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रांची : ….जब अमर बाउरी ने कहा, सत्ता पक्ष हो या विपक्ष जमीन हड़पने वालों को नहीं छोड़ेंगे
गैरमजरुआ जमीन की बंदोबस्ती गलत साबित होने से पहले तक रसीद कटेगी : अमर बाउरी भू राजस्व विभाग का 766 करोड़ रुपये की अनुदान मांग ध्वनिमत से हुई पारित सत्ता पक्ष हो या विपक्ष जमीन हड़पने वालों को नहीं छोड़ेंगे पक्ष के विधायकों ने मंत्री को घेरा, हुई बहस रांची : भू राजस्व मंत्री अमर […]
गैरमजरुआ जमीन की बंदोबस्ती गलत साबित होने से पहले तक रसीद कटेगी : अमर बाउरी
भू राजस्व विभाग का 766 करोड़ रुपये की अनुदान मांग ध्वनिमत से हुई पारित
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष जमीन हड़पने वालों को नहीं छोड़ेंगे
पक्ष के विधायकों ने मंत्री को घेरा, हुई बहस
रांची : भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने कहा है कि गैरमजरुआ जमीन की बंदोबस्ती गलत साबित होने के पहले तक रसीद काटी जायेगी. अभी करीब 48 हजार गैर मजरुआ जमीनधारियों की रसीद काटी गयी है.
सरकार के इस जवाब को सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने गलत बताया. विधायक बिरंची नारायण, मनोहर मरांडी, नवीन जायसवाल, मनीष जायसवाल आदि ने मंत्री के जवाब का विरोध किया. मंत्री ने कहा कि सदन को जिलावार गैरमजरुअा जमीन काटने की सूची दी जा रही है. अगर इस सूची में एक भी गलती निकली, तो सदन से माफी मांगूगा और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करुंगा.
श्री बाउरी सोमवार को प्रदीप यादव द्वारा लाये गये कटौती प्रस्ताव के विरोध में भू राजस्व विभाग, वाणिज्य कर, ऊर्जा, उद्योग, सूचना एवं जनसंपर्क, उत्पाद एवं मद्य निषेध आदि विभागों पर आयोजित चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब दे रहे थे.
चर्चा के बाद विपक्ष के वाकआउट के बीच भू राजस्व विभाग का 766 करोड़ रुपये का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. मंत्री ने कहा कि सत्ता पक्ष या विपक्ष के विधायकों ने अगर जमीन हड़पी होगी, तो कोई कितना भी बड़ा क्यों नहीं हो उसे छोड़ा नहीं जायेगा. मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सीएनटी एक्ट में छेड़छाड़ की जांच के लिए एसआइटी गठित की थी.
इसकी रिपोर्ट के आधार पर संबंधित जिलों के आयुक्त, उपायुक्त और राजस्व पर्षद को कार्रवाई करने को कहा गया है. राज्य सरकार आजादी के पूर्व के कानून में संशोधन करना चाहती थी. चाहती थी कि सीएनएटी-एसपीटी एक्ट के दायरे में आने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो.
ऐसी कंपनियों के साथ एमओयू कर लिया जिसकी पूंजी एक लाख रुपये है
कटौती प्रस्ताव पेश करते हुए प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार ने एेसी-ऐसी कंपनियों के साथ एमओयू कर लिया है, जिसकी पूंजी एक लाख रुपये है. होटवार में ओरिएंट फैशन को 28 एकड़ जमीन दे दी. इस कंपनी का निबंधन फरवरी 2017 में हुआ था. मार्च 2017 में इसके साथ एमओयू हुआ.
इसको कौड़ी के भाव में होटवार में जमीन दे दी गयी. इसी तरह कई कंपनियों के साथ किया गया. सरकार 24 घंटे बिजली देने का दावा कर रही है, जबकि बिजली का उत्पादन 2014 की तुलना में 700 मेगावाट से घटकर 300 से 400 के बीच रह गया है. शराब से पिछले दो साल में करीब 1200 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार की नीतियों के कारण हुआ.
सरकार ने विभाग की आपत्ति के बावजूद एक रुपये में अक्षय पात्र को करोड़ों रुपये की जमीन दे दी. सरकार ने आदिवासी जमीन हड़पने वालों के खिलाफ एसआइटी गठन किया था. आज तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई. असल में सरकार की नीतियां चंद लोगों के लिए बन रही है, सबके लिए नहीं.
18 साल में सबसे अधिक हुआ भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन
दीपक बिरुआ ने कहा कि पिछले 18 साल में भूमि अधिग्रहण कानून का सबसे अधिक उल्लंघन हुआ है. वर्तमान सरकार सीएनटी एक्ट में संशोधन कर संविधान विरोधी काम कर रही है. सीएनटी एक्ट में संशोधन का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है. इसके बावजूद ऐसा कर रही है. सरकार ने झारक्राफ्ट में कंबल घोटाला करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की.
