कृष्ण बिहारी मिश्र
मैं इन दिनों जयपुर प्रवास में हूं. यहां रह रहे मेरे मित्रों ने बताया कि भाई आप आध्यात्मिक व्यक्ति हैं. सावन का महीना भी चल रहा है, चलिए भगवान झारखंड महादेव से मिलकर आते हैं. जैसे ही मेरे मित्र ने झारखंड शब्द कहा और उसमें महादेव मिलाया तो मुङो आश्चर्य हुआ. भला राजस्थान में झारखंड कहां से आ गया? और यहां के महादेव, झारखंड महादेव कैसे हो गये.
उत्सुकतावश हम भी झारखंड महादेव की ओर चल पड़े. जयपुर जंक्शन से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर हैं – झारखंड महादेव. यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में राजस्थान के विभिन्न जिलों से लोगों का आना होता है, और जैसे वैद्यनाथधाम में लोग बाबा वैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं, ठीक उसी प्रकार जयपुर के झारखंड महादेव पर भी लोग जलार्पित करते हैं.
सोमवार के दिन तो इनकी महत्ता देखते बनती हैं. राज्य सरकार भी इन पर खूब आस्था रखती है. इन दिनों राजस्थान सूखे की चपेट में हैं. वसुंधरा सरकार ने बाबा झारखंड महादेव का जलाभिषेक कराया और राजस्थान में बारिश हो, इसकी प्रार्थना की, और लीजिये तब से राजस्थान के हर इलाके में वर्षा शुरू हो चुकी है. आप इसे अंधविश्वास भी कह सकते हैं, पर जिन्होंने इसे महसूस किया, उसे आपके इस अंधविश्वास कहने का कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां ऐसी मान्यता है कि भारत के पंचनाथों में पूर्व दिशा में श्री जगन्नाथ, उत्तर में बद्रीनाथ, पश्चिम में सोमनाथ, दक्षिण में रामनाथ यानी रामेश्वरम और मध्य में श्री झारखंडनाथ यानी जयपुर में झारखंड महादेव हैं. लोग बताते हैं कि चारों नाथों के दर्शन कर लिये और झारखंड नाथ के नहीं, तो तीर्थ पूरी नहीं हुई.