संजय यादव / मनोज सिंह
भाजपा छठी बार, कांग्रेस नौवीं बार जीतने की जुगत में,
रांची : रांची संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर है. यहां छह मई को मतदान होना है. राजधानी होने के कारण बड़े-बड़े नेताओं का राज्य के दूसरे हिस्सों का चुनावी दौरा यहीं से हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के रांची में रोड शो के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह है.
कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय के पक्ष में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बाघेल, गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल प्रचार कर चुके हैं. यहां अंडरकरंट है, जिसे समझने की कोशिश में राजनीतिक महारथी लगे हुए हैं. यह करंट किसे झटका देगा, यह 23 मई को नतीजा आने के बाद ही पता चलेगा.
कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इस बार इस सीट पर एक ओर 1977 से चुनावी राजनीति में शामिल सुबोधकांत सहाय महागठबंधन के प्रत्याशी हैं, वहीं चेंबर के पूर्व अध्यक्ष और अपने पुराने कार्यकर्ता संजय सेठ को भाजपा ने मैदान में उतारा है. कुल 20 प्रत्याशी इस बार चुनावी दंगल में हैं, जिनमें रांची के वर्तमान सांसद रामटहल चौधरी भी हैं.
यह इस चुनाव का महत्वपूर्ण एंगल हैं. इनकी जाति की बड़ी आबादी इस संसदीय क्षेत्र में है. रांची जिले के मांडर को छोड़ करीब-करीब सभी ब्लॉक इस संसदीय क्षेत्र में आते हैं. यहां करीब 36 फीसदी आबादी ओबीसी की है. एससी की आबादी 10 लाख से अधिक है. सरायकेला-खरसांवा जिले का ईचागढ़ भी इसी संसदीय सीट का हिस्सा है. इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं.
वोट समीकरण 19,10,955
कुल मतदाता (पिछले लोस चुनाव से करीब 16% अधिक)
9,98,392 पुरुष
9,12,510 महिला
53 थर्ड जेंडर
रांची
कुल मतदाता 326909
जीएसटी, विकास के साथ स्थानीय समस्या पर भी है नजर
रांची विधानसभा में राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास तथा सामाजिक सौहार्द को वोटर मुद्दा मानते हैं, पर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो उम्मीदवार के अनुभव व क्षमता के आधार पर वोट देने की बात करते हैं. कुंदन कुमार कहते हैं, भले चुनाव लोस का है, पर स्थानीय समस्या व विकास पर ही हमारा फोकस है.
हम वैसे उम्मीदवार को समर्थन करेंगे, जो हमारी समस्याअों को कम कर सके. लालपुर की रागिनी सिन्हा कहती हैं, भाजपा की नीतियां ठीक है. देश मजबूत हो रहा है. हमारे लिए पार्टी महत्वपूर्ण है.
हटिया
कुल मतदाता 421487
गांव में अलग, शहर आते-आते बदल जा रहा है मुद्दा
हटिया विस क्षेत्र से कभी सुबोधकांत सहाय विधायक हुआ करते थे. उन्होंने यहीं से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. अभी इस सीट से भाजपा के विधायक हैं. यहां शहरी और ग्रामीण इलाका मिला हुआ है. एचइसी इलाका भी इसी क्षेत्र में पड़ता है. नगर निगम का भी कुछ इलाका इसमें आता है.
पीएम मोदी के रोड शो के बाद शहरी इलाकों में भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है. संजय सेठ के समर्थन में हटिया विधायक नवीन जायसवाल कई इलाकों में घूम रहे हैं. जायसवाल यहां से दो बार विधायक रहे हैं.
कांके
कुल मतदाता 390251
नहीं है कोई शोर, लगा रहे अंदर-अंदर जोर
राजधानी के कुछ शहरी इलाकों से लेकर खलारी तक फैले कांके विस क्षेत्र में चुनावी शोर नहीं है. इस सीट पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा है. हालांकि उसके उम्मीदवार बदलते रहे हैं. टक्कर हमेशा कांग्रेस से रही है. लोस चुनाव में भी दोनों दल जोर लगा रहे हैं. रामटहल चौधरी के नाम का भी शोर है. संजय सेठ के समर्थन में रामटहल चौधरी के ननिहाल में सीएम रोड शो कर चुके हैं. कांके से सुबोधकांत सहाय का पुराना रिश्ता है.
ईचागढ़
कुल मतदाता 198501
शहरी मूड से अनजान विकास ही बड़ा मुद्दा
यह विस क्षेत्र सरायकेला-खरसांवा जिले में पड़ता है. यहां की जनता को शहरी मूड और बाकी संसदीय क्षेत्र की गतिविधियों का पता नहीं चल पा रहा है. यह रांची से करीब 100 किमी दूर है, जबकि अधिकतर प्रत्याशी रांची के हैं. लिहाजा, प्रत्याशियों को भी एक-दो रात यहीं गुजारनी पड़ती है. तीनों प्रमुख उम्मीदवार यहां पहुंच रहे हैं. सेठ सरकार की योजनाएं गिना रहे हैं. सहाय सरकार की कमियां बता रहे हैं. यहां विकास अहम मुद्दा है.
खिजरी
कुल मतदाता 323356
मोदी, महतो व सीएनटी पर टिका चुनावी माहौल
मोदी, महतो और सीएनटी, इन्हीं तीन फैक्टर के आधार पर यहां के वोटर बंटे हुए हैं. मोदी फैक्टर को अहम मानने वाले सरकार से मिली सुविधाअों के साथ-साथ पुलवामा व एयर स्ट्राइक का बखान करते हैं. वहीं, अनगड़ा के हरि उरांव कहते हैं, हमारा समर्थन सीएनटी व एसपीटी एक्ट की सुरक्षा के सवाल पर तय होगा. महतो वाला फैक्टर भी खिजरी में हावी है. महतो का टिकट काट कर गैर महतो को देने से महतो वोटर नाराज हैं.
सिल्ली
कुल मतदाता 250451
बिजली-बत्ती के साथ अभिनंदन की भी चर्चा
सिल्ली विस में भी गैस चूल्हा, बिजली व अभिनंदन के मुद्दे पर मतदान करने वाला एक तबका है. ऐसे लोग इसी की हवा बता रहे हैं. कहते हैं देश की बात है. इस क्षेत्र में भी महतो मतदाता स्वजातीय उम्मीदवार न होने को मुद्दा मानते हैं, पर जनजातीय लोगों का मत अलग है.वे जंगल व जमीन को मुद्दा मानते हैं. सिल्ली के दिलीप उरांव ने कहा कि यहां सबसे बड़ा मुद्दा जमीन है. सीएनटी एक्ट, वनवासी कानून व ऐसे दूसरे मुद्दों पर ही हमलोग अपना मत देंगे.