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फैक्टरी नहीं, तो लीज का नवीकरण नहीं

रांची: झारखंड में लौह अयस्क खदान के लीजधारियों के पास यदि फैक्टरी नहीं है तो उनके लीज का नवीकरण नहीं किया जायेगा. इससे संबंधित एक प्रस्ताव खान विभाग तैयार कर रहा है. विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक जिनके पास कैप्टिव माइंस हैं और जो अपने कारखाने के लिए ही खनिज का उत्खनन करते हैं. […]

रांची: झारखंड में लौह अयस्क खदान के लीजधारियों के पास यदि फैक्टरी नहीं है तो उनके लीज का नवीकरण नहीं किया जायेगा. इससे संबंधित एक प्रस्ताव खान विभाग तैयार कर रहा है. विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक जिनके पास कैप्टिव माइंस हैं और जो अपने कारखाने के लिए ही खनिज का उत्खनन करते हैं.

वैसे लीजधारियों के लीज नवीकरण में कोई समस्या नहीं है. जो केवल खनिजों की ट्रेडिंग करते हैं, उनके लीज नवीकरण पर सरकार रोक लगायेगी. बहुत जल्द ही इस प्रस्ताव को सरकार की हरी झंडी मिल जायेगी.

कारखाना लगाने वाले निवेशकों को माइंस आवंटन में प्राथमिकता
खान विभाग ने एक अधिकारी ने बताया कि पहला नवीकरण तो कर दिया जाता है. पर दूसरे नवीकरण में पर्यावरण से लेकर खनिज की उपयोगिता तक की जानकारी लेनी है. यह भी देखना है कि लीजधारी खनिज का इस्तेमाल कहां करता है. खनिज को बाजार में ऊंची दरों पर बेचनेवाले को प्राथमिकता नहीं दी जायेगी. अब केवल कैप्टिव लीज धारियों को ही प्राथमिकता दी जायेगी. जिनके पास फैक्टरी नहीं होगी उनका लीज नवीकरण नहीं किया जायेगा. सरकार के इस प्रस्ताव के अंतिम रूप लेते ही करीब 26 लौह अयस्क पट्टों का नवीकरण नहीं हो सकेगा. 26 पट्टेधारी ऐसे हैं जो केवल लौह अयस्क की ट्रेडिंग करते हैं. उनका कोई कारखाना नहीं है. सरकार चाहती है कि निवेशक आयें, राज्य में कारखाना लगाये. पर यह तभी संभव होगा जब उन्हें खनिज मिलेगा.

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