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रांची : इस मौसम में बढ़ रहा खसरा का खतरा

रिम्स समेत शहर के अन्य अस्पतालों में आने लगे मरीज, बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित रांची : मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव का सीधा असर लोगाें के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इससे सबसे ज्यादा छोटे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. मौसमी बीमारी बुखार, सर्दी-खांसी आदि के अलावा मिजिल्स (खसरा) का खतरा बढ़ गया […]

रिम्स समेत शहर के अन्य अस्पतालों में आने लगे मरीज, बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित
रांची : मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव का सीधा असर लोगाें के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इससे सबसे ज्यादा छोटे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. मौसमी बीमारी बुखार, सर्दी-खांसी आदि के अलावा मिजिल्स (खसरा) का खतरा बढ़ गया है. अस्पतालोें के ओपीडी में मिजिल्स के मरीज आने भी लगे हैं.
रिम्स के शिशु ओपीडी में मिजिल्स से पीड़ित कई बच्चे पहुंच रहे हैं. ओपीडी में बच्चों काे परामर्श देने के बाद आवश्यक दवाएं दी जा रही हैं. दवाओं के साथ-साथ साफ-सफाई पर ध्यान रखने का परामर्श भी दिया जा रहा है.
वहीं, आयुर्वेद व होमियोपैथी क्लिनिक में भी लोग मिजिल्स का परामर्श लेने के लिए आ रहे हैं. होमियोपैथी क्लिनिक में सबसे ज्यादा मरीजों की भीड़ लग रही है. होमियोपैथी चिकित्सक डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि होमियाेपैथी में मिजिल्स यानी खसरा का कारगर इलाज है. चपेट में आने पर या उससे बचाव की दवाएं मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि होमियोपैथी में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया जाता है, जिससे संक्रामक बीमारी से बचा जा सकता है.
टीका उपलब्ध
मिजिल्स यानी खसरा के लिए टीका उपलब्ध है. नवजात बच्चों को मिजिल्स का टीका लगाया जाता है, जिससे काफी हद तक बचाव संभव है. इसके अलावा सरकार द्वारा अभी हाल में स्कूल स्तर पर बच्चों को रूबैला का टीका दिलाया गया है. इससे भी काफी हद तक बचाव किया जा सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
गर्मी व ठंड में मिजिल्स के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. ओपीडी में मरीज बढ़ गये हैं. मरीज को शरीर में छाेटे- छोटे दाने निकल आते हैं. थकावट व कमजोरी, सिर में भारीपन व बुखार होता है. छोटे दाने दिखाई देने ऐसे मरीज से तीन फीट दूरी बनाकर रखना चाहिए. होमियोपैथी में इसकी कारगर दवा उपलब्ध है. बचाव के लिए भी दवाएं मौजूद हैं.
डॉ यूएस वर्मा, चिकित्सक, होमियोपैथी
लक्षण
– शरीर में छोटे दाने का होना व पानी भर आना – सिर में दर्द व भारीपन – कान में दर्द होना व सूजन आना
– त्वचा पर लाल चकत्ता व लाल धब्बा होना – खांसी
– आंखों में सूजन आना – छींक आना – कमजोरी.
बचाव
– संक्रामक व्यक्ति से दूर रहें – तरल खाद्य पदार्थ का सेवन करें – बिना मसाले वाला भोजन का सेवन करेंं – पर्याप्त पानी पीयें.

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