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योजनाबद्ध तरीके से काम होता, तो पहाड़ी का ये हाल नहीं होता
अरुण रंजन, आर्किटेक्ट रांची पहाड़ी पर पिछले कुछ वर्षों में कई निर्माण कार्य हुए हैं, लेकिन कोई भी निर्माण योजनाबद्ध तरीके से नहीं किया गया. यही वजह है कि आज पहाड़ी की यह हालत हो गयी है. हालांकि, अब भी समय नहीं गुजरा है. पहाड़ी को बचाने के लिए अब एक एक्शन प्लान बनाया जाना […]
अरुण रंजन, आर्किटेक्ट
रांची पहाड़ी पर पिछले कुछ वर्षों में कई निर्माण कार्य हुए हैं, लेकिन कोई भी निर्माण योजनाबद्ध तरीके से नहीं किया गया. यही वजह है कि आज पहाड़ी की यह हालत हो गयी है. हालांकि, अब भी समय नहीं गुजरा है.
पहाड़ी को बचाने के लिए अब एक एक्शन प्लान बनाया जाना चाहिए. इस प्लान को लागू करने के लिए राज्य सरकार, पहाड़ी मंदिर विकास समिति के सदस्यों को आमलोगों से भी राय लेनी चाहिए. मन में अब एक बात को गांठ बांध लेनी होगी कि अब पहाड़ी पर जो भी निर्माण कार्य हो, उससे पहले किसी विशेषज्ञ की निगरानी में मिट्टी की बेयरिंग कैपेसिटी, पहाड़ी की भार सहने की क्षमता आदि के जांच करा ली जाये. निर्माण कार्य के दौरान हमें यह ध्यान में रखना होगा कि किसी भी हाल में पहाड़ी की हरियाली नष्ट न होने पाये. अगर पहाड़ी पर हरियाली बनी रही, तब ही भू-स्खलन पर लगाम लग सकती है.
इसके अलावा इसका भी ध्यान रखना होगा कि पहाड़ी पर हल्के सामान का उपयोग कर बांस, लकड़ी के माध्यम से इसका सौंदर्यीकरण करें. एक और गौर करनेवाली बात यह है कि पहाड़ी के शिखर पर श्रद्धालुओं द्वारा जो जल चढ़ाया जाता है, उसे नीचे तक लाने के लिए सही ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण कराना होगा.
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