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रांची : कई समस्याओं से जूझ रहीं गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं मूलभूत समस्या से जूझ रही हैं. हॉस्टल मेंं शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. वाटर प्यूरीफायर तो लगा है, लेकिन खराब होने के बाद इसे बनाया नहीं जा रहा है. छात्राओं के कमरे में पंखे तो लगे हैं, लेकिन वे […]

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं मूलभूत समस्या से जूझ रही हैं. हॉस्टल मेंं शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है.
वाटर प्यूरीफायर तो लगा है, लेकिन खराब होने के बाद इसे बनाया नहीं जा रहा है. छात्राओं के कमरे में पंखे तो लगे हैं, लेकिन वे काफी दिनों से बंद पड़े हैं. हाॅस्टल मेें रहनेवाली छात्राओं ने प्रभात खबर को नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हाॅस्टल की समस्या को लेकर वे वार्डन के पास जाती हैं, ताे वह डांट कर भगा देती हैं.
वार्डन कहती हैं कि बिना पंखे के तुम लोग नहीं रह सकती हो क्या? स्टूडेंट को कष्ट भी उठाना पड़ता है. छात्राओं ने कहा कि हम सीनियर हो गये हैं, इसलिए एकांत में पढ़ाई करने की आवश्यकता होती है, जबकि एक-एक कमरे में दो से तीन छात्राओं को रखा गया है.
ऐसे में शांति भंग होती है. छात्राआें ने कहा कि ब्वायज हाॅस्टल में सीनियर को अलग से एक-एक कमरा मिला हुआ है. वहीं, हमलोग के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
वाइ-फाइ है, लेकिन नाम का : छात्राओं ने कहा कि पूर्व निदेशक ने हॉस्टल में वाइ-फाइ लगावा दिया, लेकिन वह शो पीस बना हुअा है. वह चलता ही नहीं है. वार्डन से कहने पर वह कहती हैं कि निदेशक से जाकर इसकी शिकायत करो. वैसे ही हम हॉस्टल को लेकर परेशान हैं.
मुझे मुक्त कर दीजिए जिम्मेदारी से : वार्डन
गर्ल्स हॉस्टल की मूलभूत समस्या व छात्राओं की संख्या की अपेक्षा कम कमरे के मुद्दे पर वार्डन डॉ पूनम ने रिम्स निदेशक से जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि वह किसी तरह इस सत्र तक अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दे रही हैं, लेकिन अगली बार से वह इस पद पर नहीं रहना चाहती हैं.

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