सरकार का उत्तर ही संदेहास्पद: आलम
आलमगीर आलम ने कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि 15 दिन पहले सरकार ने एक उत्तर में बताया था कि 3100 स्वास्थ्य उप केंद्रों में बिजली नहीं है. आज सरकार दावा कर रही है कि सभी सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों में बिजली पहुंचा दी गयी है. सरकार का कौन का उत्तर सही है, यही समझ नहीं आ रहा है. लगता है सरकार जनता को गुमराह कर रही है.
केवल आंकड़े, जमीन पर कुछ नहीं : राजकुमार
राजकुमार यादव ने कहा कि सरकार आंकड़ों से चलना चाहती है. जमीन पर कुछ नहीं है. तिलकामांझी योजना के तहत 50-50 गांवों की सूची विधायकों से ली गयी, लेकिन काम कुछ नहीं हुआ. सरकार अवैध कोयला बेचने वालों पर कार्रवाई नहीं करती है. खान-खनिज में लूट मची है. पांच हेक्टेयर से नीचे वाली खदान का ऑक्शन नहीं हो रहा है. जमीन विवाद हल हो जायेगा, नक्सलवाद भी खुद समाप्त हो जायेगा. चर्चा में जगरनाथ महतो ने भी हिस्सा लिया.
कटौती प्रस्ताव के विरोध में महिलाएं हो रही हैं सशक्त
जीतूचरण राम ने कहा कि सरकार की नीतियों से महिलाएं सशक्त हो रही हैं. पशुपालन विभाग की 20 एकड़ जमीन पर उद्योग खुलने से 36 हजार महिलाएं काम करेंगी. सरकार ने डकुआ, मुंडा, मानकी को सम्मान दिया है.
धर्म संस्कृति की रक्षा करने वालों को सम्मान मिला
रामकुमार पाहन ने कहा कि सरकार ने धर्म-संस्कृति की रक्षा करने वालों को सम्मान दिया है. टाना भगतों का टैक्स माफ किया है. एचइसी के विस्थापितों को बेहतर तरीके से बसाया जा रहा है. राज सिन्हा ने कहा कि पहले बिजली के ट्रांसफाॅर्मर लगाने के लिए धरना-प्रदर्शन करना पड़ता था. आज 24 घंटे में यह लग रहा है. धनबाद जिले में बिजली विभाग की 900 करोड़ की योजना चल रही है. चर्चा में गंगोत्री कुजूर ने भी हिस्सा लिया.
अधिकारी नहीं दीर्घा पर ध्यान दें सरकार
सदन में अधिकारियों की दीर्घा में जिन विभागों की चर्चा हो रही थी, उस विभाग के अधिकारी मौजूद (केके सोन को छोड़कर) नहीं हैं. इस पर सरकार का ध्यान विधानसभा अध्यक्ष ने आकृष्ट कराया. अध्यक्ष ने कहा कि ऊर्जा, उत्पादन, खान, उद्योग, सूचना जन संपर्क, वाणिज्यकर विभाग के वरीय पदाधिकारी मौजूद नहीं हैं. इससे उनकी गंभीरता का पता चलता है.
अगर वे विधायकों से भी अधिक व्यस्त हैं, तो ठीक है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. प्रदीप यादव ने कहा कि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. बाद में सदन में केवल दो मंत्री (रामचंद्र चंद्रवंशी और रणधीर सिंह) के उपस्थित होने का मामला रवींद्र महतो ने उठाया. थोड़ी देर में सभी मंत्री सदन में आ गये.
गीता कोड़ा ने चलाया सदन
विधायक गीता कोड़ा ने करीब 1.30 घंटे तक सदन का संचालन किया. इतनी देर तक विधानसभा अध्यक्ष किसी कारण से सदन से बाहर गये थे. इस दौरान उन्होंने सदन का संचालन किया.
खरवार जाति को भी मिलेगा प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ
रांची : विधायक पौलुस सुरीन ने विधानसभा में भागलपुर की खरवार जाति के लोगों को प्रोन्नति में लाभ नहीं देने का मामला उठाया. कहा गया कि भागलपुर के खरवार पिछड़ा वर्ग में आते हैं.
इस पर मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि बिहार सरकार में खरवार जाति को एसटी का दर्जा था. झारखंड गठन के बाद भी इस जाति को एसटी का दर्जा मिला हुआ है. कार्मिक विभाग ने 14 अगस्त 2008 में एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि एकीकृत बिहार में नियुक्त कर्मियों को जो झारखंड में पदस्थापित हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जायेगा. इसी आधार पर प्रोन्नति दी जा रही है. जहां तक नयी नियुक्तियों का सवाल है, सरकार राज्य में लागू आरक्षण नीति के तहत कार्रवाई करेगी.
