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रांची : जेएसइबी में हुआ था टीडीएस घोटाला, अब होगी कार्रवाई

रांची : झारखंड राज्य बिजली बोर्ड (जेएसइबी) जो अब बंटवारे के बाद चार अलग कंपनियों में बंट गयी है, में वर्ष 2009-10 में 15 करोड़ रुपये का टीडीएस घोटाला हुआ था. जिसमें निजी कंपनियों को भुगतान के एवज में बिना टीडीएस काटे ही टीडीएस सर्टिफिकेट दे दिया गया था. अब इस मामले में झारखंड बिजली […]

रांची : झारखंड राज्य बिजली बोर्ड (जेएसइबी) जो अब बंटवारे के बाद चार अलग कंपनियों में बंट गयी है, में वर्ष 2009-10 में 15 करोड़ रुपये का टीडीएस घोटाला हुआ था.
जिसमें निजी कंपनियों को भुगतान के एवज में बिना टीडीएस काटे ही टीडीएस सर्टिफिकेट दे दिया गया था. अब इस मामले में झारखंड बिजली वितरण निगम के कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई होने जा रही है. वजह है कि इस मामले को झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में विधायक अरूप चटर्जी ने उठाया है. जिसके जवाब में सरकार ने कहा है कि दोषियों पर कार्रवाई होगी. सूत्रों ने बताया कि जेबीवीएनएल के वित्त नियंत्रक समेत लेखा शाखा के कुछ अधिकारियों को इस मामले में हटाया जा सकता है.
क्या है मामला
गौरतलब है कि तत्कालीन झारखंड राज्य बिजली बोर्ड द्वारा ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए चार कंपनियों को वर्ष 2006-07 में काम दिया गया था, लेकिन कंपनियों ने तय समय पर काम खत्म नहीं किया. नियम के मुताबिक, काम तय समय पर खत्म नहीं करने की वजह से जुर्माना लगाया जाता है.
लेकिन वित्त विभाग के अधिकारियों ने कंपनियों पर जुर्माना नहीं लगाया. बल्कि 15 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचा दिया. भुगतान के पूर्व कंपनियों का टीडीएस काटा जाता था पर बिना टीडीएस काटे ही विभाग ने कंपनियों को टीडीएस का सर्टिफिकेट दे दिया. सभी कंपनियों का टीडीएस करीब 15 करोड़ रुपये के आस-पास था. पर अभी तक राशि की वसूली नहीं हुई है.
एनसीसीएल अभी भी जेबीवीएनएल के लिए काम कर रही है
गौरतलब है कि इन चार कंपनियों में एक कंपनी ऐसी भी है, जो अभी भी जेबीवीएनएल के साथ काम कर रही है. लेकिन, बोर्ड की तरफ से कभी भी उस कंपनी से पैसे वसूलने की कोशिश नहीं की गयी. वे चार कंपनियां हैं- निकोन (बकाया राशि 2.52 करोड़), एटीएसएल (बकाया राशि 3.39 करोड़),एनसीसीएल (बकाया राशि1.91 करोड़ रुपये), आइवीआरसीएल (बकाया राशि 7.12 करोड़). इन चार कंपनियों में एनसीसीएल एक ऐसी कंपनी है, जो अभी भी जेबीवीएनएल के लिए काम कर रही है.
लेकिन जेबीवीएनएल ने कभी भी इस कंपनी से 1.91 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की कोशिश नहीं की.ऊर्जा विभाग की तरफ से तत्कालीन डायरेक्टर फाइनेंस उमेश कुमार को मामले को लेकर शो-कॉज किया गया. शो-कॉज में उमेश कुमार का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से उन्हें मौखिक रूप से टीडीएस जमा कराने को कहा गया, इसलिए उन्होंने जमा कराया. इतना ही नहीं, बोर्ड ने कंपनियों की बैंक गारंटी भी लौटा दी.
अब इस मामले को विधायक अरूप चटर्जी ने उठाया है. उनके सवाल के जवाब में ऊर्जा विभाग ने श्री चटर्जी को लिखा है कि जेबीवीएनएल में 2009-2010 में टीडीएस घोटाला हुआ था, और उसकी जल्द से जल्द जांच कर दोषियों को पहचान कर कार्रवाई की जायेगी.

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