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मध्यस्थता बनती जा रही लोगों के लिए वरदान, उजड़ने से बच रहे उम्मीदों के घर
प्रवीण मुंडा फैमिली कोर्ट में अधिक संख्या में आते हैं तलाक के मामले रांची : फैमिली कोर्ट में आनेवाले मामलों में अच्छी खासी तादाद तलाक से संबंधित होती है. इनमें कई मामलों में दंपतियों के बीच तलाक हो जाता है. हालांकि कोशिश की जाती है कि थोड़ी भी संभावना हो, तो परिवार को टूटने से […]
प्रवीण मुंडा
फैमिली कोर्ट में अधिक संख्या में आते हैं तलाक के मामले
रांची : फैमिली कोर्ट में आनेवाले मामलों में अच्छी खासी तादाद तलाक से संबंधित होती है. इनमें कई मामलों में दंपतियों के बीच तलाक हो जाता है.
हालांकि कोशिश की जाती है कि थोड़ी भी संभावना हो, तो परिवार को टूटने से बचाया जाये. इसके लिए मामलों को मध्यस्थता केंद्र में भेजा जाता है, जहां दोनों पक्षों के बीच विवाद को खत्म करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
वर्तमान समय में कई कारणों से पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले बढ़ रहे हैं. इनमें एक दूसरे से अत्यधिक अपेक्षा रखना. पति-पत्नी दोनों के ही कामकाजी होने से एक-दूसरे को शक की नजर से देखना. पति-पत्नी के बीच धैर्य अौर अंडरस्टैंडिंग की कमी होना.
एकल परिवार की संख्या बढ़ना अौर जीवन में कई कारणों की वजह से होनेवाला तनाव. पूर्व पुलिस पदाधिकारी (वर्तमान में जिला विधिक सेवा प्राधिकार में मध्यस्थ) पंचानन सिंह कहते हैं कि परिवार टूटने की वजह मानवीय मूल्यों में कमी का होना भी है. एक-दूसरे को सम्मान नहीं देना अौर रिश्तों का महत्व नहीं समझने की वजह से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.
वर्तमान समय में कई कारणों से पति-पत्नी के बीच हो रहा है तलाक
केस : एक
रांची में ही अलग-अलग थाने में पदस्थापित एक सिपाही दंपती के बीच तीन साल से विवाद चल रहा था. दोनों ने ही एक दूसरे पर केयर नहीं करने का आरोप लगाया था. पत्नी ने अपने पति पर टार्चर करने का भी आरोप लगाया था.
झगड़ा बढ़ा तो एक-दूसरे खिलाफ विभाग में भी शिकायत की. फिर मामला फैमिली कोर्ट में आया. कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता केंद्र में भेजा, जहां मध्यस्थ पंचानन सिंह ने दोनों के बीच कई बैठक कर विवाद को खत्म कराते हुए साथ रहने पर राजी कर लिया. यह दंपती अब अपने बेटे के साथ खुशी पूर्वक रह रहा है.
केस : दो
राज्य सरकार के अधीन एक डॉक्टर का उनकी पत्नी के साथ विवाद चल रहा था. दोनों के बीच अंडरस्टैंडिंग नहीं थी. पत्नी का आरोप था कि पति कुछ नहीं करते, जबकि पति का कहना था कि घर के लिए सारा कुछ वे ही करते हैं. विवाद बढ़ने के बाद 2017 में फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए मामला दायर किया गया. फैमिली कोर्ट से मामले को मध्यस्थता केंद्र में भेजा गया. मध्यस्थ ने दोनों के बीच कई दौर की बैठक के बाद समझौता कराने में सफलता हासिल की. यह परिवार भी टूटने से बच गया.
पिछले महीने 142 मामलों का हुआ निष्पादन
फैमिली कोर्ट रांची में पिछले महीने लगभग 142 मामलों का निष्पादन किया गया. ये मामले अलगाव, तलाक, मेंटेनेंस, गार्जियनशिप आदि से संबंधित थे. इनमें से सिविल नेचर के 88 अौर क्रिमिनल नेचर के 54 मामले थे.
फैमिली कोर्ट में तलाक अौर पति-पत्नी के बीच विवाद से संबंधित मामलों में यह भी कोशिश की जाती है कि घर टूटने से बच जाये. कई मामलों को मध्यस्थता केंद्र में भेजा जाता है. मध्यस्थता के जरिये विवादों को खत्म करने अौर परिवार को बचाये रखने में सफलता मिल रही है.
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