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विधानसभा नियुक्ति और प्रोन्नति घोटाला, सरयू की सीडी की सीबीआइ से जांच कराने की अनुशंसा

संजय रांची : विधानसभा में हुए नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले से जुड़े सीडी मामले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. घोटाले के जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में उक्त सीडी तथा इसके पूरे मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की है. दरअसल इस घोटाले की जांच […]

संजय
रांची : विधानसभा में हुए नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले से जुड़े सीडी मामले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. घोटाले के जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में उक्त सीडी तथा इसके पूरे मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की है.
दरअसल इस घोटाले की जांच के दौरान समिति को विधानसभा में हुई नियुक्ति और प्रोन्नति में अनियमितता के पर्याप्त व पुख्ता सबूत मिले हैं, पर पैसे के लेनदेन संबंधी कोई प्रमाण नहीं मिला है.
यह सीडी ही उक्त घोटाले से जुड़ी अकेली चीज है, जो नियुक्ति-प्रोन्नति में पैसे का खेल सार्वजनिक कर सकती है. इससे पहले समिति ने अपने स्तर से सीडी की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की थी. पर इसमें तकनीकी बाधा आ गयी थी. सूत्रों के अनुसार, यह सीडी किसी ने तब तैयार की थी, जब आलमगीर आलम विधानसभा के अध्यक्ष हुआ करते थे.
शमीम नाम का शख्स था सक्रिय : आलमगीर आलम के विधानसभा अध्यक्ष रहते मो शमीम नामक शख्स की सक्रियता काफी बढ़ गयी थी. श्री अालम के समय ही विधानसभा में चपरासी, माली व फरास (चतुर्थ वर्गीय कर्मी) सहित करीब डेढ़ सौ पदों पर बहाली हुई थी. अाशंका है कि इस बहाली में मो शमीम ने भी अहम भूमिका निभायी थी. उक्त अॉडियो सीडी में कई अन्य बातों के अलावा एक शख्स को फरास के पद पर बहाल एक महिलाकर्मी के बारे में कुछ कहते सुना जा सकता है.
वह शख्स उस महिला कर्मी का उल्लेख करते हुए यह कह रहा है कि वह फलाना की साली है. उसको हम बहाल कराये हैं. वह इतना (रुपये) दी थी. इस तरह की कई बातें इस सीडी में है. हालांकि तकनीकी रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
कंठ-गला खराब होने का फर्जी सर्टिफिकेट : पैसे देकर महिला कर्मी की बहाली के बारे में बात करनेवाले शमीम को पूछताछ के लिए जांच समिति ने बुलाया था. पर उसने पटना के पारस अस्पताल से यह सर्टिफिकेट बनवा लाया कि उसका कंठ (गला) इतना खराब हो गया है कि वह कुछ बोल नहीं सकता. सूत्रों के अनुसार, तब जस्टिस विक्रमादित्य ने यह पता लगाया कि शमीम का गला सचमुच खराब है, या वह बोलता भी है. उन्हें बताया गया कि सर वह तो बाहर टना-टन बोलता है.
पटक कर हुई कंठ-गले की जांच : इसके बाद समिति ने शमीम के कंठ व गले की जांच कराने का फैसला किया. उसे कुछ लोगों के साथ रिम्स भेजा गया. पर वहां भेजे गये लोगों ने जस्टिस को फोन किया कि सर, यह तो यहां नौटंकी कर रहा है, जांच के लिए तैयार ही नहीं है. पर बाद में वहां गये लोगों व चिकित्सकों ने जबरन पटक कर उसे लिटाया तथा उसके कंठ व गले की जांच की गयी.
रिम्स की रिपोर्ट में लिखा गया कि इसका कंठ-गला पूरी तरह ठीक है. इसके बाद सीडी में रेकॉर्ड आवाज से शमीम की आवाज का मिलान कराया जाना था. इसके लिए शमीम को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा जेल के पीछे मौजूद स्टेट फॉरेंसिक लैब ले जाया गया.
नहीं हो सकी जांच : वहां उसे बोलने को कहा गया तथा शमीम की आवाज रेकॉर्ड की गयी. इसकी अलग से सीडी बनायी गयी.बाद में दोनों सीडी की आवाज के मिलान के लिए इन्हें सेंटर फॉरेंसिक साइंस लैब, हैदराबाद भेजा गया.
पर लैब की अोर से कहा गया कि तकनीकी कारणों से यह काम नहीं हो सकता है. फिर दोनों सीडी सेंटर फॉरेंसिक साइंस लैब, चंडीगढ़ भेजी गयी. वहां कहा गया कि रेकॉर्डिंग साफ नहीं है. सूत्रों के अनुसार, यह संभव है कि शमीम ने अपनी आवाज बदल कर या अस्पष्ट तरीके से बोला हो. इसी के बाद अपनी रिपोर्ट में जांच समिति ने इस पूरे मामले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की है.
आलमगीर ने झाड़ लिया था पल्ला : विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष आलमगीर आलम के समय हुई विभिन्न नियुक्तियों में पैसे की लेन-देन का मामला सामने आया था. तत्कालीन भाजपा विधायक (अभी खाद्य आपूर्ति मंत्री) सरयू राय ने यह सीडी विधानसभा को उपलब्ध करायी थी. बाद में सीडी की जांच के लिए विधानसभा की विशेष कमेटी बनायी गयी. राधाकृष्ण किशोर के संयोजन में बनी इस कमेटी में चार तत्कालीन विधायक (चितरंजन यादव, रवींद्र नाथ महतो, रामचंद्र सिंह व सुखदेव भगत) बतौर सदस्य शामिल थे.
कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस मामले की गहराई से जांच कराने की बात कही थी. पर तत्कालीन स्पीकर आलमगीर आलम ने लिख दिया कि अगले विधानसभा गठन के बाद नये अध्यक्ष विधानसभा की गरिमा व स्वायत्त स्वरूप को देखते हुए इस पर उचित निर्णय लेंगे. इस तरह आलमगीर आलम ने तब इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया था.जस्टिस विक्रमादित्य जांच समिति की रिपोर्ट : सीडी जांच सेही नियुक्ति-प्रोन्नति में पैसे का खेल सार्वजनिक हो सकता है
क्या है सीडी में
उक्त अॉडियो सीडी में एक शख्स को फरास के पद पर बहाल एक महिलाकर्मी के बारे में कुछ कहते सुना जा सकता है. वह शख्स उस महिला कर्मी का उल्लेख करते हुए यह कह रहा है कि वह फलाना की साली है. उसको हम बहाल कराये हैं. वह इतना (रुपये) दी थी. इस तरह की कई बातें इस सीडी में है.
सात लोगों की हुई थी गवाही
सीडी की जांच के लिए विशेष कमेटी ने 18 बैठकें की थी. अंतत: 30 अगस्त 2008 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी. इससे पहले सभी बैठकों में विशेष कमेटी ने उन सात लोगों को गवाही के लिए बुलाया था, जिनकी आवाज सीडी में थी.
इनमें विधानसभा के पूर्व सचिव सीता राम साहनी, प्रशाखा पदाधिकारी मो शमीम, लिपिक बासुकीनाथ पाठक, अनुसेवक कमलेश कुमार सिंह तथा अन्य कर्मी आशुतोष तिवारी, मिथिलेश कुमार मिश्र तथा निलेश रंजन शामिल थे. इनकी गवाही रिकॉर्ड की गयी थी.

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