रांची :बदलते सामाजिक परिवेश में अगर Me Too कैंपेन की जरूरत थी तो क्या MenToo कैंपेन की जरूरत नहीं है? यह सवाल आज हमारे समाज में चर्चा का विषय बन गया है. ट्विटर पर तो आज #StopFakeRapeCase ट्रेंड कर रहा था, जिसमें लोग यह कह रहे थे कि पुरुषों पर झूठा रेप का आरोप लगाया जाता है और उन्हें सामाजिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. हालिया हाईप्रोफाइल मामला टीवी एक्टर करण ओबेराय का है, जिसपर उनकी उनकी लिव इन पार्टनर ने रेप का आरोप लगाया था.
मीटू कैंपेन के दौरान भी कई ऐसे मामले सामने आये, जिसमें यह कहा गया कि सहमति के साथ बने संबंधों को बाद में महिलाएं रेप का नाम देकर फायदा उठाती हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि संविधान ने स्त्री-पुरुष दोनों को समान अधिकार दिया है और लिंग आधारित कोई भेदभाव नहीं किया है, ऐसे में अगर समाज में लिव इन रिलेशनशिप बन रहे हैं और लोग स्वेच्छा से इसमें रह रहे हैं, तो क्या ब्रेकअप के बाद साथी पर रेप का आरोप लगाना उचित है? गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह बात मानी है कि लिव इन रिलेशन में रहने के बाद महिला अपने साथी पर रेप का आरोप नहीं लगा सकती है.
अपनी महिला मित्र के साथ एक अच्छा समय बिताने के बाद जब ब्रेकअप हुआ तो रवि( बदला हुआ नाम) की जिंदगी में भूचाल आ गया. रवि का कहना है कि हमदोनों के बीच सबकुछ पहले से स्पष्ट था, मैंने कभी उससे यह नहीं कहा था कि मैं आपसे शादी करूंगा. वो एक विवाहित, पति से अलग रह रही महिला थी, जिसका एक बच्चा भी था. हम फेसबुक के जरिये करीब आये थे.
जब मैं पहली बार उनसे मिला, तो उसने अपनी कहानी कुछ ऐसी बतायी कि वह अकेली है, पति ने छोड़ दिया है, मां-बाप ने भी घर से निकाल दिया है और वह बच्चे को पढ़ाने के लिए स्ट्रगल कर रही है. मेरा उनसे लगाव हो गया. हम मिलने-जुलने लगे. मैं उनके कमरे पर जाता था, कई बार उनके घर पर रूका भी. लेकिन हमारे बीच शारीरिक संबंध जैसा कुछ नहीं था, मैं हमेशा उनकी मदद करता था. हमारे बीच अच्छी दोस्ती थी, उनका मुझसे लगाव कुछ ज्यादा था, जो दिखता था, इसलिए शादी के बारे में मैंने पहले ही सबकुछ क्लियर कर दिया था, फिर किसी बात पर अनबन हुई और हम अलग हो गये. फिर एक दिन अचानक पुलिस आयी और मुझे थाना ले गयी. मुझे जेल जाना पड़ा उन्होंने शिकायत दर्ज करायी जिसके कारण मुझे जेल तक जाना पड़ा. मेरा यही कहना है कि हमारे बीच जो कुछ भी था, वह सहमति से था. मैंने दोस्ती के लिए दबाव नहीं डाला था, तो फिर ब्रेकअप के बाद यौन हिंसा का आरोप क्यों?
मैंने कुछ नहीं किया था उनके साथ. मेरा यही कहना है कि इस तरह के केस में लड़कों को ही क्यों साबित करना पड़ता है कि हम निर्दोष हैं. आप लड़की के बयान को सच मान लेते है, जबकि आपको पूरी जांच करनी चाहिए, यह जानना चाहिए कि सच क्या है, फिर किसी को अपराधी बताना चाहिए. इस तरह के कानून में बदलाव होना चाहिए. हमें भी अपनी बात रखने का मौका मिले सीधे जेल भेज देना कितना सही है? मेरा पूरा परिवार मेरी गिरफ्तारी से सदमे में आ गया. हमारे परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल हो गयी, जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी. क्या इसपर कानून बनाने वालों को नहीं सोचना चाहिए. आखिर मेरी गलती क्या थी? महिला ने अपने बच्चे के नाम पर मुझे इमोशनली कई बार मजबूर किया था, आखिर क्या इन सबके लिए मैं ही दोषी हूं?
भागलपुर, बिहार के चंदन कुमार का कहना है कि आपसी सहमति से बने रिलेशनशिप में रेप जैसे शब्द की जरूरत ही नहीं है, यह बहुत ही गलत है. जब दो लोग राजी खुशी हैं, तो फिर उसमें जबरदस्ती के लिए जगह कहां है?
झारखंड लोहरदगा के रंजीत कुमार प्रजापति का कहना है कि आदमी की मानसिकता से सबकुछ तय होता है. अगर आपका साथी सही सोच का है तो फिर कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन अगर आपका साथी गलत सोच रखता है तो परेशानी बढ़ सकती. लेकिन आपसी समझ से इसे दूर किया जा सकता है.