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झारखंड में 5000 अवैध हथियार, आठ माह में किये जायेंगे नष्ट
प्रणव रांची : अपराधियों आैर उग्रवादियों के पास से जब्त करीब पांच हजार हथियार झारखंड पुलिस के मालखाने में है. हालांकि, इनमें से महज 65 हथियार ही अब तक नष्ट किये जाने की कार्रवाई की गयी है. अब बचे हुए वैसे हथियारों के मामले में जिनमें चार्जशीट हो गया है अथवा कोर्ट का आदेश आ […]
प्रणव
रांची : अपराधियों आैर उग्रवादियों के पास से जब्त करीब पांच हजार हथियार झारखंड पुलिस के मालखाने में है. हालांकि, इनमें से महज 65 हथियार ही अब तक नष्ट किये जाने की कार्रवाई की गयी है. अब बचे हुए वैसे हथियारों के मामले में जिनमें चार्जशीट हो गया है अथवा कोर्ट का आदेश आ गया है उसको नष्ट करने की कार्रवाई आठ माह (30 जून 2019) में पूरी करने की तैयारी पुलिस ने कर ली है. हथियार नष्ट करने की कार्रवाई पुलिस मैनुअल 326 और आर्म्स रूल 2016 के प्रावधानों के तहत किया जायेगा. गुरुवार को हाइकोर्ट के निर्देश के बाद गृह विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे और सीआइडी एडीजी अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में अलग-अलग हुई बैठक में इस पर सहमति बनी है.
इस दौरान फायर आर्म्स रूल 2016 के तहत अगले छह सप्ताह में फायर आर्म्स ब्यूरो के गठन सहित अन्य बिंदुओं का क्रियान्वयन विभाग की ओर से किया जायेगा. इसको लेकर सीआइडी के साथ ही पुलिस मुख्यालय के अधिकारी भी देर शाम तक लगे रहे. हथियारों को नष्ट किये जाने की बात करें, तो सबसे ज्यादा रांची रेंज के लोहरदगा जिले में अधिकतम 32 अवैध आर्म्स को नष्ट किया गया है. इसी तरह दुमका रेंज में कुल 1676 अवैध हथियारों में से सिर्फ साहेबगंज जिले में सिर्फ एक हथियार को नष्ट करने की कार्रवाई की गयी है. गिरिडीह जिले में भी एक हथियार ही नष्ट किये गये हैं.
अन्य बाकी कुछेक जिलों में भी हथियार नष्ट करने की कवायद एक अंक में ही किये जाने की सूचना मिली है. बताया जा रहा है कि एकीकृत बिहार में पुलिस द्वारा अवैध हथियार को नष्ट करने की कार्रवाई पुलिस मैनुअल के तहत की जाती थी. जिन मामलों में चार्जशीट हो जाता था अथवा कोर्ट का आदेश होता था उन मामलों में जब्त हथियारों को नष्ट किये जाने से पूर्व दंडाधिकारी के नेतृत्व में पूरी सुरक्षा के साथ अवैध हथियारों को मुंगेर स्थित आयुध फैक्टरी में नष्ट करने के लिए ले जाया जाता था. हथियार को नष्ट करने के बाद आयुध फैक्टरी द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जाता था. उसको संबंधित कोर्ट को भेजा जाता था.
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