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रांची : किसानों की दशा बदलने के लिए चलेगा अभियान, आरबीआइ का वित्तीय साक्षरता सप्ताह शुरू

तीन से सात जून तक चलेगा अभियान रांची : किसानों की आय में वृद्धि हो, इसके लिए आरबीआइ की ओर से विशेष अभियान चलाया जायेगा. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के तहत तीन से सात जून तक वित्तीय संस्थान किसानों को बैंकिंग लेन-देन के प्रति जागरूक करेंगे. यह पहला मौका है जब आरबीअाइ किसानों को लक्षित कर […]

तीन से सात जून तक चलेगा अभियान
रांची : किसानों की आय में वृद्धि हो, इसके लिए आरबीआइ की ओर से विशेष अभियान चलाया जायेगा. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के तहत तीन से सात जून तक वित्तीय संस्थान किसानों को बैंकिंग लेन-देन के प्रति जागरूक करेंगे.
यह पहला मौका है जब आरबीअाइ किसानों को लक्षित कर इतने बड़े कार्यक्रम की शुरुआत कर रहा है. आरबीआइ क्षेत्रीय कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी दी गयी. आरबीआइ के क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव दयाल ने कहा कि देश में 58 % लोगों की निर्भरता कृषि आय पर है. लिहाजा उच्च विकास दर हासिल करने व जीडीपी में इसका अंशदान बढ़ाने के लिए किसानों की दशा में परिवर्तन लाना बेहद जरूरी है.
उन्होंने कहा कि योजना को वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लघु वित्त संस्थाओं, ग्रामीण व सहकारी बैंकों और समितियों के द्वारा कार्यान्वित किया जाना है. इस मौके पर आरबीआइ के एजीएम राजेश तिवारी, नाबार्ड के सीजीएम के साथ ही लीड बैंकों के प्रमुख उपस्थित थे.
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए किया जायेगा प्रोत्साहित : श्री दयाल ने कहा कि किसान सिर्फ खेती के लिए कर्ज नहीं लेता, वो अपनी शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और अन्‍य बुनियादी जरूरतों के लिए भी कर्ज लेता है.
कृषि उत्‍पादन संबंधी आवश्‍यकताओं और नकदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके इसके लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. यह भी कहा कि राज्य में किसान क्रेडिट कार्ड योजना के बेहतर परिचालन के लिए बैंकों को दिशा निर्देश दिये गये हैं. केसीसी ऋण के तहत एनिमल हसबैंडरी और फिशरिज को भी शामिल किया गया है. लोन के लिए कोलेक्ट्राल सिक्योरिटी के तौर पर मिलने वाले लोन की राशि को भी बढ़ा कर एक लाख से बढ़ा कर 1.6 लाख कर दिया गया है.
क्या है उद्देश्य
वित्तीय साक्षरता का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली से एकल खिड़की के तहत किसानों को उनकी खेती और अन्य जरूरतों के लिए पर्याप्त और समय पर सरल तरीके से ऋण सहायता प्रदान करना है. पीओएस मशीन में रुपे कार्ड की तरह इस्तेमाल के साथ ही डिजिटल ट्रांजेक्शन के साथ मोबाइल बैंकिंग के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना लक्ष्य.
झारखंड की वास्तविक स्थिति
बैंक और सरकार के आंकड़ों में किसानों की संख्या में भारी अंतर है. सरकार कृषि कार्य में संलग्न 39 लाख किसानों की मौजूदगी की बात कहती है. इस आधार पर बाकी बचे 21 लाख किसानों को केसीसी सुविधा प्रदान करना शेष है. जबकि बैंकों का मानना है कि इनमें बड़ी संख्या में एनपीए वाले किसान हैं.
किसानों को लक्ष्य से मिल रहा कम ऋण
राज्य में 17,35,758 किसान परिवारों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है. इनमें से 15 लाख 63 हजार केसीसी को रुपे कार्ड (एटीएम कार्ड) के तौर पर बदला जा चुका है. 1 लाख 72 हजार से ज्यादा केसीसी को अब भी रुपे कार्ड में बदलने का इंतजार है. वार्षिक क्रेडिट प्लान से उलट मात्र 45.88 प्रतिशत लोन का वितरण हुआ है, जो राष्ट्रीय औसत से 18 प्रतिशत कम है. यह पिछले वर्ष बांटे गये कुल ऋण से 3 प्रतिशत और घट गया है.

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