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रांची : 30% से अधिक रैयती भूमि पर पौधरोपण नहीं करायेगा विभाग
रांची : वन विभाग ने तय किया है कि नदी तट पर होनेवाले पौधरोपण के दौरान इस बात का ख्याल रखा जायेगा कि किसी भी रैयत की 30 फीसदी से अधिक जमीन नहीं ली जाये. वन विभाग ने नदी तट पर होनेवाले पौधरोपण के दौरान पड़नेवाली रैयतों की जमीन के उपयोग के लिए एक कमेटी […]
रांची : वन विभाग ने तय किया है कि नदी तट पर होनेवाले पौधरोपण के दौरान इस बात का ख्याल रखा जायेगा कि किसी भी रैयत की 30 फीसदी से अधिक जमीन नहीं ली जाये. वन विभाग ने नदी तट पर होनेवाले पौधरोपण के दौरान पड़नेवाली रैयतों की जमीन के उपयोग के लिए एक कमेटी बनायी थी.
कमेटी के अध्यक्ष विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक विक्रम सिंह गौड़ थे. सदस्य सचिव वनरोपण शोध एवं मूल्यांकन के वन संरक्षक कमलेश पांडेय थे. कमेटी में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजीव रंजन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज सिंह तथा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में एटी मिश्र थे. कमेटी ने तय किया है कि नदी तट पर पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान गैर मजरुआ जमीन को प्राथमिकता दी जाये.
अगर ऐसा संभव नहीं हो तो ऐसी जमीन ही चिह्नित की जाये, जहां अधिकतम 30 फीसदी भूमि ही रैयत की पड़े. इसके लिए रैयत से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा. जमीन मालिक के साथ एक एकरारनामा भी किया जायेगा. कमेटी ने तय किया है कि नदी तट पर अधिकतम 40 मीटर किनारे तक ही पौधरोपण किया जायेगा, चाहे यह किसी तरह की भूमि हो.
200 किलोमीटर नदी तट पर प्लांटेशन की योजना : वन विभाग ने बरसात के मौसम में 200 किलोमीटर नदी तट पर पौधरोपण की योजना तैयार की है. इसके लिए सभी जिलों में नदियों को चिह्नित किया गया है. पिछले साल 135 किलोमीटर नदी तट पर वन विभाग ने पौधरोपण कराया था. इसका उद्देश्य नदियों के किनारे की मिट्टी कटाव को रोकना है.
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