रांची : राज्य के छह जिले ऐसे हैं, जहां एसटी (अनुसूचित जनजाति) महिलाओं की साक्षरता दर 35 फीसदी से भी कम है. इनमें कोडरमा, साहेबगंज, गोड्डा, पाकुड़, गिरिडीह व देवघर जिले शामिल हैं. कोडरमा एसटी महिलाओं की साक्षरता के लिहाज से सबसे बदतर जिला है. यहां की सिर्फ 28.3 फीसदी एसटी महिलाएं ही साक्षर हैं. हालांकि यहां एसटी आबादी भी राज्य के अन्य जिलों की तुलना में सबसे कम 6903 है. यह जिले की कुल आबादी का महज एक फीसदी है.
केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने देश भर के ऐसे जिलों की सूची बनायी है, जहां एसटी महिलाअों की सक्षारता दर 35 फीसदी से कम है. वहीं विभिन्न जनजातियों में से भी उनकी सूची बनायी गयी है, जिनमें साक्षरता दर 30 फीसदी से भी कम है. झारखंड की चार जनजातियों को इस श्रेणी में शामिल किया गया है. इनमें बिरहोर, सवर, बैगा व कोरवा जनजातियां शामिल हैं.
इनमें बैगा को छोड़ शेष तीन आदिम जनजातियां (पीटीजी) हैं. बिरहोर सबसे कम साक्षर हैं. इनकी साक्षरता दर सिर्फ 26.4 फीसदी है. जनजातीय अाबादी को शिक्षित करने के लिए कल्याण विभाग के तहत एसटी आवासीय विद्यालय संचालित होते हैं. एसटी समुदाय के लिए राज्य भर में 37 उच्च विद्यालय, पांच 10 प्लस टू विद्यालय, 45 मध्य विद्यालय व 18 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं.
इनके अलावा संताल परगना में पहाड़िया जनजाति के लिए 32 दिवाकालीन प्राथमिक विद्यालय भी संचालित हैं. हालांकि साक्षरता की बड़ी जिम्मेदारी स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के तहत संचालित हो रहे स्कूलों की है. यह जानकारी नहीं है कि संबंधित जिलों व समुदाय के बीच साक्षरता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की कोई फोकस योजना है या नहीं.