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10 वर्षों के बाद झारखंड को मिलीं दो महिला सांसद

सुनील चौधरी, रांची :झारखंड को 10 वर्षों के बाद कोई महिला जनप्रतिनिधि मिली हैं. वह भी दो-दो महिला सांसद. दोनों महिलाएं झारखंड के दो दिग्गजों को हराकर सांसद बनी हैं. कोडरमा सीट से भाजपा की अन्नपूर्णा देवी भारी मतों से विजयी हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी झाविमो सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को हराया […]

सुनील चौधरी, रांची :झारखंड को 10 वर्षों के बाद कोई महिला जनप्रतिनिधि मिली हैं. वह भी दो-दो महिला सांसद. दोनों महिलाएं झारखंड के दो दिग्गजों को हराकर सांसद बनी हैं. कोडरमा सीट से भाजपा की अन्नपूर्णा देवी भारी मतों से विजयी हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी झाविमो सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को हराया है.

वहीं, प. सिंहभूम सीट से कांग्रेस की गीता कोड़ा ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष व निवर्तमान सांसद लक्ष्मण गिलुवा को हरा कर यह सीट हासिल की है. श्रीमती कोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं. दोनों महिलाओं की जीत वह भी दिग्गजों को हरा कर चौंकाने वाला माना जा रहा है. झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं.
पहली बार पार्टी में शामिल हुई और जीती : चुनाव के ठीक पहले अन्नपूर्णा देवी राजद की प्रदेश अध्यक्ष थीं. उन्होंने टिकट घोषणा के ठीक पहले पाला बदला और भाजपा में शामिल हो गयीं. उनके शामिल होते ही भाजपा ने कोडरमा से उन्हें उम्मीदवार बना दिया.
भाजपा का यह फैसला सही साबित हुआ और अन्नपूर्णा देवी ने जीत हासिल की. इसी तरह प. सिंहभूम से गीता कोड़ा कांग्रेस में शामिल होने के पूर्व जय भारत समानता पार्टी में थीं. वह इस पार्टी से विधायक भी हैं. चुनाव के ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था.
1957 से ही झारखंड को मिलती रही है महिला सांसद : झारखंड में महिला सांसदों का इतिहास पुराना रहा है. वर्ष 1957 में सबसे पहले रामगढ़ राजपरिवार की ललिता राजलक्ष्मी हजारीबाग से सांसद बनी थीं. वह छोटानागपुर संताल परगना से जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बनी थीं. इसके बाद 1962 में वह दोबारा पलामू लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनीं. पलामू से ही कमला कुमारी भी सांसद बनीं.
कमला कुमारी 1967, 1972, 1980 और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर पलामू से सांसद चुनी गयी थीं. यही नहीं चतरा सीट पर भी रामगढ़ राजघराने का प्रभाव था. 1957 से लेकर 1971 तक रामगढ़ राजघराने की महारानी विजया राजे तीन बार लगातार चतरा से सांसद चुनी गयीं थी. वह पहली बार 1957 में सीएसपीजेपी से, 1962 में स्वतंत्र पार्टी से और 1967 में निर्दलीय सांसद चुनी गयीं.
रीता वर्मा भी उभरी राजनीति में : झारखंड की राजनीति में महिला नेतृत्व में एक नाम रीता वर्मा का भी चर्चित रहा है. वह धनबाद में एसपी रहे रणधीर वर्मा की पत्नी हैं. धनबाद के तत्कालीन एसपी रणधीर वर्मा बैंक डकैती के दौरान अपराधियों के साथ मुठभेड़ कर रहे थे.
इसी दौरान एक अपराधी ने उन्हें गोली मार दी और उनकी मौत हो गयी. आज धनबाद के उसी स्थान पर स्व. रणधीर वर्मा चौक है. इसके बाद भाजपा ने उनकी पत्नी रीता वर्मा को पहली बार 1991 में धनबाद सीट से उम्मीदवार बनाया और श्रीमती वर्मा भाजपा के टिकट पर सांसद चुनी गयीं. फिर 1996, 1998 और 1999 में भी सांसद चुनी गयीं. बाद में 2009 से उन्हें टिकट नहीं मिला.
तीन-तीन बार लोहरदगा की सांसद रह चुकी हैं सुमति उरांव : कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कार्तिक उरांव की पत्नी सुमति उरांव ने पति के विरासत को लोहरदगा सीट पर बचाये रखा.वह दो बार सांसद का चुनाव और एक बार उपचुनाव जीत चुकी हैं. 1981 में उनके पति व लोहरदगा के सांसद कार्तिक उरांव के निधन के बाद सुमति उरांव वहां से उपचुनाव जीत कर सांसद बनीं. फिर 1984 में और 1989 में वह सांसद बनीं.
खूंटी से सुशीला केरकेट्टा भी रह चुकी हैं सांसद : खूंटी लोकसभा सीट से पहली बार महिला सांसद के रूप में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा सांसद बनीं. वर्ष 2004 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और भाजपा के वरिष्ठ नेता कड़िया मुंडा को हरा कर जीत हासिल की थी.
जमशेदपुर से आभा महतो और सुमन महतो भी रह चुकी हैं सांसद : जमशेदपुर को पहली महिला सांसद 1998 में मिलीं. भाजपा की आभा महतो ने यहां जीत दर्ज की थी. 1999 में भी उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद झामुमो के टिकट पर स्व. सुनील महतो की पत्नी सुमन महतो भी जमशेदपुर की सांसद रहीं.
झामुमो के टिकट पर स्व. सुनील महतो 2004 में भाजपा की आभा महतो को हराकर सांसद बने. सांसद रहते हुए उनकी हत्या नक्सलियों ने कर दी थी. तब 2007 में हुए उपचुनाव में सुमन महतो वहां की सांसद बनीं. हालांकि 2009 के चुनाव में भाजपा के अर्जुन मुंडा ने उन्हें हरा दिया था.

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