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यूजीसी ने क्लियरेंस मांगा लेरर नियुक्ति पर ग्रहण

रांची: झारखंड के कॉलेजों में व्याख्याता की नियुक्ति फिलहाल संभव नहीं है. व्याख्याता की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को करनी है. आयोग ने राज्य सरकार को पहले ही पत्र भेज कर कहा है कि एक्ट के मुताबिक राज्य में व्याख्याता की नियुक्ति झारखंड पात्रता परीक्षा के माध्यम से होगी. राज्य सरकार ने आयोग […]

रांची: झारखंड के कॉलेजों में व्याख्याता की नियुक्ति फिलहाल संभव नहीं है. व्याख्याता की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को करनी है. आयोग ने राज्य सरकार को पहले ही पत्र भेज कर कहा है कि एक्ट के मुताबिक राज्य में व्याख्याता की नियुक्ति झारखंड पात्रता परीक्षा के माध्यम से होगी. राज्य सरकार ने आयोग को पत्र भेजकर कहा है कि नेट उत्तीर्ण व पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवारों के आधार पर नियुक्ति की जा सकती है.

इस पर आयोग ने स्पष्ट किया है कि एक्ट के मुताबिक झारखंड पात्रता परीक्षा के माध्यम से ही नियुक्ति होगी. सरकार ने कहा है कि इसके लिए एक्ट में संशोधन करना होगा, जबकि यूजीसी ने सरकार को अवगत कराया है कि नियुक्ति किसी एजेंसी के माध्यम से और पात्रता परीक्षा के आधार पर होगी. राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य में नियुक्ति एजेंसी झारखंड लोक सेवा आयोग है, जबकि पात्रता परीक्षा के लिए एक्ट में संशोधन करना होगा. यूजीसी ने सरकार व आयोग को इस बात से अवगत कराया है कि पात्रता परीक्षा लेने की स्वीकृति तभी मिल सकेगी, जब राज्य सरकार वर्ष 2008 में हुई व्याख्याता नियुक्ति के लिए आयोजित झारखंड पात्रता परीक्षा का क्लीयरेंस भेज देगी. अब राज्य सरकार इस दुविधा में है, क्योंकि झारखंड पात्रता परीक्षा का मामला फिलहाल सीबीआइ के हवाले है और इसकी जांच हो रही है. ऐसी स्थिति में क्लीयरेंस देने का सवाल ही नहीं उठता. इससे स्पष्ट हो गया है कि इस पेंच के कारण राज्य में फिलहाल व्याख्याता की नियुक्ति संभव नहीं है.

व्याख्याता के 1043 पद रिक्त
राज्य के पांचों विवि में व्याख्याता के 1043 पद रिक्त हैं. इनमें रांची विवि में 171, विनोबा भावे विवि हजारीबाग में 257, सिदो-कान्हू मूरमू विवि में 167, नीलांबर-पीतांबर विवि में 246 और कोल्हान विवि में लगभग 202 पद रिक्त हैं.

14 साल में एक ही बार नियुक्ति
राज्य बने 14 साल हुए हैं, लेकिन राज्य में व्याख्याता की एक ही बार नियुक्ति हुई है. वर्ष 2008 में नियुक्ति हुई, वह भी अभी तक विवादों में है. मामला सीबीआइ के हवाले है. रांची विवि में वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षकों की अब तक सेवा संपुष्टि भी नहीं हो सकी है. शिक्षक की कमी के कारण सभी कॉलेजों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जबकि हर वर्ष विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ रही है. हर वर्ष पीडी की डिग्री लेनेवाले, नेट क्वालिफाइ करने व पीएचडी डिग्री हासिल करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है.

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