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रांची : कृषि उत्पादों को मार्केट उपलब्ध कराने में झारखंड देश भर में 12वें स्थान पर

नीति आयोग ने झारखंड को 49.4 अंक दिये, महाराष्ट्र पहले स्थान पर मनोज सिंह रांची : ई-नाम (नेशनल एग्रीकल्चरल मार्केट) से झारखंड के किसानों को कृषि मार्केट उपलब्ध कराने तथा किसानों के साथ दोस्ताना व्यवहार में झारखंड देश में 12वें स्थान पर है. नीति आयोग ने इसमें झारखंड को 49.4 अंक दिया है. महाराष्ट्र 81.7 […]

नीति आयोग ने झारखंड को 49.4 अंक दिये, महाराष्ट्र पहले स्थान पर
मनोज सिंह
रांची : ई-नाम (नेशनल एग्रीकल्चरल मार्केट) से झारखंड के किसानों को कृषि मार्केट उपलब्ध कराने तथा किसानों के साथ दोस्ताना व्यवहार में झारखंड देश में 12वें स्थान पर है. नीति आयोग ने इसमें झारखंड को 49.4 अंक दिया है. महाराष्ट्र 81.7 अंकों के साथ पहले स्थान पर है.
28 में से 19 मंडियों को ई-नाम से
जोड़ा गया है : झारखंड में कुल 28 सरकारी मंडियां हैं. इसमें 19 मंडी को ई-नाम से
जोड़ा गया है. इसके अतिरिक्त झारखंड में 59 निबंधित रूरल हाट भी हैं. इसका कृषकों को बाजार उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान है. इससे अब तक करीब 32,138 किसान निबंधित हैं. करीब 2698 प्रकार के कारोबार का भी निबंधन हो चुका है.
इसमें करीब नौ करोड़ 60 लाख रुपये की राशि शामिल है. सबसे अधिक 24 प्रकार का कारोबार गढ़वा जिले में होता है. सबसे कम तीन प्रखार का कारोबार गुमला से हो रहा है. पंडरा रांची से करीब एक करोड़ रुपये का कारोबार होता है. सबसे कम कारोबार चाईबासा में होता है. रांची स्थित पंडरा मंडी से करीब 4500 क्विटंल ट्रेड होता है. धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर में सबसे अधिक किसान इसमें हिस्सा ले रहे हैं.
सबसे अधिक सब्जी की हो रही मार्केटिंग
राज्य में ई-नाम के माध्यम से सबसे अधिक सब्जी की मार्केटिंग हो रही है. कुल ट्रेड का करीब 55 फीसदी हिस्सेदारी सब्जी की है. यहां से करीब 87,722 क्विंटल सब्जी बेची जा रही है.
इसमें मुख्य रूप से भिंडी, बैगन, करेला, प्याज, आलू, टमाटर, शकरकंद, फ्रेंचबीन आदि शामिल है. करीब 24 फीसदी हिस्सेदारी ताजा फलों की है. इसमें पपीता, सेब, केला, आम, चेरी, तरबूज आदि शामिल है. करीब 17 फीसदी ट्रेड दलहन का हो रहा है. इसमें तुअर दाल, उड़द, मटर, चना और मसूर शामिल है.
बीडिंग राष्ट्रीय औसत के करीब
झारखंड में ई-नाम के आने के बाद बीडिंग का औसत 3.07 प्रति लॉट है. राष्ट्रीय औसत 3.68 प्रति लॉट है. सरकार मानती है कि झारखंड में ई-नाम के बाद यहां के उत्पादों की बोली दूसरे राज्य से काफी अच्छी है.
चुनौती पूरी करने के लिए क्या-क्या हो रहा प्रयास
कृषि विभाग ई-नाम से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने के लिए जागरूकता फैला रहा है. इसके लिए किसानों के साथ मीटिंग हो रही है. पंपलेट बांटे जा रहे हैं.
ऑडियो विजुअल माध्यम के अलावा किसान चौपाल का भी आयोजन किया जा रहा है. महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि राज्यों की तरह मार्केट सेस जोड़ने पर विचार हो रहा है. राज्य में 10 क्वालिटी लैब की स्थापना की जायेगी. इससे उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ेगी और बाजार में उत्पादों की अच्छी कीमत मिलेगी. इसके अलावा रूरल हाट को नजदीकी बाजार समिति से जोड़ने की योजना है.
इसके लिए शहरी विकास और पंचायती राज विभाग के बीच समन्वय बन सकेगा. कोल्ड रूम, कंप्यूटराइजेशन, मार्केटिंग बोर्ड को कॉमन लीज लाइन से जोड़ा जायेगा. इसके सफल संचालन के लिए निदेशक और उप निदेशक स्तर पर प्रोफेशनल्स को रखने की योजना है.
ई-नाम आने के बाद राज्य में कई बदलाव किये गये हैं. कई नये प्रयास हो रहे हैं. इसका असर भी दिख रहा है. इसके बावजूद अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे हैं. जो सुधार के प्रयास हो रहे हैं, उसके अच्छे नतीजे आयेंगे. व्यापारी और उद्यमियों के सहयोग से भारत सरकार की यह स्कीम सफल होगी. पूजा सिंघल, सचिव, कृषि विभाग

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