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झारखंड में मसूर व सरसों की इंटर क्रॉपिंग खेती की अनुशंसा
रांची : देश में राई-सरसों का क्षेत्र, उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा के साथ आइसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (राई-सरसों) की तीन िदवसीय बैठक बीएयू में संपन्न हो गयी. इसमें 17 राज्यों के कृषि विवि, शोध संस्थानों और निजी उद्योग क्षेत्र के 130 वैज्ञानिकों ने भाग लिया. आइसीएआर के […]
रांची : देश में राई-सरसों का क्षेत्र, उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा के साथ आइसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (राई-सरसों) की तीन िदवसीय बैठक बीएयू में संपन्न हो गयी. इसमें 17 राज्यों के कृषि विवि, शोध संस्थानों और निजी उद्योग क्षेत्र के 130 वैज्ञानिकों ने भाग लिया.
आइसीएआर के सहायक महानिदेशक (बीज) डॉ डीके यादव की अध्यक्षता में आयोजित समापन सत्र में राई एवं सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर, राजस्थान क्षेत्र के वैज्ञानिक डॉ एचके सिंह सहित ओपी प्रेमी, पुष्प शर्मा, अनुभूति शर्मा, अर्चना अनोखे, पीडी मीणा, भागीरथ राम, एके शर्मा और पीके राय ने अनुशंसाओं को रखा. निर्णय किया गया कि परियोजना के अंतर्गत विकसित किस्मों की आणविक फिंगर प्रिंटिंग के लिए सरसों अनुसंधान निदेशालय में आधुनिक सुविधा संपन्न प्रयोगशाला का विकास होगा.
अच्छी उत्पादन क्षमता वाले राई-सरसों के 15 जनन द्रव्यों के एडवांस्ड किस्म जांच के लिए अनुमोदित किये गये. प्रयोगों के आधार पर बेहतर उत्पादन के लिए झारखंड में मसूर-सरसों की अंतरवर्ती (इंटर क्रॉपिंग) खेती की अनुशंसा की गयी. इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ डीएन सिंह, आयोजन सचिव डॉ जेडए हैदर एवं परियोजना प्रभारी डॉ अरुण कुमार अादि उपस्थित थे.
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