संजीव सिंह, रांची
12 जुलाई को रांची विश्वविद्यालय 54 साल का हो जायेगा. 12 जुलाई 1960 को स्थापित इस विवि में 54 साल में कई उतार चढ़ाव आये. विवि में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती गयी, जबकि शिक्षकों व प्राचार्यो की संख्या घटती चली गयी. आज यूजीसी के मापदंड के अनुसार जहां शिक्षक व छात्र का अनुपात एक और 40 का होना चाहिए. वहीं आज रांची विवि में यह अनुपात एक और 105 का हो गया है. इस कारण विवि में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
विवि में 12 सौ शिक्षकों की जगह 563 शिक्षक ही कार्यरत हैं. जबकि विवि में 22 पीजी विभाग, 15 अंगीभूत कॉलेज, 55 संबद्ध कॉलेज व पांच अल्पसंख्यक कॉलेज हैं. सिर्फ पीजी व अंगीभूत कॉलेजों में 55 हजार विद्यार्थी हैं, जबकि संबद्ध व अल्पसंख्यक कॉलेजों को मिलाकर लगभग 75 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. वर्तमान में विवि में 38 प्रोफेसर, 79 रीडर और 171 व्याख्याता के पद वर्षो से रिक्त हैं. विवि में 1980, 1982, 1996 और 2008 में ही कुछ शिक्षकों की नियुक्ति हो सकी है. स्थिति तो यह है कि वर्ष 2008 में जो शिक्षक बहाल हुए, उनका मामला सीबीआइ के हवाले है. लगभग छह साल बाद भी इन शिक्षकों की सेवा संपुष्ट नहीं हो सकी है.
विवि में वर्ष 1976 में जो पद सृजन हुए हैं. उसी से काम चलाया जा रहा है. जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में शिक्षकों की ज्यादा कमी है. किसी तरह 40 पद सृजित भी हुए, लेकिन बहाली नहीं हो सकी. शिक्षकों की कमी के कारण विवि अभी तक नैक से निरीक्षण नहीं करा सका.