रांची : सरायकेला-खरसावां और चाईबासा बोर्डर पर करीब एक साल से हार्डकोर नक्सलियों का दस्ता सक्रिय है. जो समय-समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. सरायकेला के कुचाई जंगल में कुछ माह पूर्व स्पेशल एरिया कमेटी (सैक) से पदोन्नति पाकर सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना कुख्यात माओवादी नेता अनल दा उर्फ तूफान दा उर्फ पतिराम मांझी अपने दस्ता के साथ करीब एक साल से डेरा डाले हुए है.
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सरायकेला के कुचाई जंगल में लंबे समय से मौजूद है पतिराम का दस्ता
रांची : सरायकेला-खरसावां और चाईबासा बोर्डर पर करीब एक साल से हार्डकोर नक्सलियों का दस्ता सक्रिय है. जो समय-समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. सरायकेला के कुचाई जंगल में कुछ माह पूर्व स्पेशल एरिया कमेटी (सैक) से पदोन्नति पाकर सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना कुख्यात माओवादी नेता अनल दा उर्फ तूफान दा उर्फ […]
पतिराम की सुरक्षा की जिम्मेदारी महाराज प्रमाणिक व अन्य नक्सलियों के कंधे पर है. पतिराम माझी गिरिडीह जिला के पीरटांड़ थाना अंतर्गत पीपराडीह गांव का रहनेवाला है. पतिराम माझी की गतिविधियां व आतंक झारखंड के पारसनाथ पहाड़ी, सारंडा, कोल्हान, पोड़ाहाट में भी रहा है. खूंटी, सरायकेला-खरसावां व पश्चिमी सिंहभूम जिले का बॉर्डर नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता है.
बॉर्डर से सटे तीनों जिले को जोड़ने वाले जोमरो गांव के आसपास पिछले एक साल में चार से अधिक मुठभेड़ हो चुकी है. अक्तूबर 2018 में जोमरो के ही डेंडर गांव में हुई मुठभेड़ में एक करोड़ रुपये का इनामी नक्सली असीम मंडल उर्फ आकाश व प्रशांत बोस दस्ते का नाम सामने आया था. दिसंबर 2018 के कोबरा बटालियन 209 के साथ जोमरो गांव के पास सिंदरीपीड़ी से आगे सीरीबुरू गांव में महाराज प्रमाणिक दस्ता के साथ मुठभेड़ हुई थी. इसी तरह कोल्हान क्षेत्र में सक्रिय नक्सली आकाश के दस्ते में अब 15 सदस्य हैं.
इसमें नौ पुरुष और सात महिलाएं हैं. तीन महिलाएं आकाश उर्फ राकेश की सुरक्षा में रहती हैं. विभागीय सूत्रों के मुताबिक चाईबासा जिला में फिलवक्त माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ के इनामी किशन दा, मिसिर बेसरा के अलावा विवेक उर्फ प्रयाग दा, सुरेश मुंडा और जीवन कंडुलना का दस्ता मौजूद है. हालांकि खुफिया सूत्र यह भी बताते हैं कि घटना के पीछे पश्चिम बंगाल से आये नक्सलियों का हाथ प्रतीत होता है. जांच के बाद पता चलेगा कि घटना के पीछे सीधे तौर पर किसका हाथ है.
घटना के पीछे खुफिया सूचना का अभाव या पुलिस की चूक
जिस ढंग से नक्सलियों ने पुलिस को निशाना बनाया, उससे साफ है कि खुफिया महकमा के स्तर पर कहीं न कहीं सूचना संग्रह समय पर नहीं हुई या फिर नक्सलियों द्वारा लगातार कार्रवाई किये जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस ने चीजों को गंभीरता से नहीं लिया. क्योंकि जन समस्या के निपटारे के बाद पुलिसकर्मी मछली खरीद कर आराम से हाट में घूम रहे थे और आसानी से नक्सलियों ने उन्हें निशाना बना लिया. यह जांच के बाद पता चलेगा कि किस स्तर पर चूक हुई है.
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