इसके बाद विधायक स्टीफन मरांडी ने इस मामले में टीएसी में समीक्षा कर रिपोर्ट मांगने का सुझाव दिया. विधायक प्रदीप यादव ने इस मामले में विधि विभाग से राय लेने की बात कही. मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि असम में झारखंड के अनुसूचित जनजाति को आरक्षण का लाभ दिलाने को लेकर मुख्यमंत्री ने पत्र लिखा है.
बिहार की तर्ज पर नियमावली बनाने की मांग : विधायक राजकुमार यादव ने विधानसभा में होमगार्ड का मामला उठाया. साथ ही बिहार की तर्ज पर नियमावली बना कर 12 माह काम देने की मांग की. उन्होंने कहा कि झारखंड में कार्यरत होमगार्ड को छह माह ही काम दिया जाता है. रोस्टर में ड्यूटी देने के लिए इनसे 12 हजार रुपये मांगे जाते हैं. इस पर मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि होमगार्ड से स्वयंसेवक के रूप में काम लिया जाता है. इन्हें ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत रोस्टर पर लगाया जाता है. झारखंड गृह रक्षा स्वयंसेवक 2014 में नियमावली का गठन किया गया है. जहां तक समान काम, समान वेतन का मामला है, यह झारखंड हाइकोर्ट में विचाराधीन है.
राहे प्रखंड के 595 मतदाताओं का बूथ बदलेगा
रांची : सिल्ली विधानसभा के राहे प्रखंड के बंसिया गांव के नीचे टोला के 595 मतदाताओं का बूथ बदलेगा. इसको लेकर निवार्चन विभाग कार्रवाई कर रहा है.
बंसिया गांव के नीचे टोला के मतदताओं का नाम राजकीयकृत मध्य विद्यालय बंसिया में दर्ज किया जायेगा. विधायक सीमा देवी के सवाल पर सरकार की ओर से यह जानकारी विधानसभा में दी गयी. विधायक ने बंसिया गांव नीचे टोला के मतदाताओं का बूथ धनबसार में आठ किलोमीटर दूर होने की बात करते हुए इसे बदलने का आग्रह किया था.
9.53 लाख हुआ मुआवजा का भुगतान
दूसरी ओर मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने सदन को जानकारी दी कि राज्य में जंगली हाथियों से जान माल की क्षति की भरपाई के लिए सरकार निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मुआवजा का भुगतान कर रही है. श्री मुंडा ने बताया कि हाटगम्हरिया, तांतनगर, मंझर एवं कुमारडुगी में हाथियों द्वारा की गयी जान माल की क्षति के लिए वर्ष 2018-19 में नौ लाख 53 हजार 878 रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
इसके अलावा दिसंबर 2018 में घटित मामलों की जांच के बाद दो लाख 17 हजार रुपये का चेक निर्गत किया गया है. विधायक दीपक बिरूआ द्वारा पूछे गये सवाल पर मंत्री ने यह जानकारी दी. मंत्री ने प्रभात खबर में छपी खबर का हवाला देते हुए प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाने का सवाल उठाया था. साथ ही मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग की.
रांची : महिलाओं का काला दुपट्टा हटाने के मामले में हंगामा
रांची : विधायक गीता कोड़ा के एक सवाल पर सोमवार को सदन में हंगामा हो गया. सुबह के समय सदन में जैसे ही स्पीकर दिनेश उरांव ने आसन ग्रहण किया, उसी समय गीता कोड़ा ने सवाल कर दिया कि तीन फरवरी को गिरिडीह में मुख्यमंत्री के आयोजित मुख्यमंत्री सुकन्या योजना कार्यक्रम में आनेवाली महिलाओं के काले दुपट्टा, काले रंग की शॉल व बुर्का हटाये जा रहे थे.
सुरक्षा के नाम पर महिलाओं के काले रंग के वस्त्र हटवाये गये. इससे महिलाओं का अपमान हुआ है. एक तरफ सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देती है तो दूसरी तरफ सुरक्षा के नाम पर बेटियों को अपमानित किया जाता है. इसे लेकर सदन में हंगामा होने लगा. विपक्ष के सारे विधायक एक साथ शोर मचाने लगे. इतने में ही झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी हाथों में प्रभात खबर की प्रति लेकर बोलने लगे कि विधानसभा के नये भवन निर्माण में काला काम हुआ है और महिलाओं के काले वस्त्र हटाये जा रहे हैं. यह कहां से उचित है.
इसी दौरान सत्ता पक्ष के विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि बुर्का हटाना जरूरी था क्योंकि बुर्का की आड़ में कोई आतंकवादी भी आ सकता है. प्रदीप यादव ने सीएम से इस मामले में जवाब दिलाने का आग्रह किया, हालांकि विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने सबको शांत करा कर सदन की कार्यवाही आरंभ कर दी.
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