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बढ़ गयी लागत धनबाद मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की

रांची: सरकारी अफसरों की लापरवाही से धनबाद मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की लागत में 1.44 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. चार साल से पुनरीक्षित एस्टिमेट की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिलने से स्पोटर्स कांप्लेक्स का निर्माण अधूरा है. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने ऑडिट के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है. पीएजी […]

रांची: सरकारी अफसरों की लापरवाही से धनबाद मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की लागत में 1.44 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. चार साल से पुनरीक्षित एस्टिमेट की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिलने से स्पोटर्स कांप्लेक्स का निर्माण अधूरा है.

प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने ऑडिट के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है. पीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 34 वें राष्ट्रीय खेल के कुछ हिस्सों को धनबाद में आयोजित करने का फैसला लिया गया था, इसलिए खेल विभाग ने 2007 में धनबाद में मेगा स्पोटर्स कांप्लेक्स बनाने की प्रशासनिक स्वीकृति दी थी. भवन निर्माण विभाग से 4.83 करोड़ की लागत से इसे बनाने की तकनीकी स्वीकृति मिली. मेसर्स इस्ट इंडिया कंस्ट्रक्श्न कंपनी को स्पोटर्स कांप्लेक्स बनाने का काम मिला. मार्च 2008 के एकरारनामे के तहत 4.41 करोड़ की लागत पर स्पोटर्स कांप्लेक्स बनाने का काम जून 2009 तक पूरा करना था. काम बढ़ने के बाद इसकी लागत 4.41 करोड़ से बढ़ कर 5.48 करोड़ रुपये हो गयी. कार्यपालक अभियंता ने 2010 में बढ़े हुए एस्टिमेट की प्रशासनिक स्वीकृति मांगी. खेल विभाग ने जून 2014 तक इसकी स्वीकृति नहीं दी.

ठेकेदार को 3.56 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया

कार्यपालक अभियंता ने ठेकेदार को कांप्लेक्स के मूल प्लान में जोड़े गये हिस्से के निर्माण का आदेश दिया था. इसके आलोक में ठेकेदार ने काम शुरू किया. हालांकि विभाग द्वारा इसकी प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से ठेकेदार ने मई 2012 में काम बंद कर दिया. कांप्लेक्स के पास से गुजर रहे 33 केवी बिजली के तार को भी नहीं हटाया गया. खेल सचिव ने 2012 में स्पोटर्स कांप्लेक्स का निरीक्षण किया. उन्होंने ठेकेदार पर काम में दिलचस्पी नहीं लेने का आरोप लगाते हुए एकरारनामा रद्द करने और नये सिरे से टेंडर करने का निर्देश दिया. इसके बाद भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से जनवरी 2013 में एकरारनामा रद्द कर दिया. ठेकेदार को उसके काम के बदले 3.56 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जमानत की राशि जब्त कर ली गयी. कार्यपालक अभियंता ने मई 2013 में नये सिरे से 6.92 करोड़ रुपये का एस्टिमेट तैयार किया और उसकी प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजी. विभाग ने अब तक पुनरीक्षित प्राक्कलन पर अपनी स्वीकृत नहीं दी है. इससे न तो बाकी बचे काम के लिए टेंडर हो रहा है न ही निर्माण कार्य पूरा हो रहा है.

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