रांची : जंगल से 20 लाख आदिवासियों को बेदखल किये जाने के खिलाफ झारखंड के लेखक, कलाकार और संस्कृतिकर्मी 21 जुलाई को अलबर्ट एक्का चौक पर पौधा बांट कर विरोध करेंगे. इसका आयोजन झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा द्वारा किया जायेगा.
आदिवासी व मूलवासी लेखकों और साहित्यकारों की मांग है कि 24 जुलाई को होनेवाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट उस आदेश को निरस्त करे, जिसमें देश के 20 लाख आदिवासियों को जंगल से बाहर करने का निर्देश राज्य सरकारों को दिया गया है. पौधा वितरण के दौरान आदिवासी कवि जंगल संबंधी आदिवासी लोकगीत भी गायेंगे. अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने कहा कि हम अपनी बात सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने के लिए पौधा बांटेंगे और लोगों से अपील करेंगे कि वे 20 लाख आदिवासियों की बेदखली के खिलाफ एकजुट हों. आदिवासी अतिक्रमणकारी नहीं हैं.
सदियों से जंगल और वन्यजीवों के साथ उनका सहजीवी संबंध रहा है. सरकार ने भी 2017 की फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट में माना है कि उन जिलों में वनक्षेत्र का घनत्व बढ़ा है, जहां आदिवासियों की आबादी ज्यादा है. विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए झारखंड के साहित्यकारों ने एक संयुक्त अपील जारी की है.
इस कार्य में रोज केरकेट्टा, रेमिस कंडुलना, जोवाकिम तोपनो, सयसरण उरांव, जोवाकिम डुंगडुंग, मार्टिन सुरीन, सिकरादास तिर्की, इलियस बा, जॉन डेनिस होरो, जीतू उरांव, सलोमी एक्का, इंदिरा विरूवा, आदित्य मांडी, जॉन डेनिस होरो, वंदना टेटे आदि लगे हैं.