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झारखंड : शायर अजफर जमील के काव्य संग्रह ”शौक-ए-सफर” का विमोचन

रांची : उर्दू के विकासशील शायर अजफर जमील की शायरी का पहला काव्य संग्रह ‘शौक-ए-सफर’ का विमोचन हुआ. इस संग्रह का प्रकाशन अल्लामा इकबाल फाउंडेशन, रांची द्वारा किया गया है. समारोह की अध्यक्षता करते हुए अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष इबरार अहमद ने कहा कि अजफर जमील की शायरी आशाओं का संचार करती है और अल्लामा […]

रांची : उर्दू के विकासशील शायर अजफर जमील की शायरी का पहला काव्य संग्रह ‘शौक-ए-सफर’ का विमोचन हुआ. इस संग्रह का प्रकाशन अल्लामा इकबाल फाउंडेशन, रांची द्वारा किया गया है. समारोह की अध्यक्षता करते हुए अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष इबरार अहमद ने कहा कि अजफर जमील की शायरी आशाओं का संचार करती है और अल्लामा इकबाल फाउण्डेशन ने जिस तरह इनकी रचनाओं को जमा करने की कोशिश की है वो प्रशंसनीय है. मेरी इच्छा है कि इनके बिखरे हुए और भी बहुमूल्य रचनाओं को जमा करके प्रकाशित किया जाए. इसके लिए हम सभी हृदय से सहयोग देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अजफर के काव्य संग्रह को साहित्यिक पूंजी बताया.

मुख्य अतिथि अबू इमरान ने अजफर जमील के चार पंक्तियों से अपनी बात प्रारम्भ की. उन्होंने कहा कि भाषा और समाज को अजफर जमील जैसे लोगों की जरूरत है. रांची व इसके आस-पास इतना शानदार कार्यक्रम उर्दू से संबंधित मैंने नहीं देखा. उर्दू संपर्क की भाषा है, मनोरंजन की भाषा है, समाचार की भाषा है और दुनिया के कोने-कोने में पढ़ी, बोली, लिखी और समझी जाती है. इस भाषा की उपज भारत की गंगा-यमुनी तहजीब से हुई है. इसलिए इसे किसी एक वर्ग से जोड़ना अप्रासांगिक है.

रांची विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मंजर हुसैन ने शौक-ए-सफर को नये शायरों के लिए पाठशाला बताया. उन्‍होंने कहा कि अजफर के यहां गुजरे हुए शायरों की खनक मिलती है. अजफर नौवजानों के लिए भी अपनी बात रखते हैं और मां की ममता पर भी उनकी रचनाएं हैं. इस्लामिक विचारधारा पर बहुमूल्य शायरी करते हैं.

विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए रांची विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के व्याख्याता डॉ एम एन जुबैरी ने कहा कि अजफर जमील मेरे आयु वर्ग के हैं. एक ही समय में एक ही पेशा से दोनों का संबंध रहा है. एक ही मुहल्ले के रहने वाले हैं. लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि उनकी हस्तलिखित रचनाओं को उनके ही दोस्तों ने छपवाने के नाम पर लिया और 10, 20, 30 वर्षों तक जमीन पर नहीं उतार पाये. मुझे मालूम है कि वे दोस्त कौन हैं? और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वे भारत के बड़े विश्वविद्यालयों में व्याख्याता के पद पर आसीन हैं. उन दोस्तों से मेरा नम्र निवेदन है कि उनकी हस्तलिखित रचनाओं को अजफर के सुपुर्द कर दें ताकि आगे भी उनपर काम किया जा सके.

समारोह की शुरुआत डॉ हुजैफा के तिलावते कुरआन पाक से हुई. मंच संचालन प्रतिष्ठित शिक्षाविद अबदुल्लाह कैफी ने किया. कविता संग्रह शौक-ए-सफर का शानदार कवर पेज विख्यात कलाकार महबूब राजा एलहाम ने बनाया है. इस अवसर पर अजफर जमील की शायरी को अकरम नवाज ने अपने स्वर से यादगार बनाया. धन्यवाद ज्ञापन तहसीन जमा खां ने किया. मौके पर शहर के सैकड़ों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. जिनमें मुख्य रूप से डॉ मसूद जामी, श्यामल मुखर्जी, नसीर अफसर, प्रो. कासिम, प्रो. अबुजर उस्मानी, विनय भूषण, नूर हसन, जैद अहमद, शकील, राजन, अख्तर रांचवी, एजाज अहमद, ग्यासुद्दीन मुन्ना, तनवरी अहमद, मो. खलील, हदीस, मतीउर रहमान, नौशाद, आसिफ, जाहिद गनी आदि शामिल थे.

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