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रांची : 18 वर्षों में भी हाइटेंशन, इइएफ समेत 25 फैक्ट्रियों पर नहीं हो सका फैसला

बिहार सरकार ने झारखंड को दिया था, लेकिन अब तक नहीं हुआ दायित्वों का निर्धारण अब तक बंद पड़ी हैं बीएसआइडीसी की ये फैक्ट्रियां, अब मूल्यांकन के लिए कमेटी गठित सुनील चौधरी रांची : झारखंड अलग राज्य गठन के 18 वर्षों के बाद भी यहां स्थित हाइटेंशन फैक्ट्री, इइएफ समेत बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम […]

बिहार सरकार ने झारखंड को दिया था, लेकिन अब तक नहीं हुआ दायित्वों का निर्धारण
अब तक बंद पड़ी हैं बीएसआइडीसी की ये फैक्ट्रियां, अब मूल्यांकन के लिए कमेटी गठित
सुनील चौधरी
रांची : झारखंड अलग राज्य गठन के 18 वर्षों के बाद भी यहां स्थित हाइटेंशन फैक्ट्री, इइएफ समेत बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसी) के अधीन सभी 25 इकाइयों पर अब तक झारखंड सरकार का पूरी तरह कब्जा नहीं हो सका है. ये सभी फैक्ट्रियां संयुक्त बिहार के समय से ही बंद हैं. इनके कई मजदूर या तो सेवानिवृत्त हो गये हैं या कई मजदूरों का देहांत हो गया है. लेकिन, अब तक इन फैक्ट्रियों के बाबत कोई निर्णय नहीं हो सका है, क्योंकि इन फैक्ट्रियों के दायित्वों का बंटवारा नहीं हो सका है.
गौरतलब है कि बीएसआइडीसी की संपत्तियों को लेकर बिहार सरकार द्वारा 26 मई 2018 को जारी संकल्प में कहा गया है कि बीएसअाइडीसी की जो परिसंपत्ति झारखंड में हैं, वह झारखंड सरकार या उनके द्वारा अधिकृत एजेंसी को तथा जो बिहार में है, वह बिहार सरकार या उनके द्वारा अधिकृत एजेंसी को हस्तांतरित की जाये.
झारखंड राज्य स्थित इकाइयों में किये गये निवेश का दायित्व झारखंड सरकार को सौंप दिया जाये. दायित्वों के बाबत संकल्प में लिखा गया था कि दायित्वों का बंटवारा दोनों राज्यों में सभी प्रकार के एसेट के वैल्यूएशन के अनुपात में किया जाये. दोनों राज्यों की एसेट एवं लाइबिलिटिज की पुन: जांच संयुक्त रूप से दोनों राज्यों के सक्षम पदाधिकारियों द्वारा की जाये. इसके लिए दोनों राज्यों द्वारा अपने-अपने सक्षम पदाधिकारी नामित किये जायेंगे. पर इस मामले में झारखंड सरकार का एतराज इस बात को लेकर था कि एसेट जो झारखंड में है, वह झारखंड को मिलेगा यहां तक तो ठीक है. पर दायित्व कितना है यह स्पष्ट नहीं है.
यह है मामला : संयुक्त बिहार में बीएसआइडीसी द्वारा कई इकाइयां दोनों राज्यों में आरंभ की गयी थी. पर कई कारणों से ये फैक्ट्रियां बीआइएफआर में चली गयीं और बंद हो गयीं. लगातार यहां के मजदूरों द्वारा बकाये भुगतान की मांग की जाती रही. इधर, झारखंड सरकार अपना दावा भी इन संस्थानों पर करती रही थी. परिसंपत्तियों के बंटवारे पर कई दौर की बैठकें हुई है. अब परिसंपत्तियां झारखंड को दे दी गयी है. पर दायित्व को लेकर फिर पेच फंसा हुआ है.
झारखंड सरकार ने कमेटी गठित की : झारखंड सरकार के उद्योग विभाग द्वारा फैसला होने के करीब सात माह बाद एक कमेटी गठित की गयी है. यह कमेटी अब मूल्यांकन कर परिसंपत्ति एवं दायित्वों का निर्धारण करेगी. इस कमेटी में बिहार के अधिकारी भी रखे गये हैं. ये संयुक्त जांच दल सभी फैक्ट्री का निरीक्षण कर परिसंपत्ति एवं दायित्वों का निर्धारण करेगा.
कमेटी में जियाडा के सचिव सुनील कुमार सिंह, जियाडा के कार्यपालक अभियंता, बिहार सरकार द्वारा मनोनित पदाधिकारी, संबंधित जिले के अपर समाहर्ता व इनकम टैक्स के सूचीबद्ध इवैल्यूटर होंगे. यह कमेटी अपनी रिपोर्ट उद्योग विभाग को देगी.
झारखंड स्थित इन फैक्ट्रियों का मामला है लंबित
हाई टेंशन इंस्यूलेटर फैक्ट्री, नामकुम, रांची
इइएफ, टाटीसिलवे, रांची
मैलाबल कॉस्ट आयरन फैक्ट्री, नामकुम, रांची
स्वर्णरेखा वाच फैक्ट्री, नामकुम, रांची
बिहार सुपरफॉस्फेट फैक्ट्री, सिंदरी, धनबाद
एनपीके ग्रेन्यूलेशन प्लांट, सिंदरी, धनबाद
नालांदा सेरामिक्स, गेतलसुद, रांची
प्रभात फैब्रीकेशन लिमिटेड, जमशेदपुर
एक्सले टेक्नोलॉजी लिमिटेड, रांची
रंजन केमिकल लिमिटेड
भगवती अॉक्सीजन लिमिटेड, घाटशिला
बिहार फाउंड्री एंड कॉस्टिंग लिमिटेड, रांची
बिहार कॉस्टिक एंड केमिकल लिमिटेड, गढ़वा रोड
मगध स्पन पाइप लिमिटेड, हिरोडीह, कोडरमा
बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड, चांडिल, सरायकेला
बिहार एयर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, जमशेदपुर
मिहिजाम वनस्पति लिमिटेड, चित्तरंजन, जामताड़ा
बिहार गैसेस लिमिटेड, जसीडीह, देवघर
राजहंस स्टील लिमिटेड, धनबाद
कुमारडूबी मेटल कॉस्टिंग एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड, धनबाद
बिहार ट्रांसमिशन लिमिटेड, जसीडीह, देवघर
प्रोग्रेसिव सीमेंट लिमिटेड, जसीडीह, देवघर
मयूरलाइम प्रोडक्ट्स लिमिटेड, पतरातू, रामगढ़
बिहार सॉल्वेंट एंड केमिकल लिमिटेड, लातेहार
इंडियन कलर शीट लिमिटेड, रांची

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