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रांची : 16 -25 की उम्र तक सही पढ़ाई की, तो बाकी जीवन में एक तिहाई ही करनी होगी मेहनत
एक्सएलआरआइ : यूपीएससी 2014 की टॉपर इरा सिंघल ने बच्चों को दिया करियर टिप्स रांची : एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर में चल रहे कल्चरल और स्पोर्ट्स फेस्ट अॉन्सेंबल-वलहल्ला 2018 में शनिवार की सुबह करियर काउंसेलिंग सेशन का आयोजन किया गया. इसमें रिसोर्स पर्सन यूपीएससी 2014 की टॉपर रहीं इरा सिंघल ने हिस्सा लिया. उन्होंने शहर के निजी […]
एक्सएलआरआइ : यूपीएससी 2014 की टॉपर इरा सिंघल ने बच्चों को दिया करियर टिप्स
रांची : एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर में चल रहे कल्चरल और स्पोर्ट्स फेस्ट अॉन्सेंबल-वलहल्ला 2018 में शनिवार की सुबह करियर काउंसेलिंग सेशन का आयोजन किया गया. इसमें रिसोर्स पर्सन यूपीएससी 2014 की टॉपर रहीं इरा सिंघल ने हिस्सा लिया. उन्होंने शहर के निजी स्कूलों के बच्चों के साथ-साथ विभिन्न बिजनेस स्कूल के विद्यार्थियों को यूपीसीएससी की परीक्षा में सफल होने के टिप्स दिये तथा जीवन के विभिन्न आयामों से भी अवगत कराया.
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए 16 से 25 साल की उम्र सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. यह वक्त सीखने और करियर बनाने का होता है.उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर कोई भी विद्यार्थी 16 से लेकर 25 साल तक की उम्र में सही प्रकार से पढ़ाई करता है, तो बाकी के जीवन में सिर्फ एक तिहाई मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इस वक्त अगर कोई टाइम पास करता है और पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता है, तो फिर उसे जीवन भर मेहनत ही करनी पड़ती है. खूब मेहनत के बाद भी वह उसकी भरपाई कभी नहीं कर पायेगा. बच्चों ने इरा सिंघल के सामने सवालों की झड़ी लगा दी, लेकिन उन्होंने बड़ी धैर्यपूर्वक एक-एक सवालों का जवाब दिया.
खुद से झूठ बोलना बंद करें, सब सही हो जायेगा :इरा सिंघल ने कहा कि दुनिया में अगर कोई सबसे ज्यादा झूठ बोलता है, तो वह इंसान है. जो खुद से झूठ बोलता हैॅ . उन्होंने कहा कि हमें यह विचार करने की जरूरत है कि आखिर हम क्यों खुद से झूठ बोल रहे हैं. जिस दिन खुद से झूठ बोलना बंद कर देंगे, सब कुछ अच्छा होने लगेगा.
कठिन कुछ भी नहीं, दरअसल हम आलसी हैं : कठिनाइयों पर कहा कि जीवन में कुछ भी कठिन नहीं होता. कठिनाई की बात वे लोग करते हैं, जो बहानेबाज होते हैं. स्वाभाविक रूप से हम आलसी होते हैं. उदाहरणस्वरूप मैंने जब नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी करने की प्लानिंग की, तो पापा ने कहा कि इसे अब नौकरी करनी नहीं है. आलसी है नौकरी छोड़ने के लिए कोई नयी कहानी लेकर आयी है.
ज्यादा परेशानी हो, तो पॉज लें, तत्काल रिलीव चाहिए तो सो जायें : इरा ने छात्र-छात्राओं से कहा कि जब किसी बात को लेकर मन परेशान हो या पढ़ाई के साथ ही अगर किसी भी मामले में आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो उस वक्त तुरंत निर्णय नहीं लें.
