रांची : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने होटल रेडिशन ब्लू में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के मंत्री व वरीय अधिकारियों के साथ बैठक की. श्री शेखावत ने राज्य सरकार को जल संरक्षण और संचयन की पुख्ता योजना देने की मांग की. साथ ही आश्वासन दिया है कि योजना सही रही तो केंद्र सरकार आर्थिक सहयोग करेगी.
श्री शेखावत ने कहा कि पानी की बर्बादी नहीं हो, यह केंद्र सरकार की विशेष प्राथमिकता है. हर हाल में भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाना है ताकि आनेवाली पीढ़ी को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े. श्री शेखावत ने राज्य में जल संसाधन और पेयजल से जुड़ी लंबित योजनाओं की जानकारी ली.
मसानजोर डैम हमारी जमीन पर है, अधिकारी बंगाल सरकार का : बैठक में राज्य सरकार की ओर से स्वर्णरेखा परियोजना, उत्तर कोयल नदी परियोजना, बुढ़ई परियोजना, कोनार नहर परियोजना, कनहर सिंचाई परियोजना, कनहर पाइप लाइन परियोजना के चल रहे कार्यों से अवगत कराया गया और इन योजनाओं को पूर्ण करने में केंद्र से मदद मांगी गयी.
मंत्री रामचंद्र सहिस ने श्री शेखावत को मेमोरेंडम सौंपा.कहा है कि मसानजोर डैम झारखंड की जमीन पर है, लेकिन इस पर पश्चिम बंगाल सरकार का अधिकार है और इसका लाभ भी झारखंड को नहीं मिल रहा है. उन्होंने मसानजोर डैम को झारखंड के अधिकार क्षेत्र में देने का आग्रह किया.
305 किमी क्षेत्र में पौधरोपण का लक्ष्य
मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी ने कहा कि राज्य की छोटी-बड़ी 44 नदियों के किनारे 1366 किलोमीटर के दायरे में पौधरोपण हो चुका है, जबकि इस साल 274 किमी और 2020 में 305 किलोमीटर क्षेत्र में पौधरोपण का लक्ष्य है.पूरे राज्य में 1.7 करोड़ पौधे लगाये गये हैं और 820 चैकडैम और 13375 रिचार्ज पीट बनाये जा रहे हैं. बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह, एडिशनल सचिव अरुण बरोका, कमिश्नर के बोहरा, सहित राज्य के कई वरीय अधिकारी मौजूद थे.
- सुरक्षित माहवारी प्रबंधन व स्वच्छता पर बुकलेट जारी
- मंत्री ने कहा, बड़ी योजनाओं की बजाय छोटी-छोटी योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दें
बारिश के पानी का संचय करें : शेखावत
खेलगांव स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), पेयजल एवं स्वच्छता विभाग व जल शक्ति मंत्रालय के तत्वावधान में जलशक्ति सम्मेलन व क्षमतावर्द्धन की शुरुआत की गयी. मुख्य अतिथि जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि झारखंड में औसतन 1200 मिमी बारिश होती है, लेकिन पठारी इलाका होने से ज्यादातर बारिश का पानी बहकर बर्बाद हो जाता है पर इस अभियान के तहत चल रही योजनाओं से बारिश के पानी का काफी हद तक संचयन किया जा सकता है.