफ की जमीन खुला शौचालय बन गयी है.
आनंद कोठारी, अध्यक्ष, आरआइटी बिल्डिंग शॉपकीपर्स एसोसिएशन
आरआइटी बिल्डिंग की स्थिति बहुत ही दयनीय है. छज्जा टूट कर गिर रहा है. इसे देखनेवाला कोई नहीं है. हमेशा डर बना रहता है कि कब कहां का हिस्सा टूट कर गिर जायेगा और यहां के लोग उसकी चपेट में आ जायेंगे.
जयंत झा, दुकानदार

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