रांची: आयकर विभाग ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल(जैक) से टैक्स व दंड के रूप में 1.65 करोड़ रुपये की वसूली की है. कर और दंड की वसूली के बाद जैक के खाते के संचालन पर लगायी गयी रोक हटा ली गयी है.
आयकर आयुक्त (टीडीएस) अजीत श्रीवास्तव के निर्देश पर आयकर अधिकारियों ने जैक का सर्वे किया था. इसमें जैक द्वारा विभिन्न सामग्री की खरीद के अलावा प्रश्न पत्रों की छपाई आदि के भुगतान के समय टैक्स की कटौती नहीं करने का मामला पकड़ में आया. सर्वे में पाया गया कि जैक ने वर्ष 2008-2014 तक प्रश्न पत्रों की छपाई सहित अन्य कार्यो के लिए 3.91 करोड़ रुपये का भुगतान किया था पर, किसी भी भुगतान से स्नेत पर टैक्स की कटौती नहीं की थी. इसके मद्देनजर आयकर ने जैक को नोटिस दे कर भुगतान पानेवाली कंपनियों का ब्योरा मांगा.
जैक ने अपने जवाब में संबंधित सूचना आयकर विभाग को देने से इनकार कर दिया. जैक की ओर से यह तर्क पेश किया गया कि परीक्षा के आयोजन के लिए प्रश्न पत्रों और कापियों की छपाई करनेवालों की सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती. जैक अधिनियम के अनुसार यह अत्यधिक गोपनीय है. जैक के इस जवाब के बाद आयकर विभाग ने जैक से यह जानना चाहा कि जिन कंपनियों ने कापी और प्रश्न पत्रों की छपाई की है उन्होंने अपने आयकर रिटर्न में इसका उल्लेख किया है या नहीं. जवाब में जैक की ओर से इसकी जानकारी देने में असमर्थता जतायी गयी. साथ ही यह भी कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 194 सी के तहत छपाई ‘ वर्क ’ की परिभाषा के दायरे में नहीं आती. जैक का पक्ष सुनने के बाद आयकर ने उसे अमान्य कर दिया. साथ ही विभाग ने जैक के खाते के संचालन पर रोक लगाते हुए उससे टैक्स और दंड के रूप में 1.65 करोड़ की वसूली की.