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प्रभात खबर से विशेष बातचीत: बोले डॉ मंदनाना- अंगदान से मिल सकती है कई लोगों को नयी जिंदगी

हार्ट ट्रांसप्लांट में टाइम मैनेजमेंट अहम अंगदान से कई लोगों को नयी जिंदगी मिल सकती है. जागरूकता के अभाव में लोग अंगदान नहीं कर पाते हैं. अगर परिवार के सदस्यों को अंगदान की जानकारी हो, तो वह वैसे मरीज को जिंदगी देने में सहयोग कर सकते है, जिनको अंग की जरूरत है. झारखंड में अंगदान […]

हार्ट ट्रांसप्लांट में टाइम मैनेजमेंट अहम

अंगदान से कई लोगों को नयी जिंदगी मिल सकती है. जागरूकता के अभाव में लोग अंगदान नहीं कर पाते हैं. अगर परिवार के सदस्यों को अंगदान की जानकारी हो, तो वह वैसे मरीज को जिंदगी देने में सहयोग कर सकते है, जिनको अंग की जरूरत है. झारखंड में अंगदान के लिए सरकार को कदम उठाने की जरूरत है. इसके लिए सरकार को नया कानून बनाने की जरूरत है. उक्त बातें फोर्टिस अस्पताल कोलकाता के कार्डियेक सर्जन व हार्ट ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ केएम मंदनाना ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कही. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश.
Q. फोर्टिस अस्पताल में हार्ट का सफल ट्रांसप्लांट किया गया, यह अनुभव आपके लिए कैसा रहा?
अंगदान से किसी व्यक्ति को नयी जिंदगी मिलती है. हमने इस्ट जोन में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया. यह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण तो था ही, लेकिन हम सफल रहे. हार्ट ट्रांसप्लांट में टीम वर्क होता है. हर आर्गन का अपना गोल्डेन आवर होता है. इसी निर्धारित समय में आपको अंग को ट्रांसपोर्ट करके लगा देना होता है.
Q.हार्ट ट्रांसप्लांट में ग्रीन कॉरिडोर व हार्ट के ट्रांसपोर्टेशन की जानकारी आये दिन मिलती है, इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है?
हार्ट ट्रांसप्लांट में टाइम मैनेजमेंट अहम होता है. दो जगह सेंटर होता है. एक जगह जहां से अंग आता है, दूसरी जगह जहां मरीज का ट्रांसप्लांट किया जाता है. हार्ट ट्रांसप्लांट में जहां से मानसिक रूप से मृत व्यक्ति (ब्रेन डेड) से हार्ट निकालना होता है. हार्ट निकलने से पहले एक लीटर फ्ल्यूड डाला जाता है. इससे हार्ट को न्यूट्रिशन मिलता रहता है. इसके बाद हार्ट को स्टॉप कर दिया जाता है. तीन तरह से पैकिंग की जाती है. पहली प्रक्रिया में हार्ट को सॉल्यूशन के साथ प्लास्टिक में पैक किया जाता है. इसके बाद आइस की पैकिंग की जाती है. तीसरी प्रक्रिया में भी आइस पैकिंग की जाती है. इसके बाद हार्ट की ट्रांसपोर्टिंग की जाती है और ट्रांसप्लांट वाले स्थान पर सूचना दी जाती है. इसके बाद जिसको हार्ट ट्रांसप्लांट करना है, उसे ओटी में ले जाया जाता है. जब हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर वाले शहर के एयरपोर्ट पर पहुंच जाता है, तो हम ऑपरेशन की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं, लेकिन खराब हार्ट को नहीं निकालते हैं. जैसे ही हार्ट अस्पताल पहुंचता है, खराब हार्ट को निकाल कर उसमें बढ़िया हार्ट को शिफ्ट कर देते हैं. इसके बाद सिलाई कर उसमें खून काे प्रवाहित कर दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में 20 लाख का खर्च आता है.
Q. हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए एक सामान्य व्यक्ति क्या करे
हमारे देश में हृदय रोगियों की उम्र काफी कम है. कुछ तो जेनेटिक (अनुवांशिक)कारण है. कुछ हमारी जीवनशैली है. यूरोप व अमेरिका में हार्ट की सर्जरी 75 की उम्र के बाद होती है, लेकिन हमारे देश में यह 35 से 40 वर्ष से ही शुरू हो जाती है. जीन मॉडिफिकेशन पर शोध चल रहा है, जिनको अनुवांशिक बीमारी है, उसे जन्म के समय में ही ठीक कर दिया जाये. वैसे व्यक्ति जिनके माता-पिता कम उम्र में ही हार्ट अटैक से मर गये, उनको विशेष सावधान होने की जरूरत है. अाम लोगों को मोटापा कम करने, पारंपरिक भोजन करने और शारीरिक परिश्रम करने की जरूरत है.

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