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रांची : इतिहास के साथ मजाक नहीं होना चाहिए : बलबीर दत्त
असीत कुमार की पुस्तक ‘सत्य बोल उठा, ताकि कुछ छूट न जाये’ का लोकार्पण किया गया रांची : असीत कुमार की पुस्तक ‘सत्य बोल उठा, ताकि कुछ छूट न जाये’ का लोकार्पण वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त ने रविवार को प्रेस क्लब में किया़ इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इतिहास के साथ मजाक नहीं […]
असीत कुमार की पुस्तक ‘सत्य बोल उठा, ताकि कुछ छूट न जाये’ का लोकार्पण किया गया
रांची : असीत कुमार की पुस्तक ‘सत्य बोल उठा, ताकि कुछ छूट न जाये’ का लोकार्पण वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त ने रविवार को प्रेस क्लब में किया़
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इतिहास के साथ मजाक नहीं होना चाहिए़ यह सत्यभक्षी न हो़ मुगलों, अंग्रेजों ने अपने हिसाब से लिखा था़ अंग्रेजों ने लिखा कि आर्य बाहर से आये, जबकि अब यह जेनेटिकली (आनुवांशिक रूप से) साबित हो चुका है कि उत्तर व दक्षिण भारत के लोगों में कोई अंतर नहीं है.
महात्मा गांधी के आंदोलन के बारे में भी कहा जाता है कि उनके सत्याग्रह के कारण बिना एक बूंद खून बहाये हमें आजादी मिली, पर 1857 की क्रांति, जलियावाला बाग कांड और देश के विभाजन के समय बड़ी संख्या में लोग मारे गये़ महात्मा गांधी, आजाद हिंद फौज व द्वितीय विश्वयुद्ध ने इसके लिए भूमिका तैयार की थी़ नौसेना के जवान भी सड़क पर उतरने को तैयार थे़
श्री दत्त ने कहा कि वह डायरी लिखते रहे हैं और इससे नैरेटिव हिस्ट्री लिखने में मदद मिलती है़ झारखंड अांदोलन के इतिहास पर भी समुचित शोध नहीं हुआ है़ इसके बारे में लोगों में कई गलतफहमियां है़ं
डॉ हरेंद्र सिन्हा ने कहा कि भारतीय इतिहास के साथ बेइमानी हुई है और इसका नया इतिहास लिखने की जरूरत है़ मोहनजोदड़ो-हड़प्पा में शैव परंपरा के संकेत हैं, जिसे अनदेखा किया गया़ समुद्र के अंदर भी हमारी संस्कृति छिपी है, जिसके प्रमाण मिलते है़ं महाभारत-रामायण पूरे देश के पोर-पोर में बसा है़ पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि महाभारत 1100 ईपू व रामयण 800- 60 ईपू की घटनाएं है़ं वह पूरी जिम्मेदारी से कहना चाहते हैं कि ज्यादातर मुगल ढांचों के नीचे हिंदू ढांचे जरूर है़ं
सरल भाषा में है यह किताब
लेखक असीत कुमार ने कहा कि कविता में मुक्त छंद है, पर इतिहास की तिथियों के साथ छंद मुक्ति नहीं होनी चाहिए़ उन्होंने यह पुस्तक सरल भाषा में आम जनों के लिए लिखी है़ कार्यक्रम में न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद, कुमार बृजेंद्र, रंजन श्रीवास्तव, डॉ सुशील अंकन, डॉ जंगबहादुर पांडेय, डॉ राज कुमार, कर्नल आशीष दासगुप्ता, सुष्मिता पांडेय, डॉ राजश्री जयंती, मुक्ति सहदेव, डॉ अनिल कुमार पांडेय, सोनाली दासगुप्ता, सीमा दासगुप्ता, संतोष कुमार आदि मौजूद थे़ 27 विषय समेटे 184 पृष्ठ की इस पुस्तक की कीमत 300 रुपये है़
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