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रांची : भूखे-प्यासे कैंसर रोगियों को घंटों बैठाये रखा, खुद लंच पर चले गये

मरीज को मिला इलाज रांची : रिम्स प्रबंधन मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का दंभ भरता है. जबकि सच्चाई यह है कि कई विभागों में मरीज अव्यवस्था की भेंट चढ़ जाते हैं. सोमवार को ऐसा ही एक मामला रिम्स के कैंसर विंग में देखने को मिला. बरियातू के ओल्ड एज होम से आये 60 […]

मरीज को मिला इलाज
रांची : रिम्स प्रबंधन मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का दंभ भरता है. जबकि सच्चाई यह है कि कई विभागों में मरीज अव्यवस्था की भेंट चढ़ जाते हैं. सोमवार को ऐसा ही एक मामला रिम्स के कैंसर विंग में देखने को मिला. बरियातू के ओल्ड एज होम से आये 60 वर्षीय कैंसर पीड़ित ज्ञानचंद्र अग्रवाल सुबह 10 बजे से अपनी बारी का इंतजार करते रहे. दोपहर तीन बजे उन्हें इलाज मिला.
ओड़िशा निवासी ज्ञानचंद्र अग्रवाल पैंक्रियाज के कैंसर से पीड़ित हैं. खाने के लिए गले में पाइप लगा है. साथ आयी महिला ने बताया कि वह श्री अग्रवाल को रेडिएशन दिलाने के लिए सुबह 10 बजे ही पहुंच गयी थी. यहां आने पर उन्हें 19वां नंबर दिया गया. दोपहर एक बजे तक मरीज का नंबर नहीं आया. दोपहर एक बजे डॉक्टर निकल गये.
इसके बाद टेक्नीशियन भी जाने लगे, तो महिला ने आग्रह किया, सर! 20 मिनट की ही तो बात है, रेडिएशन दे दीजिए. यह सुनते ही कर्मचारी भड़क गया. कहा : लंच का टाइम हो गया है, खाने नहीं जायें? तीन बजे ही इलाज होगा. इस पर महिला ने आग्रह किया : सर! मरीज सुबह से भूखा है. पानी तक नहीं पीया है. गले में पाइप लगा है. थोड़ा रहम खाइए, लेकिन कर्मचारी पर कोई असर नहीं पड़ा.
कई और मरीज भी कर रहे थे अपनी बारी का इंतजार
कैंसर विंग में अन्य मरीज भी इलाज के लिए सुबह से दोपहर तीन बजे का इंतजार कर रहे थे. सभी भूखे-प्यासे थे. उनके परिजन ने बताया कि एक बजते ही गार्ड भी कहने लगा कि वेटिंग हॉल से बाहर निकल जाइये. यहां रहने का आदेश नहीं है. जब लोगों ने कहा कि मरीज को लेकर जाना संभव नहीं है, तो कहने लगा कि छूट मिल जाने पर आपलोग बदतमीजी करने लगते हैं.
कैंसर के रोगियों को अक्सर होती है परेशानी कोई देखनेवाला नहीं
कैंसर विंग में ओपीडी में इलाज कराने आये मरीजाें को हमेशा परेशानी होती है. इलाज के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. कई ऐसे मरीज हैं, जो गैलरी या पेड़ के नीचे इंतजार करते है. हालांकि, कैंसर विंग के कर्मचारियों का कहना है कि मैनपावर की काफी कमी है. मेडिसिन अंकोलाॅजिस्ट व अंकोसर्जन नहीं हैं.
कैंसर मरीज को समय पर इलाज ताे मिलना ही चाहिए, लेकिन लंच के समय में कर्मचारी तो खाने जायेंगे ही. कैंसर मरीजों को बेहतर इलाज मिले, इसके लिए वहां के डॉक्टरों के साथ बैठक की जायेगी.
डॉ विवेक कश्यप, अधीक्षक, रिम्स

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