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रांची : अब रोटेशन पर बदले जायेंगे विभागाध्यक्ष

राजीव पांडेय, रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अब विभागाध्यक्ष स्थायी तौर पर सेवानिवृत्ति तक अपनी सेवा नहीं दे पायेंगे. रिम्स प्रबंधन विभागाध्यक्षों को रोटेशन के हिसाब से जिम्मेदारी तय करने पर विचार कर रहा है. रिम्स अधीक्षक इस संबंध में शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने जा रहे हैं. प्रस्ताव को शासी परिषद […]

राजीव पांडेय, रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अब विभागाध्यक्ष स्थायी तौर पर सेवानिवृत्ति तक अपनी सेवा नहीं दे पायेंगे. रिम्स प्रबंधन विभागाध्यक्षों को रोटेशन के हिसाब से जिम्मेदारी तय करने पर विचार कर रहा है. रिम्स अधीक्षक इस संबंध में शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने जा रहे हैं. प्रस्ताव को शासी परिषद की 12 फरवरी को होने वाली बैठक में लाया जायेगा.

प्रस्ताव में रांची विश्वविद्यालय का हवाला दिया जायेगा कि विवि में विभागाध्यक्षों को कार्यकाल दो साल का होता है. हर दो साल पर विभागाध्यक्षों को बदला जाता है. हमारा शैक्षणिक कार्य इसी विवि से संचालित होता ऐसे में रोटेशन पर विभागाध्यक्षों को बदला जा सकता है. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि हमारी सोच है कि विभागाध्यक्षों को जिम्मेदारी रोटेशन होनी चाहिए.
कई जगह तो विभागाध्यक्षों की नियुक्ति साक्षात्कार पर की जाती है, लेकिन अभी यहां अभी यह फैसला लेना उचित नहीं है, लेकिन रोटेशन पर जिम्मेदारी तय तो किया ही जा सकती है. उन्होंने कहा कि रिम्स में कुछ ऐसे विभागाध्यक्ष भी हैं, जिनसे कार्य का संपादन सही से नहीं होता है. ऐसे में रिम्स के हित में कोई बड़ा फैसला लेना जरूरी हो गया है.
अपने विभाग की व्यवस्था से ही नाराज हैं निदेशक : रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह एनेस्थिसिया विभाग से हैं, लेकिन रिम्स में अपने विभाग की व्यवस्था से वह काफी नाराज हैं. विभागाध्यक्ष से लेकर डाॅक्टर की कार्यप्रणाली उनको भा नहीं रही है. उनका मानना है कि एनेस्थिसिया विभाग किसी भी अस्पताल की मजबूत होनी चाहिए. क्रिटिकल केयर यूनिट को स्थापित करना उनकी प्राथमिकता में है.
अधीक्षक के साथ बैठक, एनेस्थिसिया का किया निरीक्षण
रिम्स निदेशक डॉ डीके सिंह ने शुक्रवार को सुबह नौ बजे अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप के यहां पहुंचे. वहां अधीक्षक के साथ बैठक की. बैठक में यह फैसला लिया गया निदेशक व अधीक्षक प्रतिदिन सुबह नौ बजे से 10 बजे तक विभिन्न विभागों का निरीक्षण करेंगे. जायजा लिया जायेगा कि कौन-कौन डॉक्टर समय पर अपनी ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं. इसके बाद दोनों एनेस्थिसिया विभाग में गये. वहां विभाग के डॉक्टरों की पूरी सूची मांगी और आवश्यक निर्देश दिया.

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