रांची: छात्रवृत्ति घोटाले में सरकार ने अब तक जिला कल्याण पदाधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं दी है. चतरा के उपायुक्त ने करीब एक माह पहले सरकार को पत्र लिखकर तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की अनुमति मांगी थी. साथ ही जांच रिपोर्ट की प्रति भी भेजी थी.
सरकार को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि चतरा में अभिषेक कुमार के नाम गलत तरीके से प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति देने से संबंधित मिली शिकायत की जांच की गयी. इसमें फर्जी जाति प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेज के आधार पर गलत तरीके से 1.32 लाख रुपये छात्रवृत्ति देने की बात प्रमाणित हुई. शिक्षण शुल्क के 50 हजार रुपये की जगह 1.32 लाख रुपये दिये गये. शिक्षण शुल्क की राशि का भुगतान चेक के माध्यम से शिक्षण संस्थान को करने के बदले छात्र के नाम पर ही दिया गया.
हजारीबाग सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से अभिषेक कुमार नामक युवक ने इस चेक को भुनाया. आवेदन पत्र में दिया गया अभिषेक कुमार का पता भी फरजी पाया गया. इस मामले के पकड़े जाने के बाद जिला कल्याण पदाधिकारी से आगे भी जांच करायी गयी. इसमें पाया गया कि 16 छात्र छात्रओं के छात्रवृत्ति के भुगतान में भारी गड़बड़ी की गयी है.
कल्याण विभाग के दिशा निर्देश के अनुसार प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति स्वीकृति के लिए चार प्रमाण पत्रों का होना आवश्यक है. इसमें जाति, आय, आवासीय और शिक्षण संस्थान द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र शामिल करना जरूरी होता है. अब तक की जांच में पकड़ में आये 16 मामलों में से किसी की छात्रवृत्ति स्वीकृति के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज नहीं पाये गये.
उदाहरण के तौर पर अरविंद कुमार को विनायक यूनिवर्सिटी (तामिलनाडु) का छात्र बताया गया है. जबकि आवेदन के साथ संस्थान का बोनाफाइड सर्टिफिकेट नहीं है. उपायुक्त ने फरजी और अधूरे प्रमाण पत्रों के आधार पर छात्रवृत्ति देने के मामले में व्यापक गड़बड़ी होने की आशंका जतायी है. उन्होंने इस मामले में तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी अवधेश कुमार सिन्हा व अन्य की संलिप्तता के मद्देनजर इस अफसर पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है.