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खुदाई में मिली बुद्ध की प्रतिमा

हजारीबाग : हजारीबाग जिला के सदर प्रखंड स्थित गुरहेत पंचायत के बहरनपुर में सैकड़ों साल पुरानी सभ्यता आज भी दफन है. इस गांव में खेतों की जुताई में किसानों को कई छोटे, मंझौले और बड़े आकार के नक्काशी किये पत्थर मिले हैं. वहीं हिंदू देवी-देवताओं और बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं. हालांकि कई मूर्तियां विखंडित […]

हजारीबाग : हजारीबाग जिला के सदर प्रखंड स्थित गुरहेत पंचायत के बहरनपुर में सैकड़ों साल पुरानी सभ्यता आज भी दफन है. इस गांव में खेतों की जुताई में किसानों को कई छोटे, मंझौले और बड़े आकार के नक्काशी किये पत्थर मिले हैं. वहीं हिंदू देवी-देवताओं और बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं.

हालांकि कई मूर्तियां विखंडित हैं. इतना ही नहीं शिलाओं से बने स्तंभ पर ध्यान मुद्रा में बैठे व्यक्ति की तस्वीर खुदी हुई है. एक खंडित शिला में महिला के नीचे भाग का हिस्सा है, जो वस्त्र और आभूषण से युक्त है. एक अष्टकोणीय पत्थर पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा है.
तालाब बनाने के दौरान मिले तीन कुएं: पिछले साल बहरनपुर के मंडरियातरी में जल छाजन के तहत जुलजुल पहाड़ की तराई में तालाब खुदाई का काम चल रहा था. खुदाई के दौरान करीब सात फीट नीचे एक-एक कर तीन कुएं मिले. सभी कुएं विशेष तरह की पक्की ईंट से बंधे हैं. इसका व्यास करीब छह फीट है. ईंट की मोटाई ढाई से तीन इंच और चौड़ाई करीब एक फीट है. जुलजुल पहाड़ के ऊपर तालाब और कुआं भी है.
पहाड़ की तराई में ईंट के टीले
गांव की 80 वर्षीय फूलमणि देवी ने बताया कि जुलजुल पहाड़ की तराई में ईंटे के कई टीले हैं. टीले कब से हैं, किसी को नहीं पता. इस जगह का नाम ईटवा टीला रखा गया है. गांव के लोगों को जब भी आंगन व सड़क के लिए थोड़ी बहुत ईंट की जरूरत होती है, तो वहां से उखाड़ कर ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि कई लोगों को उस स्थान से चांदी से भरी मिट्टी के पात्र मिले हैं. इसे लेकर गांव में किंवदंती प्रचलित है कि जिसने चांदी को उठा कर अपने घरों में रखा, उसके घर की बरकत नहीं हुई.

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