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रांची : आज के समय में कृषि तकनीकी ज्ञान को टिकाऊ बनाये रखने की है जरूरत
बीएयू में आइपीएम ओरिएंटेशन कोर्स का समापन, डॉ एस कुमार ने कहा रांची : हार्प, प्लांडू के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक व पौधा रोग विशेषज्ञ डॉ एस कुमार ने कहा है कि देश में फार्म स्कूल के माध्यम से करीब 20 लाख किसानों को जागरूक किया गया है. इसके बावजूद किसानों द्वारा सब्जी उत्पादन में तकनीकों […]
बीएयू में आइपीएम ओरिएंटेशन कोर्स का समापन, डॉ एस कुमार ने कहा
रांची : हार्प, प्लांडू के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक व पौधा रोग विशेषज्ञ डॉ एस कुमार ने कहा है कि देश में फार्म स्कूल के माध्यम से करीब 20 लाख किसानों को जागरूक किया गया है. इसके बावजूद किसानों द्वारा सब्जी उत्पादन में तकनीकों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. शत्रु कीट एवं मित्र कीट की जानकारी का अभाव है. किसान के समक्ष फसल पर कीट एवं रोग का प्रकोप बड़ी समस्या बन गयी है.
डॉ कुमार गुरुवार को बीएयू में कृषि बागवानी फसलों में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आइपीएम) विषय पर तीन दिवसीय ओरिएंटेशन कोर्स के समापन में बोल रहे थे. इसका आयोजन बीएयू व आइसीएआर तथा एनसीआइपीएम नयी दिल्ली तथा अटारी, पटना के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. डॉ कुमार ने कहा कि किसानों द्वारा वैज्ञानिकों से सबसे ज्यादा जानकारी कीट एवं रोग से निदान के बारे में मांगी जाती है. इसलिए तकनीक ज्ञान को टिकाऊ बनाये रखने की आवश्यकता है. जानकारी के अभाव में बाजार की महंगी कीटनाशी दवा के उपयोग से मनुष्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसे आइपीएम तकनीक से ही कम किया जा सकता है.
आइसीएआर अटारी, पटना जोन के निदेशक डॉ एके सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम से आइपीएम तकनीक के नवीन सुधारों एवं अद्यतन तकनीकों से केवीके वैज्ञानिकों को जानने का अवसर मिला है. कोर्स समन्वयक डॉ मुकेश सहगल ने केवीके के पौधा संरक्षण वैज्ञानिकों को ग्रामीण स्तर तक आइपीएम ब्रांड एंबेसडर बताया.
उन्होंने बताया कि आइपीएम तकनीकी में सूचना प्रौद्योगिकी (आइसीटी) एवं एेप के इस्तेमाल से देश में बेहतर परिणाम सामने आये हैं. आगंतुकों का स्वागत बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनोज चौधरी ने किया. इस अवसर पर किसान मधु साहू सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे. इस कार्यक्रम में 40 से अधिक पौधा संरक्षण केवीके वैज्ञानिक एवं किसानों ने भाग लिया.
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