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रांची : तीनों मरीजों को स्वाइन फ्लू नहीं, कोलकाता से आयी रिपोर्ट में हुई पुष्टि

जांच के लिए भेजा गया था रिम्स में भर्ती दो मरीजों व निजी अस्पताल के मरीज का सैंपल रांची : रिम्स के माइक्रोबॉयालोजी विभाग से स्वाइन फ्लू की जांच के लिए कोलकाता भेजे गये सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आयी है. यानी रिम्स में भर्ती दो मरीजों और निजी अस्पताल में भर्ती एक मरीज को स्वाइन […]

जांच के लिए भेजा गया था रिम्स में भर्ती दो मरीजों व निजी अस्पताल के मरीज का सैंपल
रांची : रिम्स के माइक्रोबॉयालोजी विभाग से स्वाइन फ्लू की जांच के लिए कोलकाता भेजे गये सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आयी है. यानी रिम्स में भर्ती दो मरीजों और निजी अस्पताल में भर्ती एक मरीज को स्वाइन फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है.
कोलकाता से साेमवार को रिपोर्ट आने के बाद माइक्रोबॉयोलॉजी द्वारा संबंधित विभाग और अस्पताल को रिपोर्ट की जानकारी दे दी गयी है. विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने कहा है कि रिपोर्ट निगेटिव आयी है. रिम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ बिंदे कुमार की यूनिट में भर्ती मरीज की रिपोर्ट आने पर डॉ बिंदे ने बताया कि वह पहले से ही कह रहे थे कि मरीज में स्वाइन फ्लू का कोई लक्षण नहीं है.
दिसंबर 2018 में मरीज चपेट में आया था, लेकिन उस समय उसका समुचित इलाज किया गया था. वर्तमान में मरीज को किडनी, हार्ट और छाती की समस्या है, जिसका इलाज चल रहा है. परिजन द्वारा लगातार आग्रह करने पर सीनियर रेजीडेंट ने जांच का परामर्श दिया था.
इधर, स्वाइन फ्लू की गंभीरता को लेकर राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. सिविल सर्जन डॉ वीवी प्रसाद ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों में इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है. चिकित्सकों को सामान्य फ्लू से पीड़ित मरीज में भी स्वाइन फ्लू को ध्यान में रखकर परामर्श करना है. किसी प्रकार का संदेह होने पर मरीज की आवश्यक जांच करा लेनी है.
डायलिसिस सेंटर की एक मशीन खराब, दूसरे दिन भी परेशान रहे मरीज
रांची. रिम्स के डायलिसिस सेंटर की एक मशीन सोमवार को भी खराब रही, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. डायलिसिस कराने आयी मरीज बानो देवी को डायलिसिस की एक मशीन पर लिटाया गया, लेकिन मशीन में फॉल्ट होने के कारण उनकाे दूसरे मरीज का डायलिसिस खत्म होने तक इंतजार करना पड़ा. महिला मरीज गंभीर अवस्था में वार्ड में भर्ती हुई है.
डॉक्टरों ने उनको तत्काल डायलिसिस कराने को कहा था. हालांकि, अन्य मशीन के खाली होने पर बानो देवी का डायलिसिस किया गया. इधर, डारयलिसिस सेंटर की अन्य तीन मशीनें काम कर रही थीं, जिसके कारण रविवार की परेशानी से कई मरीजों को निजात मिली. गौरतलब है कि डायलिसिस सेंटर में रविवार को आरओ पानी की समस्या के कारण मरीजों का डायलिसिस नहीं हो पाया था. इससे कई मरीजों को वार्ड से डायलिसिस सेंटर तक चक्कर लगाना पड़ा था.
मरीज हित में रिम्स ने क्या किया और राज्य को क्या लाभ हुआ, इसकी सूची बनायें
रांची. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह अपने दो माह के कार्यकाल के दौरान मरीज हित में किये गये कार्यों की सूची तैयार कराने का निर्देश दिया है.
निदेशक ने अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप को कहा है कि दो माह की सूची तैयार करायी जाये, जिसमें मरीज के लिए क्या किया गया, मरीज को कितना लाभ हुआ, रिम्स की छवि में कितना सुधार हुआ और राज्य को इससे कितना लाभ हुआ है, जैसी बातों का उल्लेख हो. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि हर व्यक्ति के कार्य का लेखाजोखा हो, वह संस्थान के लिए क्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रिम्स में योगदान देने के बाद उनका प्रयास रहा है कि सुपरस्पेशियलिटी विंग को बेहतर किया जाये, जिससे मरीजों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले.
कार्डियेक सर्जरी इसी को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है. शीघ्र ही किडनी विभाग को शुरू करना है, जिससे किडनी के मरीजों को निजी अस्पताल या महानगर नहीं जाना पड़े. कैंसर विंग में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के विशेषज्ञों की खोजबीन की जा रही है. शीघ्र ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जायेगी.
रिम्स की शासी परिषद की बैठक आज
रांची. रिम्स की शासी परिषद की बैठक मंगलवार दोपहर दो बजे से होगी. बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रंवशी करेंगे. इस बैठक में 28 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया जायेगा, जिसमें विभागाध्यक्षों को रोटेशन कर जिम्मेदारी देना भी शामिल है.
इसके अलावा मशीनों की खरीद, सीटीवीएस, पेइंग वार्ड और ट्रॉमा सेंटर के संचालन के लिए नर्सिंग असिस्टेंट की नियुक्ति और डाॅक्टरों व कर्मचारियों को एम्स की तर्ज पर सातवां वेतनमान देने भी निर्णय लिया जायेगा. शासी परिषद की बैठक में बॉयो मेडिकल डिस्पोजल के लिए इंसीनरेटर को हैंडओवर करने पर भी विचार किया जायेगा. निदेशक ने इसे अन्यान्य एजेंडा में शामिल करने का निर्देश दिया है. निदेशक ने कहा है कि जब रिम्स द्वारा इंसीनरेटर लगा दिया गया है, तो बॉयो डिस्पोज के लिए अन्य जगह भेजने पर विचार करने की जरूरत है. इस मुद्दे को भी शासी परिषद की बैठक में रखा जायेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
फ्लू के बहुत प्रकार होते हैं, जिसकी पहचान आसान नहीं है. कम उम्र व बुजुर्ग को फ्लू की चपेट में आने की संभावना ज्यादा होती है, इसलिए इनको ज्यादा ध्यान चाहिए. अभी घबराने वाली ऐसी कोई स्थिति नहीं है.
डॉ संजय कुमार, फिजिशियन रिम्स

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