- राज्य के दस हजार स्कूलों में प्रभावित था पठन-पाठन, विद्यार्थी थे निराश
- पहले दिन विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम थी
- कई जिलों में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेताओं का विरोध
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रांची : 62 दिनों की हड़ताल के बाद स्कूल लौटे पारा शिक्षक, दिखा उत्साह
राज्य के दस हजार स्कूलों में प्रभावित था पठन-पाठन, विद्यार्थी थे निराश पहले दिन विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम थी कई जिलों में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेताओं का विरोध रांची : एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा द्वारा हड़ताल समाप्त करने की घोषणा करने के बाद राज्य के हड़ताली पारा शिक्षक […]
रांची : एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा द्वारा हड़ताल समाप्त करने की घोषणा करने के बाद राज्य के हड़ताली पारा शिक्षक शुक्रवार को विद्यालय लौट गये. पारा शिक्षकों की हड़ताल से राज्य के लगभग दस हजार विद्यालयों में पठन-पाठन बाधित था.
पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर 62 दिनों से हड़ताल पर थे. पारा शिक्षकों के काम पर लौटने के बाद शुक्रवार से विद्यालयों में पठन-पाठन शुरू हुआ.
इतने दिनों के बाद विद्यालय खुलने के कारण पहले दिन विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम थी. पारा शिक्षकों की हड़ताल से सबसे अधिक प्रभावित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय था. राज्य के अधिकतर उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पारा शिक्षकों के भरोसे है. इन विद्यालयों में पठन-पाठन सबसे अधिक बाधित था.
इधर, दूसरी ओर कई जिलों में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेताओं का विरोध भी हो रहा है. कोडरमा में पारा शिक्षकों ने एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों का पुतला भी जलाया. पारा शिक्षकों का कहना है कि बिना मांग पूरी हुए ही आंदोलन समाप्त कर दिया गया.
पारा शिक्षकों के वेतनमान पर फैसला जल्द : नीरा यादव
रांची. शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पारा शिक्षकों के वेतनमान के मुद्दे पर जल्द ही फैसला लिया जायेगा. कमेटी बनायी जायेगी. इसमें पारा शिक्षक भी रहेंगे.
उन्होंने हड़ताल समाप्त करवाने के बारे में कहा कि बच्चों के भविष्य की चिंता थी. बच्चों के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकते थे. मदरसा शिक्षक के बाबत उन्होंने कहा कि सबका वेतन रिलीज कर दिया गया है, किसी का बकाया नहीं है.
विपक्ष ने जबरन मुद्दा बनाया : सीपी सिंह
वहीं, मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि पारा शिक्षक को लेकर विपक्ष ने जबरन मुद्दा बना दिया था. उनके पास रिकार्डिंग है कि पहले ये लोग जब सत्ता में थे, तब क्या कहते थे और अभी क्या कहते हैं.
विपक्ष जब सत्ता में था, तब पारा शिक्षकों की सुध क्यों नहीं ली. इनकी कथनी करनी में अंतर है. यही कारण है कि विपक्ष के बड़े नेता आज एक नेता के समक्ष नतमस्तक हो रहे हैं. पहले शिबू सोरेन को ये लोग नेता तक नहीं मानते थे, आज बेटा को नेता मान रहे हैं.
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