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रांची : हाइटेक प्रचार में राष्ट्रीय दलों को टक्कर दे रहे हैं क्षेत्रीय दल

वोटरों को लुभाने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल कर रहे नेता रांची : चुनाव में नेताओं की जंग का रंग दिखना शुरू हो गया है. चुनावी बिगुल बजने के साथ ही प्रचार का शोर होने लगा है. चुनावी दंगल का कोलाहल गली-गली गूंजने लगा है. नित नयी टेक्नोलॉजी से लैस होती दुनिया में नेता […]

वोटरों को लुभाने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल कर रहे नेता
रांची : चुनाव में नेताओं की जंग का रंग दिखना शुरू हो गया है. चुनावी बिगुल बजने के साथ ही प्रचार का शोर होने लगा है. चुनावी दंगल का कोलाहल गली-गली गूंजने लगा है. नित नयी टेक्नोलॉजी से लैस होती दुनिया में नेता भी अछूते नहीं.
जनता के मत पर फतह हासिल करने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल शुरू हो चुकी है. प्रचार के नये-नये फंडे चुनावी दंगल के कारगर अस्त्र के रूप में प्रयोग किये जा रहे हैं. प्रचार के हाइटेक तरीकों में क्षेत्रीय दल भी राष्ट्रीय दलों से पीछे नहीं है. झामुमो, झाविमो जैसे क्षेत्रीय दल भी सोशल साइटों और इंटरनेट पर राष्ट्रीय दलों को टक्कर देते नजर आ रहे हैं.
नेता फोन पर समर्थन मांग रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वेबसाइट (डब्लूडब्लूडब्लू डॉट नरेंद्र मोदी डॉट इन) की लिंक इंटरनेट पर हर जगह मौजूद है. किसी भी न्यूज या इलेक्शन की वेबसाइट खोलें, देशभक्ति की बात करते नेता मिल जायेंगे. भाजपा ने भी अपनी वेबसाइट (डब्लूडब्लूडब्लू डॉट बीजेपी डॉट ओआरजी) को भी हाइटेक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
वेबसाइट के जरिये पार्टी अपनी सदस्यता बढ़ाने में भी लगी हुई है. एसएमएस के जरिये भी वोटर बढ़ाने की पूरी तैयारी है. देशभर में एसएमएस के जरिये प्रचार होगा. कैसेट और सीडी भी किताबों साथ मुफ्त बांटे जा रहे हैं. इन कैसेटों और सीडी में देश की विकासगाथा गाकर वोट मांगे जा रहे हैं.
चौकीदार होने का फक्र महसूस कराया जा रहा है. कांग्रेस भी इस हाइटेक जंग में पीछे नहीं है. पार्टी की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट आइएनसी डॉट इन सत्ता में रहते हुए कांग्रेस के कार्यों को गिनाया जा रहा है.
गांधी परिवार की छवि भुनाने की कोशिश की जा रही है. पार्टी की घोषणाएं बताते हुए भविष्य का खाका खींचा जा रहा है. राहुल गांधी के नेतृत्व की खूबियां बतायी जा रही है. इसके अलावा एसएमएस के माध्यम से भी कांग्रेस वोटरों को आकर्षित करने में जुटी हुई है.
इस हाइटेक वार में झारखंडी दल भी पिछड़े नहीं है. झामुमो की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट झारखंड मुक्ति मोरचा डॉट ओआरजी और झारखंड विकास मोरचा की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट झारखंड विकास मोरचा डॉट इन चकाचक है. दोनों दल वेबसाइट पर समर्थन जुटा रहे हैं. मुद्दे गिना कर लोगों का समर्थन मांग रहे हैं. हालांकि, आजसू पार्टी की कोई आधिकारिक वेबसाइट अब तक तैयार नहीं की गयी है.
हाइटेक चुनावी जंग में फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल साइट भी खूब इस्तेमाल किये जा रहे हैं. राष्ट्रीय नेताओं से लेकर क्षेत्रीय दलों के नेता फेसबुक का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. फेसबुक के माध्यम से मैसेज भेज कर समर्थन जुटाने का प्रयास जोरों पर है. कांग्रेस, भाजपा, आजसू, झाविमो, झामुमो के नेता बड़ी संख्या में सोशल साइटों पर मौजूद हैं.
नेताओं का फेसबुक के माध्यम से प्रचार चरम पर है. फेसबुक पेज पर समर्थन मांगा जा रहा है. ट्विटर पर आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी है. हर घंटे अपडेट, ताजा तसवीरों और स्टेटस अपडेट कर नेता समर्थन जुटाने की मुहिम में लगे हुए हैं. चुनावी जंग में व्हाट्सअप का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है. व्हाट्सअप ग्रुपों पर चुनाव जंग तेज होती जा रही है.
सावधान, सोशल साइटों पर अफवाह फैलायी, तो होगी जेल
चुनाव आयोग ने सोशल साइटों पर अफवाह फैलाने वाले लोगों को सावधान किया है. सोशल साइटों के इस्तेमाल पर आयोग की पैनी नजर है.
आयोग ने आमलोगों को भी अफवाह फैलाने में सहायक नहीं बनने की सलाह दी है. किसी के बारे में दुष्प्रचार करने, सामाजिक माहौल खराब करनेवाले या द्वेष बढ़ाने वाले संदेश और पोस्ट को आगे फॉरवर्ड नहीं करने के निर्देश दिये गये हैं. ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

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