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रांची : परिवार टूटने से बचे, इसलिए तुरंत जजमेंट के बदले संभावना तलाशें

झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी में सेंसेटाइजेशन अॉफ फैमिली कोर्ट मैटर्स विषय पर नेशनल मीट, जस्टिस कुरियन जोसेफ बोले रांची : फैमिली कोर्ट में आनेवाले वैवाहिक विवादों के मामले में सबसे पहले सुलह व पति-पत्नी को जोड़ने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. यदि किसी तरह से मामला सुलझने की स्थिति में […]

झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी में सेंसेटाइजेशन अॉफ फैमिली कोर्ट मैटर्स विषय पर नेशनल मीट, जस्टिस कुरियन जोसेफ बोले
रांची : फैमिली कोर्ट में आनेवाले वैवाहिक विवादों के मामले में सबसे पहले सुलह व पति-पत्नी को जोड़ने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. यदि किसी तरह से मामला सुलझने की स्थिति में नहीं हो, तो वैसी स्थिति में वैवाहिक संबंध विच्छेद होना चाहिए. फैमिली कोर्ट सिर्फ जजमेंट देने की जगह नहीं है, बल्कि वहां पर वैसी संभावनाअों की खोज की जाये, जिससे पति-पत्नी का विवाद समाप्त हो तथा शांति बहाल हो सके. फैमिली कोर्ट के जजों को त्वरित जजमेंट देने के बदले संभावनाअों की तलाश करनी चाहिए, ताकि परिवार को टूटने से बचाया जा सके, क्योंकि इसका असर कई लोगों के जीवन पर पड़ता है.
समाज की संस्कृति शांति पर टिकी है. परिवार में शांति रहेगी, तो विकास होगा. समाज व देश में भी शांति रहेगी. उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कही. वे शनिवार को बताैर मुख्य अतिथि धुर्वा स्थित झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में आयोजित सेंसेटाइजेशन अॉफ फैमिली कोर्ट मैटर्स विषय नेशनल मीट का उदघाटन कर रहे थे. भारत में पहली बार झारखंड हाइकोर्ट व झालसा के संयुक्त तत्वावधान में नेशनल मीट का आयोजन किया गया था.
जस्टिस जोसेफ ने कहा है कि पारिवारिक मामले सामने आते हैं, तो उसका मूल कारण जानना जरूरी है. कानून की प्राथमिकता विवाह को बचाना है, उसे तोड़ना नहीं. सुलह करायें या संबंध विच्छेद करायें, लेकिन प्राथमिकता पति-पत्नी को मिलाने की, उन्हें जोड़ने की होनी चाहिए.
पारिवारिक विवाद के मामलों में बीच का रास्ता नहीं हो सकता है, इस पर निर्णय जरूरी है. ऐसे में मानवीयता व संवेदनशीलता के साथ पति-पत्नी के संबंध को बचाने की पहल होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पारिवारिक विवाद के मामले हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में बढ़ते जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए अलग से बेंच बनाने पर भी विचार हो रहा है.
पारिवारिक विवाद के मामले संवदेनशीलता के साथ हल करें : जस्टिस इंदिरा बनर्जी
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि फैमिली काफी महत्वपूर्ण है. बच्चा पैदा होता है, बड़ा होता है, उसकी शादी होती है, उसी तरह विवाद सामने आने पर हर स्टेज में फैमिली कोर्ट की भूमिका होती है. पति-पत्नी एक दूसरे से भावनात्मक व आर्थिक रूप से जुड़े होते हैं.
विवाद भी होता है, खास कर कपल के मामले में. उनके बीच का विवाद जटिल होता है, जिसे संवेदनशीलता के साथ हल करना चाहिए.
फैमिली कोर्ट के जजों के सेंसेटाइजेशन की आवश्यकता है. आज समय बदल रहा है. महिलाएं घर से बाहर निकलकर काम करने लगी हैं. भविष्य बनाने के लिए शादियां लेट से हो रही हैं. तलाकशुदा लोगों की फिर से शादियां हो रही हैं. पारंपरिक विचारधारा में बदलाव भी आया है, ऐसे में पारिवारिक विवादों के निबटारे में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, ताकि परिवार बिखरे नहीं.
कानूनी दृष्टिकोण देखकर करें मामले निष्पादित : जस्टिस अनिरुद्ध बोस
झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि आज न्यायिक अधिकारियों के सेंसेटाइजेशन की आवश्यकता है. सामाजिक परिस्थितियां बदल रही हैं. लीव इन रिलेशनशिप, समलैंगिक विवाह, किराये पर कोख देने जैसे पेचिदा मामले सामने आ रहे हैं. वैसे मामलों की संख्या में भविष्य में बढ़ोतरी होगी. न्यायिक अधिकारियों को भी अप-टू-डेट रहना चाहिए. मानवीय दृष्टिकोण व कानून को देखते हुए पारिवारिक मामले निष्पादित करना चाहिए.
संवदेनशीलता के साथ सुलझायें विवाद : जस्टिस डीएन पटेल
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट कमेटी के सदस्य, हाइकोर्ट के जज व झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस डीएन पटेल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्ष 2018 में पूरे देश में 2.60 लाख फैमिली विवाद के मामले दर्ज किये गये. इसमें से 2.45 लाख मामलों का निष्पादन किया गया. उन्होंने कहा कि पति-पत्नी का विवाद संवेदनशीलता के साथ सुलझाया जाना चाहिए. समाज की नींव परिवार ही होता है.
झारखंड में 9300 मामले निष्पादित
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उन्होंने कहा कि इस वर्ष झारखंड में 13000 फैमिली मामले आये, जिसमें से 9300 निष्पादित हो चुके हैं. मौके पर हाइकोर्ट के जस्टिस एचसी मिश्र सहित अन्य न्यायाधीश, विभिन्न हाइकोर्ट के न्यायाधीश, मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, विभिन्न राज्यों के पांच-पांच फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश, विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्य सचिव, ज्यूडिशियल एकेडमी के निदेशक, महाधिवक्ता अजीत कुमार आदि उपस्थित थे.

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