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रांची : अपनी संस्कृति को संजो कर रखें आदिवासी
विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी सह सांस्कृतिक कार्यक्रम, बोले निदेशक जिस दिन आपकी संस्कृति व परंपरा खत्म हुई, उस दिन से पहचान खत्म हो जायेगी रांची : आदिवासियों को अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाये रखने की जरूरत है. वे स्थानीय भाषा में कार्यक्रम बनायें और प्रस्तुत करें. जिस दिन आपकी संस्कृति […]
विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी सह सांस्कृतिक कार्यक्रम, बोले निदेशक
जिस दिन आपकी संस्कृति व परंपरा खत्म हुई, उस दिन से पहचान खत्म हो जायेगी
रांची : आदिवासियों को अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाये रखने की जरूरत है. वे स्थानीय भाषा में कार्यक्रम बनायें और प्रस्तुत करें. जिस दिन आपकी संस्कृति और परंपरा खत्म हुई, उस दिन से विश्व में आपकी पहचान खत्म हो जायेगी. उक्त बातें पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के निदेशक अनिल कुमार सिंह ने कही.
वे गुरुवार को विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की ओर से खेलगांव स्थित डॉ रामदयाल मुंडा कला भवन में आयोजित संगोष्ठी सह सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि अब अखरा सो रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि आदिवासी समुदाय अपनी संस्कृति से विमुख हो रहा है. आदिवासीयत को बचाये रखने के लिए भाषा, संस्कृति, परंपरा, गीत-नृत्य के प्रति संवेदनशील होना होगा. जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ गिरिधारी राम गौंझू ने कहा कि आदिवासी संस्कृति विश्व आदिम साम्यवाद संस्कृति है. यह कार्ल मार्क्स से भी पहले का साम्यवाद है, जहां शांति, न्याय और स्वतंत्रता की बात कही गयी है. मौके पर डॉ आरपी साहू, डॉ हरि उरांव, डॉ केसी टुडू, डॉ दमयंती सिंकू, मान सिंह महतो आदि मौजूद थे.
खाली रह गयीं कुर्सियां : कार्यक्रम में कुर्सियां खाली रह गयीं. हालांकि कार्यक्रम के दौरान कई अधिकारी मौजूद थे. कार्यक्रम में कला संस्कृति मंत्री अमर कुमार बाउरी स्वास्थ्य खराब होने के कारण नहीं पहुंचे.
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