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लंबे इंतजार के बाद झारखंड के गांव-गांव, घर-घर हुए रोशन, अभी भी बनी हुई है ये चुनौती
सुनील चौधरी पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराना ऊर्जा विभाग के लिए अभी भी बनी हुई है चुनौती रांची : ऊर्जा के क्षेत्र में वर्ष 2018 का साल झारखंड के लिए बेहतर कहा जा सकता है. बेहतर इस मायने में की राज्य के गांव-गांव और घर-घर में बिजली पहुंचा दी गयी है या पहुंचाने का काम अंतिम […]
सुनील चौधरी
पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराना ऊर्जा विभाग के लिए अभी भी बनी हुई है चुनौती
रांची : ऊर्जा के क्षेत्र में वर्ष 2018 का साल झारखंड के लिए बेहतर कहा जा सकता है. बेहतर इस मायने में की राज्य के गांव-गांव और घर-घर में बिजली पहुंचा दी गयी है या पहुंचाने का काम अंतिम चरण में है. ग्रामीण विद्युतीकरण और सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली कनेक्शन दिये जा रहे हैं, जिसके कारण बिजली की खपत भी बढ़ी है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध कराना ऊर्जा विभाग के लिए एक चुनौती भी है.
बिजली की खपत में वृद्धि : वर्ष 2018 में प्रति व्यक्ति वार्षिक विद्युत खपत (यूनिट) में भी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2014 में यह 541 यूनिट थी. वर्ष 2018 में बढ़ कर 730.24 यूनिट हो गयी है. बिजली की उपलब्धता के कारण ही इससे चलने वाले पंपों की संख्या भी बढ़ी है. वर्ष 2014 में इसकी संख्या 41,551 थी. यह वर्ष 2018 में बढ़ कर 57,171 हो गयी है. बताया गया है कि करीब चार साल पहले राज्य के 2932 गांव ऐसे थे, जहां बिजली नहीं थी. अंधेरे से जूझ रहे सभी 2932 गांवों में बिजली पहुंचा दी गयी है.
इसमें कई गांव ऐसे भी हैं, जहां आजादी के बाद बिजली पहुंची है. वर्ष 2014 में 53.8 प्रतिशत विद्युतीकरण हुआ था. वर्ष 2018 में यह 91.30 प्रतिशत हो गया है. वर्ष 2014 में ग्रामीण विद्युतीकरण 91.03 प्रतिशत था. वर्ष 2018 में शत-प्रतिशत हो गया है. सौभाग्य योजना के तहत वर्ष 2018 तक 10,58,569 घरों को शामिल किया जा चुका है.
उपभोक्ता बढ़े : इस साल बिजली के उपभोक्ताओं की संख्या भी करीब 5.22 लाख बढ़ी है. वर्ष 2018 में 34 लाख 25 हजार 827 विद्युत उपभोक्ता हो गये हैं. इसमें एक बत्ती वाले कनेक्शन धारकों की संख्या बढ़ कर 31 लाख 69 हजार 192 हो गयी है.
ग्रिड और पावर सब स्टेशन बने : हाल के दिनों में बिजली की आधारभूत संरचनाओं पर तेजी से ध्यान दिया गया है. लगभग 40 नये पावर सब स्टेशन बनाये गये हैं. वर्तमान में राज्य में 350 पावर सब स्टेशन हैं. एलटी लाइन नयी बिछायी गयी है. वर्ष 2018 में 64,443 किलोमीटर एलटी लाइन हो गयी है.
220 केवी लाइन भी अब बढ़ कर 1081 सर्किट किलोमीटर हो गयी है.राज्य में बेहतर बिजली आपूर्ति के लिए 118 ग्रिड सब स्टेशन की जरूरत है. जबकि अभी केवल 38 ग्रिड सब स्टेशन हैं जिससे पूरे राज्य में बिजली की आपूर्ति की जाती है. कई इलाकों में ट्रांसमिशन के कारण अक्सर बिजली की समस्या खड़ी हो जाती है. इसके लिए अभी 80 ग्रिड सब स्टेशन का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें 12 ग्रिड सब स्टेशन बनकर तैयार है.
शहरों में तेजी से हो रहे हैं काम: आरएपीडीआरपी योजना के तहत रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, देवघर, हजारीबाग जैसे शहरों में तेजी से विद्युत सुदृढ़ीकरण का काम हो रहा है. रांची में पुराने तार, ट्रांसफाॅर्मर और खंभे बदले गये हैं. कई जगहों पर अंडरग्राउंड केबलिंग की गयी है. अभी भी आरएपीडीआरपी के तहत काम चल रहा है. अब ट्रांसफाॅर्मर बदलने के लिए लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है.
ये चुनौतियां हैं
24 घंटे सातों दिन बिजली उपलब्ध कराना
जनता को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराना
टीवीएनएल की विस्तारीकरण परियोजना
पतरातू-एनटीपीसी परियोजना से शीघ्र उत्पादन आरंभ कराना
ट्रांसमिशन लाइनों को दुरुस्त रखना
घाटा कम करना, अभी भी निगम को 100 करोड़ रुपये महीने का घाटा हो रहा है
शत प्रतिशत बिजली बिल की वसूली
उद्योगों को अबाधित बिजली देना
कृषि के लिए अलग फीडर की व्यवस्था करना
झारखंड सरकार ने अपना उत्पादन एक मेगावाट भी नहीं बढ़ाया, ऐसे में बिजली की मांग बढ़ने पर बिजली उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती
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