थोड़ा पॉज लें. सोचें कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों हुआ. कारण खोजें. समस्या के निदान के बारे में सोचें. इसके बाद आगे बढ़ें. इसके साथ ही अगर तत्काल किसी मामले को लेकर मन डायवर्ट हो रहा है, तो कुछ ना करें, सो जायें. लेकिन ध्यान रहे कि प्रतिदिन आठ घंटे से ज्यादा नींद कभी भी न लें, क्योंकि इससे ज्यादा अगर सो गये, तो किस्मत उतना सोती रहेगी.
अनावश्यक चीजों में हम उलझे रहते हैं, समय का महत्व दें : काउंसेलिंग सेशन के दौरान इरा ने कहा कि हम अनावश्यक बातों में अक्सर समय और ऊर्जा बर्बाद करते हैं. अपने समय के महत्व को पहचानने की आवश्यकता है. छोटी-मोटी वजहों के लिए मूल्यवान समय को नष्ट नहीं करें. अक्सर हमारे अंदर यह चल रहा होता है कि अरे, वो क्या कहेगा वो क्या सोचेगा, लेकिन दुनिया में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वह आपके बारे में सोचे.
किसके बेटे ने क्या पढ़ाई की, इससे तुम्हारा कभी भला नहीं होगा
इरा ने बताया कि हम अपने करियर का चयन पड़ोसी को देख कर करते हैं. शर्मा जी का बेटा इंजीनियरिंग कर रहा है और ज्यादा पैसा कमा रहा है, तो मैं भी करूंगा. इस सोच की वजह से आज बच्चे ज्यादा असफल हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आप खुद में सोचो कि आप क्या हैं और क्या करना चाहिए. दूसरे को देख कर उस जैसा बनने की कोशिश में सफलता कम, निराशा ही ज्यादा हाथ लगती है. अपना लक्ष्य किसी दूसरे के हिसाब से तय नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि दुनिया में हर कोई दूसरे को अंडर स्टीमेट करता है और दूसरे को ओवर स्टीमेट करता है. जबकि उसी अंडर स्टीमेट को देख कर वह अपना लक्ष्य तय करता है.
मैं कम कमाती हूं, लेकिन खुश हूं
एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं जितना 15 महीने में कमाती हूं, उतना कॉरपोरेट वर्ल्ड के लोग एक महीने में कमाते हैं. लेकिन मैं अपने प्रोफेशन से खुश हूं. क्योंकि खुशी कभी भी पैसे में नहीं आंकी जा सकती है. उन्होंने कहा कि हर इंसान अमीर बनना चाहता है, लेकिन आखिर क्यों?
इसके पीछे लॉजिक क्या है, क्योंकि अगर आपको संतोष नहीं है, तो फिर आपके पास कुछ नहीं है. पैसे कभी भी हैप्पीनेस का मानक नहीं हो सकता है. कहा कि इतना जरूर पैसे होने चाहिए कि अगर आप या घर परिवार में कोई बीमार पड़े, तो आपके पास इतने पैसे हो कि आपका बेहतर इलाज हो सके.
दुनिया इमोशन से नहीं, लॉजिक से चलती है
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे कई बार बात-बात पर इमोशनल हो जाते हैं. लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि दुनिया इमोशन से नहीं चलती है. वह लॉजिक से चलती है. अगर किसी चीज में आप फेल होते हैं, तो इसलिए होते हैं, क्योंकि आपने गलत चीज ट्राइ की थी.
अगर समानता की बात करती हैं, तो समान काम भी किया करें लड़कियों से कहा कि अक्सर वे काम करने के मामले में कहती हैं कि वे लड़की हैं. बस में उन्हें सीट आरक्षित चाहिए. वे ज्यादा भार नहीं उठा पायेंगी, काम कम करेंगी, लेकिन बात समानता की करेंगी. ऐसा नहीं चलने वाला है. अगर समानता की बात करती हैं, तो समान काम करने के लिए भी तैयार रहना होगा.
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